झाँसी-‘‘समाज कार्य व्यवसाय के विद्यार्थियों का उत्तरदायित्व है कि वे अपने कार्यों के द्वारा समाज में अपनी स्वीकृति को बढायें, ताकि सामुदायिक सहयोग से वे विकासात्मक कार्यों एवं सामाजिक बदलाव के कार्यों को गति दे सके।’’
उपरोक्त विचार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के समाज कार्य विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण पूर्व कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय ने व्यक्त किये। उन्होनें कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता समाज कार्य संहिताओं, मूल्यों, प्रविधियों का प्रयोग सबसे पहले स्वयं के बदलाव हेतु करें, ताकि वो सामाजिक बदलाव में अपना पूर्ण योगदान दे सकें। प्रो. संजय ने कहा कि विद्यार्थियों को भक्ति आन्दोलन, सामाजिक सुधार आन्दोलन के महत्वपूर्ण संस्कृतिकर्मियों के साथ गाँधी, अम्बेडकर और बुद्ध दर्शन का अध्ययन अवश्य करना चाहिए, ताकि वे समानता और सामाजिक न्याय हेतु अपना योगदान दे सकें।
कार्यशाला को सम्बोेधित करते हुए महाराजा सयाजीराव गायकवाड़, बडौदा (गुजरात) के समाज कार्य विभाग के प्रो. अंकुर सक्सेना ने कहा कि विद्यार्थी को अपनी क्षमताओं को बढानेे के लिए निरन्तर प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। समाज कार्य के विद्यार्थियों को अपने विशेषीकरण के साथ साथ समाज की विभिन्न समस्याओं पर भी अनवरत् अध्ययन करना चाहिए। उन्होनें कहा कि प्रशिक्षण में विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल, अभिवृत्ति का ध्यान रखना चाहिए। कार्यशाला के प्रारम्भ में समन्वयक नेहा मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यशाला का संचालन डाॅ. मुहम्मद नईम ने, अध्यक्षता डाॅ. यतीन्द्र मिश्रा ने व आभार डाॅ. अनूप कुमार शाक्य ने किया । इस अवसर पर श्रीमती गुंजा चतुर्वेदी, शोधार्थी पवन कुमार, अखिलेश कुमार सहित समाज कार्य के विद्यार्थी उपस्थित थे।
समाज कार्य के विद्यार्थी अपने कार्यों के द्वारा समाज में अपनी स्वीकृति बढायें: प्रो. संजय
बी.यू. के समाज कार्य संस्थान में आयोजित हुई ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण पूर्व कार्यशाला