झांसी। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देशभर में लॉकडाउन नशे के शौकीनों पर कुछ ज्यादा ही भारी पड़ रहा है। इसके चलते जहां शराब की दुकानें बंद हैं, तो उप्र में मुख्यमंत्री द्वारा पान मसाला बंद किया जा चुका है। वहीं सिगरेट व बीड़ी आदि बाहर से आ ही नहीं पा रही है। ऐसे में नशे के शौकीनों को अपनी जेब सबसे ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है। इससे पान मसाला बंद होने से गुटखा खाने वालों को 20 रुपए वाले गुटखेे का पाउच 30-40 रुपए तक में खरीदनाा पड़ रहा है। वहीं सिगरेट व बीड़ी के बंडल भी जरुरत से ज्यादा महंगे हो गए हैं। पांच रुपए वाली सिगरेट से लेकर 16 रुपए वाली सिगरेट तक सभी पर पांच रुपए से सात रुपए तक बढ़ गए हैं। वहीं ऐसा लग रहा है कि ब्लैक में शराब बेचने वाले तो लॉकडाउन खत्म होने तक अम्बानी तो नहीं लेकिन खुद को झांसी के बड़े व्यापारियों के समकक्ष हो जाएंगे। इसका प्रमुख कारण है कि नशे के शौकीनों के लिए यह चीजें जरुरी न होने के बाद भी उनके लिए भोजन से ज्यादा महत्व रखती हैं।
इस सम्बंध में बात करने पर एक गरीब मजदूर ने बताया कि वह जब तक हर घण्टे में दो चार बीड़ी न पी लें, तो उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ किया ही नहीं और खाली रहने पर इसकी तलब और ज्यादा लगती है। जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से बीड़ी मिलना मुश्किल हो गया है। सुबह दुकानों पर जहां बंडल मिलता है, वहां पहले तो सही कीमत पर मिला। अब जैसे जैसे लॉक डाउन का समय बढ़ता जा रहा है। बंडल महंगा होता जा रहा है। 5 रुपए वाला बण्डल मिल ही नहीं रहा है। वहीं 10 से 20 रुपए तक वाले बंडल में पांच से 10 रुपए तक बढ़ा दिए हैं। कोई कोई दुकानदार तो 10 रुपए का बंडल भी 20 रुपए में बेच रहा है। दुकानदार का कहना है कि नॉर्मल सप्लाई आ नहीं रही है। जो आ रही है, वह महंगी आ रही है। वहीं सिगरेट को लेकर दुकानदार का कहना है कि सप्लाई न आने के कारण कई ब्राण्ड तो काफी महंगे हो गए हैं। वहीं जहांं वह सिगरेट के दस से पन्द्रह पैकिट बेचने के लिए लेते थे। अब एक या दो पैकिट ही लेकर आते हैं और खुली सिगरेट ही बेचते हैं। उसमें आए दिन ग्राहकों से झगड़ा होने की नौबत भी आ जाती है। हमारी मजबूरी यह है कि जब थोक में ही महंगा मिल रहा है, तो फुटकर में सस्ता कैसे बेच दें। अब स्थिति यह हो गई है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पान मसाला बंद कर देने से गुटखा, तंबाकू, सुरति या खैनी आदि अब कुछ भी मिलना आसन नहीं है, लेकिन इनके शौकीन कहीं न कहीं से यह ढूंढ ही लाते हैं। भले ही कितना महंगा मिल रहा हो। गुटखेे की तो यह स्थिति है कि पांच रुपए कीमत वाला गुटखा अब 15 रुपए में दो मिल रहे हैं। 10 रुपए वाला 15 रुपए का तो 20 रुपए वाले गुटखे से तो लोग अमीर बनने की तैयारी में है। सब मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। कोई 30 का, कोई 35 का तो कोई 40 रुपए का बेच रहा है। इसके साथ ही तम्बाखू की पुड़िया भी पांच रुपए से दस रुपए महंगी मिल रही है। यह तम्बाखू और गुटखा आदि बाजारों में दुकान वालों ने तो लगभग रखना बंद कर दिया है, लेकिन गलियों में खुली दुकानों में यह गोरखधंधा चल रहा है। वहीं शराब की ब्लैक मार्केटिंग भी खूब हो रही है। शौकीनों के अनुसार हर किसी को नहींं मिल रही है, जिसकी पहुंच है उसी को मिल रही है। जानकारी अनुसार शराब के हर र्क्वाटर से लेकर बोतल तक पर दुगनेे से तीन गुने रुपए लिए जा रहे हैं। अब जिसकी जरुरत है, वह मजबूरी में खरीद रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह शौकीन दुकानदारों को कोसते तो नजर आते हैं, लेकिन जब इनसे कहो कि प्रशासन या पुलिस में ऐसे लोगों की शिकायत करने की बात कहो, तो यह कहते हैं कि महंगा ही सही अभी मिल तो रहा है। प्रशासन या पुलिस की कार्रवाई के बाद मिलना ही बंद हो जाएगा।