ननि में कार्यकारिणी को लेकर शुरु हुई जोड़तोड़ – रिपोर्ट नीरज सक्सेना

- 21 सभासदों के साथ भाजपा है सबसे बड़ा दल - दूसरे नम्बर पर 17 निर्दलीय सभासद बिगाड़ सकते हैं सबकी गणित

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झांसी। नगर निगम के नए सदन के गठन और पहली बैठक होने के बाद अब कार्यकारिणी का गठन 24 जनवरी को होना है, जिसमें 12 सदस्यों को चुने जाने के लिए चुनाव होंगे। इसको लेकर सभासदों में गहमागहमी षुरु हो चुकी है। सभी राजनैतिक दलों के सूरमा अपने हिसाब से गणित लगाकर जोड़तोड़ की राजनीति बनाने में व्यस्त हो चुके हैं, तो इस बार निर्दलीय सभासदों की संख्या अधिक होने के कारण वह भी असमंजस में हैं। इसको लेकर राजनैतिक दल पूरी तरह फायदा लेने के प्रयास में लगे हैं।
बता दें कि नगर निगम बोर्ड की बैठक विगत 6 जनवरी को सम्पन्न हुई थी, जिसमें महापौर रामतीर्थ सिंघल ने कार्यकारिणी गठन के लिए 24 जनवरी की तारीख निर्धारित की थी। ऐसे में सत्ता के हर मोर्चे को फतह करती जा रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब इस कोषिष में है, कि कार्यकारिणी में बहुमत भी उनका रहे। इससे उनका ही उप सभापति हो और विकास कार्यों में किसी तरह का अड़ंगा न लगे। भाजपा ने चुनाव की तारीख तय होते ही अपना वर्चस्व बनाने के लिए रणनीति बनानी षुरु कर दी थी। वहीं इसको लेकर बसपा, कांग्रेस व सपा के सभासद भी अपना संख्या बल बढ़ाने के प्रयास में लगे हुए हैं। अब यह स्थिति है कि वर्चस्व को लेकर सभी दल निर्दलीय सभासदों पर डोरे डालने में लगे हुए हैं।

इसलिए है कार्यकारिणी का महत्व

नगर निगम बोर्ड में कार्यकारिणी का महत्व कितना है, यह इस बात से पता चलता है कि बजट सहित नगर निगम द्वारा कराए जाने वाले विकास कार्यों के प्रस्तावों को पहले कार्यकारिणी की बैठक में रखा जाता है। उसके बाद यहां से प्रस्ताव व बजट पास होने के बाद ही सदन की बैठक में रखा जाता है। यही कारण है कि कार्यकारिणी में अधिक सदस्य हो यह सदन में सभी दलों की यह इच्छा रहती है।

यह है ननि सदन में दलगत स्थिति

नगर निगम कार्यकारिणी के लिए होने वाले चुनाव में जीतकर आए महापौर और 60 सभासद अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। वर्तमान बोर्ड में भाजपा 21 सभासदों के साथ सबसे बड़ा दल है। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी 11, कांग्रेस के 6, सपा के तीन और आप पार्टी के दो सभासद हैं। वहीं निर्दलीय सभासदों की संख्या 17 है। इसके अलावा चुनाव में पदेन सदस्यों के रुप में सदर विधायक, बबीना विधायक, क्षेत्रीय सांसद, राज्यसभा सांसद और एमएलसी भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

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