महि‍ला दध‍ीचि‍ के रुप में इनको हमेशा क‍िया जाएगा याद

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झांसी। अपने पूरे जीवन में एक अच्छी बेटी, एक अच्छी पत्नी, एक अच्छी मां, एक अच्छी इंसान होने का फर्ज तो बखूबी निभाती रही, पर इस संसार से विदा लेते लेते वह एक ऐसी मिसाल कायम कर गयीं जिसे मानवता हमेशा हमेशा के लिए याद करेगी। इनका नाम श्रीमती पूर्णिमा श्रीवास्तव, पत्नी राकेश कुमार खरे (स्टेनो एडीएम झाँसी) है।
पूर्णिमा जी झाँसी में खनिज विभाग में माइंस सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थीं। 1-2 सितम्बर की मध्यरात्रि उनको ब्रेन हैमरेज हो गया, जिसके चलते उन्हें दिल्ली अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, उनका ऑपरेशन भी सकुशल हो गया, परिजनों के अथक प्रयास व देखभाल से वह अच्छी होने लगी थीं, लेकिन 3-4 दिन के बाद अचानक उनकी तबियत बिगड़ने लगी व डॉक्टरों ने आशंका जताई कि अब उनके पास बहुत अधिक समय नहीं बचा है, तब उस पुण्यात्मा ने अपने पति व बच्चों के सामने अपने अंगदान करने की इच्छा जताई।

वि‍गत 12 सितम्बर को पूर्णिमा जी ने अंतिम सांस ली, जिसके उपरांत उनकी अंतिम इच्छा तो मुख रखते हुए पति राकेश खरे ने डॉक्टर से बात कर उनकी इच्छा को पूर्ण करने को कहा। पूर्णिमा जी के द्वारा दान किया गया हृदय चेन्नई के लिए एयर एंबुलेंस से रवाना किया गया। लिवर ट्रांसप्लांट का आपरेशन अपोलो अस्पताल में चलाा। उनकी एक किडनी एम्स अस्‍पताल में एक मरीज को दी गई व दूसरी अपोलो अस्पताल में ही भर्ती एक मरीज को मिली। जब पूर्णिमा जी का पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंपा गया, तब एक ऐसा दृश्य देखने को मिला एक तरफ हर आंख नम थी, दूसरी तरफ अपोलो अस्पताल में मौजूद सभी डॉक्टर, स्टाफ व आसपास मौजूद सभी आमजन दोनो तरफ कतार बना कर उनको सलाम करते नज़र आये। हर आंख नम थी व हर दिल में पूर्णिमा जी के लिए प्यार व सम्मान दिखा। 14 सितम्बर को झाँसी में दोपहर 1 बजे स्थान उन्‍नाव गेट मुक्ति स्थल पर पूर्णिमा जी को अंतिम विदाई दी जाएगी।

र‍िपोर्ट प्रभात साहनी झांसी।

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