सम्पूर्ण आबादी में से अधिकतम को क्रियाशील जनशक्ति बनाने की चुनौती: प्रो. यादव

बुविवि में एनसीसी की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन

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झांसी। इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. यादव ने कहा कि देश के नीति नियंताओं के सामने सम्पूर्ण आबादी में से अधिकतम को सक्रिय और क्रियाशील जन शक्ति के रूप में परिवर्तित करने की अहम चुनौती ख़ड़ी है। इससे पार पाने के लिए हमें समय पर उचित कदम उठाने होंगे। प्रो. यादव बृहस्पतिवार को बंुदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में एनसीसी की ओर से आयोजित एक खास कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। यह 22वें दीक्षांत समारोह में प्रस्तावित कार्यक्रमों की विशेष श्रृंखला की एक कड़ी के रूप में ही आयोजित किया गया।
प्रो. यादव ने आज पूरी दुनिया में भारत सबसे ज्यादा युवा शक्ति वाले देश के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या का बोझ सामाजिक समरसता को दबाव मेें ला रहा है। तमाम विघटनकारी शक्तियां अपने विध्वंसक कामों को अंजाम देने के प्रयास में जुटी हुई हैं। ऐसे में देश के नीति नियंताओं के समक्ष देश की पूरी आबादी में अधिकतम लोगों को क्रियाशील और सक्रिय शक्ति के रूप में तब्दील करने की अहम चुनौती मुंह बाए खड़ी है। हम सबको मिल जुलकर सोचना होगा कि कैसे देश की युवा शक्ति का अधिकतम उपयोग कर सकें। उन्हांेने कहा कि दुनिया में वर्तमान में कुल 194 राष्ट्रों में से 160 ऐसे हैं जिनमें किसी न किसी प्रकार की जातीय हिंसा और अशांति के मामले दिखाई दे रहे है। आतंकवाद इन देशों पर तेजी से अपनी पकड़ बढ़ा रहा है। उन्होंने अतीत का जिक्र करते हुए कहा कि बीसवीं सदी को सर्वाधिक हिंसा की सदी माना जाता है। इस अवधि में दो विश्वयुद्ध हुए। इसके अलावा यह सदी कई युद्धों और उपद्रवों के लिए भी जानी जाती है। इक्कीसवीं सदी को अनिश्चितता की सदी बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश के समक्ष विचारणीय प्रश्न यही है कि कैसे इसकी अधिकतम जनशक्ति का उपयोग रचनात्मक और विकास कार्यों में किया जा सके। उन्होंने कहा कि ज्ञान, विज्ञान के प्रसार और सृजन से पवित्र कोई काम नहीं है। कोरिया के तानाशाह की गतिविधियों की ओर इशारा करते हुए प्रो. यादव ने कहा कि वह लगातार दुनिया को खतरे की ओर ले जा रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी के ख्यातिलब्ध विद्वान और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र दुबे ने वैश्विक परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि अब आसुरी शक्तियों का संहार आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि उत्तरी कोरिया के सनकी तानाशाह की वजह से आज दुनिया के सिर पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। प्रो. दुबे ने कहा कि ज्ञान की शक्ति दुनिया में सबसे बड़ी है। अब यह सोचना भी अहम होगा कि ज्ञान का प्रयोग कैसे मानव के अधिकाधिक कल्याण के लिए किया जाए। अमेरिका और रूस के बीत लंबे समय तक चले शीत युद्ध का जिक्र करते हुए प्रो. दुबे ने कहा कि दुनिया के विचारकों और समीक्षकों की चेतावनियों का ही असर यह रहा कि इन दोनों ने कभी परमाणु शक्ति का प्रयोग नहीं किया। प्रो. दुबे ने कहा कि केवल फसलों के अवशेष और पटाखे जलाने से दिल्ली का पर्यावरण खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। आप कल्पना कर सकते हैं कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बाद दुनिया के पर्यावरण की क्या दशा होगी। इससे पहले प्रो. दुबे ने अपने पुराने मित्र और मुख्य अतिथि प्रो. आरपी का गरमजोशी से स्वागत किया। उनकी विशिष्टताओं की जमकर सराहना की। उन्होंने यह भी बताया कि उत्कृष्ट वैश्विक प्रतिरक्षा चिंतक प्रो. यादव के कारण सेना के कई उच्चाधिकारियों से मिलने का सुअवसर उन्हें मिला। इस कार्यक्रम में छात्र कल्याण अधिष्ठाता एवं एनसीसी अधिकारी प्रो सुनील काबिया, डा. रश्मि सिंह, डा. विनीत कुमार, सतीश साहनी, उमेश शुक्ल, जय सिंह, अभिषेक कुमार समेत अनेक शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

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