नारी को नमन : कभी सोचा न था कि समाजसेवा जैसी भी सेवा होती है

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झांसी। नाम सीमा शर्मा सुपुत्री मऊरानीपुर निवासी रामकिशुन दुबे औ राजकुमारी दुबे एक साधारण सी जिन्‍दगी जीने वाली युवती रहीं और विवाह के बाद घर परिवार में उलझ गईं। इससे बाहर की दुनिया कभी जानी और समझी ही नहीं। अचानक एक भीड़ का हिस्‍सा बनी और फिर धीरे धीरे उस भीड़ में ही रहते हुए चमकने लगी। आज उनकी पहचान उप्र व्‍यापार मण्‍डल की महिला शाखा की सक्रिय सदस्‍य के रुप में होने लगी।
अपने तीन बहन और एक भाई में तीसरे नम्‍बर की सीमा शर्मा ने कभी परिवारिक माहौल में रहने के अलावा कुछ सोचा ही नहीं। पिता आढ़त का काम करते थे। उन्‍होंने सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ही मन लगाया और बीए पूर्ण की। उनका विवाह झांसी निवासी केसी शर्मा के साथ हुआ, जो वर्तमान में जिला अस्‍पताल में स्‍टेनो के पद पर कार्यरत हैं।


यहां भी वह अपने परिवार को सम्‍भालने में लगी रहीं। शादी के बाद एक बेटा और दो बेटी हुए, जिनमें बेटा सिविल अस्‍पताल में पदस्‍थ है। एक बेटी का विवाह हो गया और एक की अभी पढ़ाई जारी है। इन सभी के दौरान मंदिर और ईश्‍वर की सेवा, पूजन पाठन में समय बीतता रहा। अचानक व्‍यापार मण्‍डल के महिला संगठन के कार्यक्रम में भीड़ के रुप में शामिल हुईं और एक राह दिखाई दी। उसके बाद उन्‍होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह एक सक्रिय सदस्‍य के रुप में महिला व्‍यापार मण्‍डल के साथ काम कर रही हैं और कहीं भी दूसरों की मदद की बात आती है, तो तन मन धन से सहयोग करती हैं। श्रीमती सीमा शर्मा का मानना है कि घर परिवार के लिए समर्पित होकर काम करें, तो भगवान भी खुश रहता है। महिला दिवस पर वह कहती हैं कि महिलाओं को कोई भी काम करने में अपनी इज्‍जत भी बनाए रखना जरुरी होता है।

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