स्वच्छता विचार की अपेक्षा व्यवहार का विषय है- कुलसचिव

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झांसी। बुन्देलखण्ड विश्‍वव‍िद्यालय के श‍िक्षा संस्थान में उ0प्र0 शासन के आदेशानुसार 14 से 20 सितम्बर तक मनाये जाने वाले स्वच्छता एवं सेवा सप्ताह के अंतर्गत स्वच्छता अभियान चलाया गया। साथ ही इस दौरान एक संगोष्‍ठी का आयोजन किया गया। संगोश्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलसचिव नारायण प्रसाद ने कहा कि स्वच्छता विषय पर बोलने की अपेक्षा श्रमदान करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा की भारत जैसी संस्कृति वाले देष में यदि हम आज स्वच्छता को लेकर चर्चा या संगोश्ठी करनी पड़ रही है तो यह चिंता का विशय है। हमारे तो दर्शन और दिनचर्या में स्वच्छता निहित है। बस उसे हमें व्यवहार में लाने की जरूरत है।
मुख्य अतिथि महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विष्वविद्यालय की परीक्षा नियंत्रक एवं राजनीति शास्‍त्र की प्रो. नीलम चौरे ने कहा कि स्वच्छता के लिये हमें मानसिक स्तर पर परिवर्तन लाना होगा। सभी लोग अपने घर को तो स्वच्छ रखने के लिये तो गंभीर हैं पर घर के बाहर उनके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता कर्म को निम्न स्तर का मानना ही इसका परिणाम है। हमें स्वच्छता एवं स्वच्छता कर्मी के प्रति सम्मान के भाव को जागृत करना होगा। तभी कुछ परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि इंदौर केवल नगर निगम के कर्मचारियों की बदौलत नहीं बल्कि वहां के नागरिकों के प्रयास के कारण आज देष में सबसे स्‍वच्‍छ शहर है।
विषिश्ट अतिथि छात्र कल्याण अधिश्ठाता प्रो. देवेष निगम ने अपने छात्र जीवन का उदाहरण देकर कहा कि हमारे स्कूल में प्रत्येक दिन प्रार्थना से पहले दो बच्चों को कक्षा की सफाई का दायित्व दिया जाता था। इससे छोटी आयु में से ही बच्चे सफाई के प्रति जागरूक रहते थे। उन्होंने छात्रों का आवाह्न किया कि वे अपने परिसर की स्वच्छता की जिम्मेदारी लें। इसे एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करें, जिससे अन्य विभागों के छात्र भी प्रेरणा ले सकें।
विषिश्ट अतिथि राश्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक एवं हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा. मुन्ना तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही स्वच्छता के कार्य को सबसे पहले प्राथमिकता दी। उनका प्रयास आज जनआंदोलन बन गया है। आगामी 2 अक्टूबर को एक बार प्रयोग में लायी जाने वाली प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक इसी क्रम में बड़ा निर्णय है। उन्होंने कहा कि जब तक हम वसुधैव कुटुम्बकम के सूत्र को नहीं अपनाएंगे तब तक सार्वजनिक स्थानों की स्चच्छता की प्रति हम उदासीन रहेंगे। संपत्ति अधिकारी डा. देवेन्द्र भट्ट ने कहा कि हमारे यहां तो स्वच्छता को देवता के समतुल्य माना गया है। यह मान्यता है कि बिना स्वच्छता के आपके घर में देवता भी प्रवेष नहीं करते। ऐसे देष में अगर हम स्चच्छता पर चर्चा कर रहें हैं तो यह चिंतनीय है। षिक्षा संस्थान के विभागाध्यक्ष डा. पुनीत बिसारिया ने सभी का आभार प्रकट करते हुए महात्मा गाँधी द्वारा स्वच्छता के लिये किए गए कार्यांें से सबको अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हमें गाँधीजी के रास्ते पर चलने की जरूरत है। इस अवसर पर डा अचला पाण्डेय, डा नवीन पटेल, डा कौषल त्रिपाठी, डा काव्या दुबे, डा जीतेन्द्र प्रताप, डा धीरेन्द्र सिंह यादव, डा सुनील कुमार त्रिवेदी, महेन्द्र कुमार, संजय कुमार, भुवनेष्वर सिंह, डा रष्मि सिंह, डा दीप्ति कुमारी, प्रतिभा खरे, षिखा खरे के साथ अन्य षिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। संचालन डा सुषमा अग्रवाल ने किया।

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