जिपं अध्यक्ष के भरोसे पर संकट

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झाँसी। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर मंडरा रहे संकट के बादल अभी छंटे नहीं हैं। भाजपा भले ही संख्या बल में काफी कमजोर हो लेकिन उसने सत्ताधारी सपा सदस्यों में सेंधमारी कर ली है। उसने ऐसा अचूक प्लान बनाया है जिससे पार पाना अध्यक्ष खेमे के बस की बात नहीं। छह जनवरी को होने वाली बैठक में अविश्वास प्रस्ताव की हकीकत सामने आ सकती है।
24 सदस्यीय जिला पंचायत चुनाव में सपा के सर्वाधिक 15 सदस्य जीतकर आए थे, जबकि भाजपा और बसपा के चार-चार तथा एक निर्दलीय ने बाजी मारी थी। बाद में निर्दलीय ने सपा का दामन थाम लिया था, जिससे उसकी संख्या बढ़कर 16 हो गई थी। अध्यक्ष पद की दौड़ में कई दिग्गज और सीनियर सदस्य थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने पूर्व जिलाध्यक्ष संत सिंह सेरसा की बहू प्रतिमा यादव के नाम पर मुहर लगाई। किसी को भी यह फैसला रास नहीं आया लेकिन पार्टी मुखिया का आदेश होने के कारण सपा सदस्य मन मारकर रह गए। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही सपा की मीरा राय और निर्दलीय आलखंड सिंह भाजपा में आ गए। इससे सपा सदस्यों की संख्या 14 पर टिक गई। बहुमत से यह आंकड़ा अभी भी एक अधिक है और अध्यक्ष की कुर्सी सेफ मानी जा रही है। सत्ता बदलने से अध्यक्ष विरोधी खेमा भाजपा के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव की रणनीति बना रहा था। इसमें भाजपा के एक क्षेत्रीय संगठन पदाधिकारी और एक जिला पंचायत सदस्य के पिता की भूमिका काफी सक्रिय रही। उन्हें एक और वज़नदार सदस्य का समर्थन मिल गया। करीब 20 सदस्य अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में थे और 18 ने शपथपत्र भी दे दिए थे। इसी बीच निकाय चुनाव आ जाने और एक सदस्य को भाजपा से निलंबित कर देने से समीकरण बिगड़ गए। चूंकि, जिस सदस्य को हटाया गया है वह अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार था लिहाजा नए सिरे से रणनीति बनाई जा रही है। भाजपा में एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है और वह केवल पांच सदस्यों के सहारे जोखिम उठाना भी नहीं चाहती। लिहाजा ऐसी रणनीति बनाई जा रही है कि सपा को अध्यक्ष का चेहरा बदलना पड़े। ऐसे में तय हो गया है कि जल्द ही प्रतिमा यादव को हटवाकर सपा अपने ही किसी दूसरे सदस्य को अध्यक्ष बनवा दे।
फिलहाल इस रणनीति पर छह जनवरी को मुहर लग सकती है। उसी दिन जिला पंचायत बोर्ड की बैठक भी है। अविश्वास प्रस्ताव के डर से दो बार बैठक टाली जा चुकी है। इस बार भी अध्यक्ष की तरफ से ऐसा ही प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हर सदस्य बैठक हर हाल में कराने पर अड़ा है। अगर छह जनवरी को बैठक होती है तो अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर महत्वपूर्ण फैसला हो सकता है।

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