पर्यटन पर हुई व्याख्यानमाला में सीखे रोजगार के गुर

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झांसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर में संचालित पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन संस्थान के द्वारा विश्व पर्यटन दिवस के उपलक्ष में आयोजित किये जा रहे पर्यटन सप्ताह के अवसर पर आज संस्थान में एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। पर्यटन संस्थान के सभागार में हुए इस समारोह में पर्यटन मंत्रालय के भूतपूर्व उप महानिदेशक गौर कांजिलाल, होटल प्रबन्ध संस्थान, भोपाल के प्रधानाचार्य प्रो.आनन्द सिंह के अतिरिक्त झांसी के प्रमुख समाजसेवी तथा कला मर्मज्ञ मुकुंद मेहरोत्रा मुख्य वक्ता थे।
पूर्व उपमहानिदेशक पर्यटन मंत्रालय, गौर कांजिलाल ने पर्यटन भारत ही नही विश्व में सर्वाधिक रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त पर्यटन मानव श्रमशक्ति को पलायन से भी रोकता है। पर्यटन विभिन्न प्रकारों से रोजगार प्रदान करने में सहायक होता हैं। वैश्विक स्तर पर पर्यटन एक बहुत बड़ा उद्योग है। यह कई क्षेत्रों में अवसर सृजित करता है। बड़े पैमाने पर नौकरियां प्रदान करता है। भारत सदैव पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाता रहा है लेकिन दरकार बड़े कदम उठाने की है। उन्होंने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 9.6 फीसदी है। इसका 88 फीसदी घरेलू पर्यटन से प्राप्त होता है तथा देश के कुल रोजगार अवसरों में से 9.3 फीसदी पर्यटन के माध्यम से ही आते हैं। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2028 तक इस उद्योग के माध्यम से वर्तमान में उत्पन्न होने वाले रोजगार 42.9 करोड़ की अपेक्षा 52.3 करोड़ रोजगार उत्पन्न होंगे। कांजिलाल जी ने कहा कि 2016 में पूरे विश्व में पर्यटन वृद्धि 4 प्रतिशत रही जबकि भारत में यह 9.7 प्रतिशत दर्ज की गई। भारत का पर्यटन और स्वास्थ्यप्रद पर्यटन मुहैया कराने की दृष्टि से विश्व में 5वां स्थान है। भारत जैसे विरासत के धनी राष्ट्र के लिए पुरातात्विक विरासत केवल दार्शनिक स्थल भर नहीं होती वरन् इसके साथ ही वह राजस्व प्राप्ति का स्रोत और अनेक लोगों को रोजगार देने का माध्यम भी होती है।
होटल प्रबन्ध संस्थान, भोपाल के प्रधानाचार्य प्रो. आनन्द सिंह ने पर्यटन के क्षेत्र में विशेष रूप से खानपान के क्षेत्र में आ रही नवीन प्रवृत्तियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोई भी पर्यटक अपने टूर के दोरान अपने भोजन का विशेष ध्यान रखते है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने क्षेत्र में पर्यटन को बढावा देने हेतु खान-पान के लिए भी कुछ विशेषज्ञों की सहायता लेनी पड सकती है। खान-पान की सूची में स्थानीय पकवान, स्थानीय फल और सब्जियां को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। अनका मानना था कि ग्रामीण इन वस्तुओं की आपूर्तिकर रेाजगार भी प्राप्त कर सकेत है।
इस अवसर पर झांसी के प्रमुख समाजसेवी तथा कला मर्मज्ञ मुकुंद मेहरोत्रा ने उपस्थ्तिा छात्र-छात्रओं से कहा कि वे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों को स्थानीय भौजस पदार्थो के बारे मे जानकारी दें तथा उन्हे स्थानीय व्यंजन उपलब्ध करवाएं। इस दौरान मुकुन्द मेहरोत्रा ने विभिन्न व्यजनोंं के औषधीय गुणों के बारे में भी उपस्थित छात्र-छात्राओं को जानकारी दी। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन, माल्यार्पण ततथा पुष्पार्चन से हुआ। आमंत्रित अतिथियों को पुष्पकलिका भेंटकर सम्मानित किया गया। पर्यटन एवं होटल प्रबन्ध संस्थान के निदेशक एवं विभागाध्यक्ष प्रो.सुनील काबिया ने अतिथियों को स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए संस्थान एवं संस्थान के छात्र-छात्राओं की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया।
समारोह के अन्त में आमंत्रित अतिथियों को कुलपति प्रो.वैशम्पायन द्वारा शाॅल, श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रो. प्रतीक अग्रवाल, डा.संजय निबोरिया, डा.शैलेन्द्र तिवारी, डा.प्रणव भार्गव, डा.महेन्द्र कुमार, डा.सुधीर द्विवेदी, डा.रमेश चंद्रा, संजय कुमार, अशीष सेठ, जी.के.श्रीनिवासन, आयुष सक्सेना, मुकुल खरे, प्रभाकर पाण्डेय, अंशुमान सिंह, मेधा जायसवाल, हेमंत चंद्रा, आर.एन.पाठक आदि उपस्थित रहे।

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