बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय में फि‍र शुरु हुईंं संस्कृत की कक्षाएं

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झांसी। देववाणी संस्कृत के उत्थान तथा आम लोगों की बोली बनाने के लिए प्रयासरत राष्‍ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्‍वविद्यालय नई दिल्ली के सहयोग से विगत वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय में अनौपचारिक संस्कृत श‍िक्षण की शुरुआत की गई है। इस पाठ्यक्रम में विश्‍वविद्यालय के साथ ही साथ झांसी के अन्य महाविद्यालयों के विद्यार्थी तथा सामान्य नागरिक हिस्सा ले सकते हैं। संस्कृत में प्रथम दीक्षा में शामिल विद्यार्थी द्वितीय दीक्षा में प्रवेश ले सकते हैं।
मुख्य अतिथि डाॅ बीबी त्रिपाठी ने अवगत कराया कि वैज्ञानिक भी संस्कृत भाषाा की महत्ता को समझकर देववाणी संस्कृत के प्रति आकृष्‍ट हो रहे हैं। वैज्ञानिकों की अवधारणा है कि संस्कृत की ध्वनियों के उच्चारण से तार्किक क्षमता की वृद्धि होती है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष इस पाठ्यक्रम में झांसी के लगभग एक सौ लोगों ने प्रवेश लिया था। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से लोगों को संस्कृत बोलना, लिखना तथा दैनिक जीवन के कार्यों में उपयोग करना सिखाया जाता है। संस्कृत के प्रश‍िक्षक आचार्य रजनीकांत ने बताया कि पिछले वर्ष आयोजित हुई परीक्षा का परिणाम अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह तक आ जाएगा। इसके साथ ही साथ नए सत्र के लिए प्रवेष प्रारंभ हो चुके हैं। नए सत्र में अध्यापन दृष्य-श्रव्य और कक्ष प्रषिक्षण के माध्यम से किया जाएगा जिससे संस्कृत को न केवल समझना आसान होगा बल्कि लिखना और बोलना भी सीीखा जा सकता है।
आचार्य रजनीकांत ने बताया कि इस पाठ्यक्रम का संचालन भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के साथ ही साथ आर्य कन्या महाविद्यालय, झांसी में भी किया जा रहा है। इन दोनोें ही स्थानों पर संस्कृत संभाषण और लेखन सिखाया जाएगा। इस पाठ्यक्रम का शुल्क 500 रुपए वार्शिक निर्धारित किया गया है जिसमें प्रतिभागियों को अध्ययन के लिए किताबें तथा अन्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएंगी। पाठ्यक्रम में प्रवेष 30 अगस्त तक लिया जा सकता है। संस्कृृत के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए आचार्य रजनीकांत पिछले एक अगस्त से प्रयासरत है। आचार्य रजनीकांत के प्रयास के परिणामस्वरुप झांसी में संस्कृत के प्रति लोगों में उत्साह का माहौल बन रहा है।

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