क्षेत्र पंचायतों के घपलों की खुली परतें

- बामौर में 55 हजार का गबन, 6.90 लाख का दुरुपयोग - बड़ागांव, चिरगांव, बबीना, मोंठ व बंगरा में भी वित्तीय अनियमितताएं

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झाँसी। ग्राम पंचायतों के बाद क्षेत्र पंचायतों में भी सरकारी धन के घपलों की परतें उधड़ने लगी हैं। छह क्षेत्र पंचायतों में किए गए ऑडिट में करीब डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का घपला पकड़ा गया है। इसमें से 50 हजार रुपये से अधिक का सीधा गबन है, जबकि एक करोड़ रुपये से अधिक की अन्य अनियमितताएं पाई गई हैं।
जिला लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायत के लेखा परीक्षकों द्वारा कराए गए क्षेत्र पंचायतों के अभिलेख परीक्षण में 2014-15 से 2016-17 तक व्यापक वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं। टीम ने आठ में से छह क्षेत्र पंचायतों का ऑडिट किया। बामौर क्षेत्र पंचायत में 55 हजार रुपये का गबन, 6,90,660 रुपये की वित्तीय अनियमितता पाई गई। ऑडिट में पाया गया कि क्षेत्र पंचायत बामौर में राज्य वित्त आयोग मद में अर्जित ब्याज 4,57,326 रुपये को दूसरे मद में खर्च किया गया तथा 1,33,333 रुपये अर्जित ब्याज को राजकोष में जमा नहीं किया गया। साथ ही 55 हजार रुपये की निकासी की गई लेकिन उसके खर्च के प्रमाण नहीं मिले। इन मामलों में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी श्यामसुंदर विश्वकर्मा, हरचरन राही, मुकेश कुमार, तत्कालीन लेखाकार प्रेमनारायण पाल व रामरतन पटेल सहित सहायक लेखाकार सत्यप्रकाश लेखाकार को जिम्मेदार माना गया है। सहायक लेखाकार पर आरोप है कि वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 के अंत में 28600 रुपये प्राप्त करने का जिक्र तो सहायक लेखाकार ने किया लेकिन ऑडिट में 55 हजार रुपये खर्च करने के जो सबूत मिले उनके मदवार व्यय प्रमाण नहीं दिए गए। खंड विकास अधिकारी ने इस संबंध में उन्हें पैसा जमा करने को पत्र भी लिखा लेकिन कोई तवज्जो नहीं मिली।
इसी तरह 2015-16 एवं 2016-17 में बड़ागांव क्षेत्र पंचायत में 1,29,131 रुपये की वित्तीय अनियमितता व 44925 रुपये के दुरुपयोग, चिरगांव में 4,89,516 रुपये के दुरुपयोग, 2016-17 में बबीना में 13,91,250 रुपये, मोंठ में 17,83,663 रुपये एवं बंगरा में 5,99,505 रुपये की वित्तीय अनियमिताएं पाई गईं। जिला लेखा परीक्षा अधिकारी अश्विनी शुक्ला ने बताया कि ऑडिट रिपोर्ट जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, संयुक्त विकास आयुक्त सहित शासन को भेजकर रिकवरी की संस्तुति की है। उन्होंने बताया कि मऊरानीपुर एवं गुरसरांय में ऑडिट चल रहा है।

क्या है वित्तीय अनियमितता

क्षेत्र पंचायतों के बैंक अकाउंट में शासन धनराशि भेजती है। उससे मिलने वाले ब्याज को राजकोष में जमा किया जाता है। जो ब्याज की राशि का इस्तेमाल करते हैं वह दुरुपयोग की श्रेणी में आता है। इसी तरह अनुदानों से मिले ब्याज की धनराशि को 31 मार्च तक जमा नहीं करने पर वित्तीय अनियमितता मानी जाती है। जिला लेखा परीक्षा कार्यालय के अनुसार जो पंचायतें पिछले साल का ऑडिट समय से कराती हैं, पांच वर्ष तक के बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण कराती हैं, राजस्व में वृद्धि करती हैं, खुले में शौच मुक्त गांव बनाती हैं और दो साल का ऑडिट सही रखती हैं उन्हें दस प्रतिशत परफार्मेंस ग्रांट मिलती है। ऐसा न कराने पर अनुदान में कटौती हो जाती है।

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