ऐतिहासिक विरासत को संभालना हमारा उत्तरदायित्व: मुकुन्द मेहरोत्रा

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झांसी। बुन्देलखण्ड क्षेत्र प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व कला के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विरासत को संभालने का प्रयास किया जाना चाहिए। यहां की विशिष्‍ट विरासत को संजोने तथा सम्भालने का उत्तरदायित्व हमारा तथा आप सबका है। यह विचार आज प्रसिद्ध कला मर्मज्ञ एवं समाजसेवी मुकुंद मेहरोत्रा ने व्यक्त किये। श्री मेहरोत्रा आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान के सभागार में विश्व धरोहर दिवस पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित श्रोताओं को संबोधित कर रहे थे।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र हर दृष्टि से अद्वितीय है। इस क्षेत्र की संस्कृति, साहित्य, कला, वस्तुशिल्प, इमारतें तथा खानपान सभी विश्व भर में अपना नाम प्रसिद्ध किए हुए हैं। श्री मेहरोत्रा ने विशेष रूप से पर्यटन एवं होटल प्रबन्ध संस्थान के छात्रों तथा शिक्षकों से अपील की कि उन्हें बुन्देलखण्ड की कला साहित्‍य, पर्यटन, संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रयास करनेे चाहिये।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो.वी.के.सहगल ने कहा की यह हम सबका उत्तर दायित्व है कि अपने पूर्वजों की धरोहर को संभाल कर रखने का प्रयास करें। प्रो.सहगल ने पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान के विभागाध्यक्ष तथा अध्यापकों को इस आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा की आशा है संस्थान के प्रयास से बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विरासत को संजोने में संस्थान में प्रमुख भूमिका निभाएगा। विशिष्ट अतिथि तथा मुख्य वक्ता आई.एच.एम. यमुनानगर के प्राचार्य प्रो.पीके गुप्ता ने परम्परागत पाक कला विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि किसी भी क्षेत्र की विरासत में उसकी संस्कृति, कला वास्तुशिल्प के साथ-साथ उस क्षेत्र के भोजन, भोज्य पदार्थो तथा परम्परागत खानपान का विशेेेेष महत्व होता है। उन्होंने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पाककला परंपरागत पाक कला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ समय पूर्व तक इस क्षेत्र में भोजन पत्तल आदि पर करने का रिवाज था। आधुनिकता की दौड़ में हम अपने परम्परागत भोजन तथा पाक कला से दूर होतेे जा रहे हैं। प्रो.गुप्ता ने बुन्‍देलखण्ड के कई पकवानों का नाम लेकर कहा कि इनमें से अधिकतर का नाम उपस्थित विद्यार्थियों ने शायद ही सुना होगा। उन्होंने कहा कि यह पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान का उत्तरदायित्व है की वह इस क्षेत्र की प्राचीन तथा परंपरागत और परंपरागत पाककला तथा पकवानों को पुनः नए रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास करें, जिससे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आने वाला पर्यटक उनके भोजन के प्रति आकर्षित हो तथा बुन्देलखण्ड में पर्यटन में वृद्धि हो सके।
संकायाध्यक्ष कला संकाय प्रो.सी.बी सिंह ने भी संस्थान को इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बधाई देते हुए कहा की अपनी धरोहर को बनाए संजोए रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। राजकीय महिला महाविद्यालय के डा. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि समस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र पौराणिक काल से ही एक अद्वितीय विरासत का धनी क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में खानपान की एक अलग ही विशिष्‍ट परंपरा रही है जो अब लगभग विलुप्त प्राय हो चुकी है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान पर्यटन एवं होटल प्रबंध संस्थान के निदेशक तथा विभागाध्यक्ष प्रो.सुनील काबिया ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने 1983 से स्मारक और स्थलों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाये जाने की घोषणा की। इसका उद्देश्य दुनिया भर की निर्मित स्मारकों और विरासत स्थलों की विविधता और उनके संरक्षण और संरक्षण के लिए आवश्यक प्रयासों के बारे में जनता में जागरूकता लाना है। प्रो. काबिया ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में आज भी नगरों की अपेक्षा अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि ग्रामीण पर्यटन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्थानों तथा स्मारकों को पर्यटन केन्‍द्रों के रूप में विकसित किया जाय ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार तथा आय में बृद्धि हो। कार्यक्रम का प्रारंभ आमंत्रित अतिथियों ने मां सरस्वती के मूर्ति पर पुष्पार्चन तथा माल्यार्पण से हुआ। मंचासीन अतिथियों को पुष्‍प कलिका भेंटकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन कु.श्रद्धा सक्सेना तथा कु.छवि सहगल ने किया। आमंत्रित अतिथियों का आभार डा. संजय निबोरिया ने व्यक्त किया।

कार्यक्रम के अंत में मंचासीन अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया।

पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान के लाॅबी में झांसी के प्रसिद्ध चित्रकार विकास वैभव के 62 चित्रों की एकल प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसका उदघाटन मुख्य अतिथि तथा मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया। उक्त प्रदर्शनी में लगाये गये विकास वैभव के सभी चित्र झांसी तथा आसपास के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक इमारतों के हैं तथा ब्रश तथा पेन से बनाये गये है। विकास वैभव के प्रदर्शनी में लगे सभी चित्रों की सभी अतिथियों ने प्रशंसा की। इस अवसर पर प्रो.वी.पी.खरे, कुलसचिव श्री नारायण प्रसाद, डा. मुहम्मद नईम, डा. श्वेता पाण्डेय, डा. शैलेंद्र तिवारी, डा. जीके.श्रीनिवासन, डा. रमेश चन्द्रा, आशीष सेठ, हेमन्त चन्द्रा आदि उपस्थित रहे।

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