संस्कृति में छिपे हैं बहुआयामी विकास के सूत्र : प्रो. देवेश निगम

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झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान की ओर से संचालित संस्कृत शिक्षण केंद्र और राष्ट्रीय कला मंच के संयुक्त तत्वावधान में आज मंगलवार को आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियांे ने अपनी संस्कृत के व्यवहारिक शब्दों के ज्ञान और संभाषण, श्लोक और गीत गायन की प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया। ओवर आल तनु श्री ठाकुर प्रथम, हिमांशु यादव द्वितीय और स्नेहा सोनी ने तृतीय स्थान हासिल किया। इन प्रतिभागियोें को अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेश निगम ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रो. निगम ने कहा कि संस्कृत में देश के बहुआयामी विकास के आयाम छिपे हुए हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए सक्रियता से कार्य करने का आह्वान किया।
विविध प्रतियोगिताओं में शामिल विद्यार्थियों कामद दीक्षित, स्वस्ति जैन, आकाश मणि, दीपक पासवान, पुष्पराज सिंह, जितिन सोनी, प्रज्ञा पाल, देवेश मिश्र, प्रियांशु शंखवार और संस्कृति गिरवासिया ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किए। इन सभी को प्रो. निगम और अतिथियों ने सम्मानित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के पूर्व प्रमुख डा. सीपी पैन्यूली ने संस्कृत को विविध भाषाओं की जननी बताते हुए युवाओं को इसके प्रसार के लिए सक्रियता से उसे अपनाने का आह्वान किया। इस मौके पर विभाग के समन्वयक डा. कौशल त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत संबसे वैज्ञानिक भाषा है। इसके विकास के लिए समुचित नीति बनाने की जरूरत है। इस कार्यकम का संचालन संस्थान के शिक्षक उमेश शुक्ल और अंत में आभार संस्कृत शिक्षण केंद्र के प्रशिक्षक आचार्य रजनीकांत आर्य ने व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में सतीश साहनी, राघवेंद्र दीक्षित, अभिषेक कुमार, डा. उमेश कुमार, राष्ट्रीय कला मंच के पदाधिकारी पंकज भारद्वाज समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।

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