योग बुद्धि, चेतना, शरीर एवं आत्मा का विज्ञान: आचार्य रजनीकान्त

स्वयंसेवकों ने सीखे योग के गुर व आसन

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झांसी। योग बुद्धि, चेतना, शरीर एवं आत्मा का विज्ञान है। योग हमें दैनन्दिन की समस्याओं और परेशानियों तथा तनाव, चिंता, अनिद्रा जैसे शारीरिक और मानसिक रोगों से मुकाबला करने में सहायक होता है। योग का प्रमुख उद्देश्य शरीर एवं मन को स्वस्थ रखना हैं। अतः स्वस्थ जीवन के लिए प्रातःकाल योग एवं प्राणायाम आवश्यक है।
यह विचार यह विचार योगाचार्य रजनीकान्त आर्य ने व्यक्त किये। योगाचार्य रजनीकान्त आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की षष्टम इकाई के तत्वाधान में आयोजित विशेष शिविर के पाचवें दिन बौद्धिक सत्र में पत्रकारिता संस्थान के प्रांगण में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योग शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा से है और इसका अर्थ जोडना, एकत्र करना है। योगिक व्यायामों का एक पवित्र प्रभाव होता है और यह शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। उनाक मानना है कि योग हमें दैनन्दिन की माँगों, समस्याओं और परेशानियों का मुकाबला करने में सहायक होता है। योग स्वयं के बारे में समझ, जीवन का प्रयोजन और ईश्वर से हमारे संबंध की जानकारी विकसित करने के लिए सहायता करता है।
योगाचार्य ने कहा कि योग कोई धर्म नहीं है, यह जीने की एक कला हैं जिसका लक्ष्य हैं- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन। वहीं आध्यात्मिक रूप से योग ब्रह्माण्ड के स्व के साथ वैयक्तिक स्व के शाश्वत परमानंद मिलन और सर्वोच्च ज्ञान को प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि योग सर्वोच्च ब्रह्मांडमय सिद्धान्त है। यह जीवन का प्रकाश, विश्व की सृजनात्मक चेतना है जो सदैव सजग रहती है। इस अवसर पर रजनीकान्त ने उपस्थित स्वयंसेवकों को येाग के विभिन्न आसन भी बताये। उल्लेखनीय है कि योगाचार्य रजनीकान्त जी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की षष्टम इकाई के तत्वाधान में आयोजित विशेष शिविर प्रतिदिन प्रातकालः शिविरार्थी स्वयंसेवकों को योगासनों एवं पा्रणायाम की शिक्षा दे रहे हैं।

बौद्धिक सत्र का संचालन करते हुए विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की षष्टम इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डा.उमेश कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया तथा शिविर के उद्देश्यों को मंचासीन अतिथियों तथा स्वयंसेवकांे के समक्ष रखा।
कार्यक्रम अधिकारी डा.उमेश कुमार ने बताया कि शिविर के दोरान स्वयंसेवकों ने कैमासन मन्दिर के आसपास की सफाइ्र की तथा विश्वविद्यालय परिसर से मन्दिर को जाने वाली सीढ़ियों पर सफाई करने के पश्चात चूना एवं रंग किया।
इस अवसर पर डा.अजय कुमार गुप्ता, डा.दिलीप कुमार, जयराम कुटार, अभिषेक कुमार उपस्थित रहे।

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