शिक्षा संस्‍थान के विद्यार्थी भविष्‍य के शिक्षक हैं- डॉ. देवेश निगम

-----------शिक्षा संस्थान में नाटक एवं नृत्य के माध्यम से दिये गये शैक्षणिक संदेश ------------ बु0वि0वि0 में हुआ ‘व्यवसायिक क्षमता संवर्धन’ कार्यक्रम -----------पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प

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झांसी। बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के षिक्षा संस्थान में आज ‘व्यवसायिक क्षमता संवर्धन’ के अंतर्गत आज छात्रा एवं छात्राओं ने नाटक, नृत्य एवं कला के अन्य माध्यम से कैसे शिक्षा के उदेश्‍यों की प्राप्ति की जा सकती है, का प्रस्तुतिकरण किया इसके अंतर्गत एक चिट्ठी, समावेषी शिक्षा विजयी भवः, संदेशे आते हैं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के विषय पर नाटकों का मंचन किया गया। डांडिया नृत्य के माध्यम से भी संदेश देने का प्रयास किया गया। इसके पुर्व सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा पौधारोपण का कार्य संस्थान में किया गया। सभी ने संकल्प लिया की पर्यावरण के प्रति सभी अपनी अपनी भूूमिका निर्वाहन ईमानदारी से करेंगे।


मुख्य अतिथि कला अधिष्‍ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेेश निगम ने कहा कि शिक्षा संस्थान के विद्यार्थी भविष्‍य के शिक्षक हैं। देश के निर्माण में आपकी भूूमिका महत्वपूर्ण है। एक बच्चा जब पहली बार स्‍कूल जाता है तो अपने माँ बाप के बाद अगर किसी को याद रखता है तो वह उसका शिक्षक होता है। अभिभावक भी शिक्षक के हाथों में अपने बच्चों को छोड़कर निश्‍चित हो जाते हैं। इस भरोसे को हमें कायम रखना है। विशिष्‍ठ अतिथि बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के संपत्ति अधिकारी डा. देवेेन्‍द्र कुमार भटट् ने इस आयोजन के लिये शिक्षा संस्थान के नये विभागाध्यक्ष को धन्यवाद दिया। ऐसे आयोजन से छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त होता है। शिक्षा केवल कक्षा के अंतर्गत पठन पाठन तक ही सीमित नई होनी चाहिये। ऐसे कार्यक्रम हमें हमारे अंदर मौजुद क्षमताओं के विस्तार एवं उपयोग का मौका देते हैं। विभागाध्यक्ष शिक्षा संस्थान डा. पुनीत बिसारिया ने कहा कि यह शुरूआत है। शिक्षा संस्थान बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के संस्थानों में अग्रणी है। एवं यूजीसी की नैक समिति ने भी हमें उच्च पायदान पर रखा है। आने वाले दिनों में ऐसे ही कार्यक्रमों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को अनेक अवसर दिये जाएंगे। जल्दी ही संस्थान शोध आधारित राष्‍ट्रीय स्तर का सेमीनार का आयोजन करेगा, जिसमें वरिष्‍ठ शिक्षाविदों से हमें मिलने का मौका मिलेगा। पत्रकारिता विभाग के समन्वयक डा. कौशल त्रिपाठी ने कहा की शिक्षा के प्रचार प्रसार में संचार की महत्वपूर्ण भूमिका है। संचार कौशल में कुशल शिक्षक ही अपने लक्ष्य और उदेश्‍यों की प्राप्ति करने में सफल होता है। कला के माध्यम से हम ऐसे लोगों तक भी संदेश पहुंचा सकते हैं जो किन्ही कारणों से शिक्षा से वंचित रह गये हैं। इससे पहले संयोजक डा. काव्या दुबे ने बताया की ‘व्यवसायिक क्षमता संवर्धन’ शिक्षा संस्थान में पढ़ रहे छात्रों के लिये अति आवश्‍यक है। जब वह स्कुलों में शिक्षण कार्य के लिये जाएंगे तब इस प्रकार की गतिविधियों छात्रों में विषय के प्रति रोचकता बनाये रखती हैं।
इस अवसर पर शिक्षा संस्थान के डा. जीतेन्द्र प्रताप, डा. सुनील त्रिवेदी, डा. डीएस यादव, डा. एसके त्रिवेदी, डा. दीप्ती सिंह, महेन्द्र कुमार, संजय कुमार, बी.एस. मस्तांग, शिखा खरे एवं प्रतिभा खरे, हिन्दी विभाग के डा अचला पाण्डे, श्रीहरि त्रिपाठी, वनस्पति विज्ञान के डा अमित तिवारी आदि उपस्थित रहे। आभार डा सुषमा अग्रवाल ने व्‍यक्‍त किया।

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