किसान फसल की निगरानी में बरतें सतर्कता : जिला कृषि अधिकारी

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झांसी। किसान अपनी फसल की निगरानी करते समय सतर्कता बरतें और रोगों के लक्षण दिखाई देते ही विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों और दवाओं का इस्तेमाल करें। जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में छिटपुट वर्षा एवं तापमान में तेजी से गिरावट होने के कारण फसलों में रोग/ कीट के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है, ऐसी स्थिति में समस्त किसान भाई अपनी फसलों को रखवाली करने में सावधानी बरतें। यह बात जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार ने विकासखंड चिरगांव के ग्राम चंदवारी में किसानों के मध्य खेत में फसल का निरीक्षण करते हुए कही, उन्होंने कहा कि चना/ मटर में इल्ली का प्रकोप तथा गेहूं में पीली धारियों के रूप में के गेरूई के लक्षण दिखाई दे तो तत्काल उपचार करें।
किसानों से बात करते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार ने मौके पर किसानों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए, उन्होंने कहा कि घरेलू उपाय से भी हम अपनी फसलों को बचा सकते हैं। यदि पाला की संभावना है तो खेतों की मेड़ पर धुआं आदि का प्रबंध करें इससे सीधा लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राई/ सरसों में माहू एवं लीफ मइनर (पत्ती सुरंगक) से बचाव हेतु एजाडिरैकिटन धीरे 0.1 5% ईसी 25 लीटर अथवा डाईमैथोंएट 30% ईसी की 1.00 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार तुलासिता एवं अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा से बचाव हेतु मैंकाजेब 75% अथवा जिनेब 75% डब्ल्यू पी 2.00 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि चना, मटर,व मसूर में सेमी लूपर से बचाव हेतु 50 से 60 बर्ड पर्चर प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना चाहिए। इस कीट केजैविक नियंत्रण हेतु वैसिलस ध्यूरिजियेनसिस (बी टी) 1.00 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 पानी में मिलाकर छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि गेहूं में पीली गेरुई के प्रकोप के लक्षण प्रायः पत्तियों पर पीले पाउडर की धारियों के रूप में दिखाई देते हैं। इसके प्रकोप की दशा में प्रोपीकोना जोल 25% ईसी की 500 मिलीलीटर मात्रा को 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें जल्द लाभ होगा। उन्होंने किसानों से कहा कि क्षेत्र में आलू उत्पादन कम होता है, परंतु जो किसान आलू की खेती करते हैं वह फसल में अगेती/ पछेती झुलसा रोग की रोकथाम हेतु जिनेब 75% डब्ल्यूपी 2.00 किलोग्राम अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, ऐसा करने से प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है।
किसानों से बात करते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने कहा कि कीटनाशी दुकानों से यदि दवाएं खरीदते हैं तो रसीद अवश्य लें, ताकि दवा नकली होने पर कीटनाशी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा कि यदि कीटनाशी दवा के विक्रेता मिसब्रांड कीटनाशक बेचते हैं तो माननीय न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। इस मौके पर गांव की ढेरों किसान व कृषि विभाग के कर्मचारी उपस्थित रहे।

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