जाने एक अभिनेत्री, बुविवि की शिक्षिका, एक समाजसेविका और एक इवेण्‍ट प्‍लानर के इस पहलू को भी

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झांसी। कोरोना संक्रमण से फैली विश्‍वव्‍यापी महामारी से हम सभी तकलीफ में हैं, लेकिन ऐसे चिर परिचित चेहरों के अपरिचित गुण इस दौरान बाहर निकल कर लोगों के सामने आ रहे हैं। इनसे कई लोग प्रेरणा ले रहे हैं, तो कई लोग हास्‍य में उड़ा रहे हैं। ऐसे ही चार चेहरों को एशिया टाईम्‍स अपनी सीरिज की दूसरी स्‍टोरी में सामने ला रहा है। इनमें से एक अभिनेत्री है, जिसको ग्‍लैमर की दुनिया ने अपने पिता से ही दूर कर दिया था, तो दूसरी बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय की रसायन विज्ञान की शिक्षिका हैं। वहीं एक समाजसेवी हैं, जो समाजसेवा के साथ कई प्रयोग कर रही हैं। चौथी एक इवेण्‍ट प्‍लानर हैं, जो अपनी एक अलग ही पहचान रखती हैं। आइये जाने हम इनकी प्रतिभाओं को कि यह किस प्रकार इस लॉकडाउन के दौरान अपने अपरिचित गुणों को सामने ला रही हैं।

एक्‍टिंग में निखार लाने के साथ करती है शरारतें भी


झांसी की बेटी सिमरन कौर आज मुम्‍बई जाकर अभिनेत्री बन गई और शहर का नाम रोशन कर रही है। लॉकडाउन के दौरान वह मुम्‍बई में ही घर पर रह रही है। ऐसे में एशियाटाईम्‍स की सम्‍पादकीय टीम को दूरभाष अपने लॉकडाउन के दौरान हो रहे अनुभवों को अवगत कराते हुए बताया कि मेरा पहला काम घर वालों का मनोरंजन है, जो मैं सारा दिन करती हूं, चाहे फिर वह छोटी मोटी शरारतें ही हों| लॉक डाउन होने पर भी मैंने अपने दिनचर्या को नहीं बदला, दिन की शुरुआत योगा और जल्दी उठने से ही होती है। उसके बाद छोटे-मोटे कामों में हाथ बटाना, मनोरंजन के लिए टीवी या मोबाइल का सहारा लेना। थोड़ी देर खिड़की पर बैठकर बाहर का माहौल देखना। पक्षियों को दाना खिलाना पक्षी बातें नहीं करते लेकिन मैं उनसे बात करती हूं। मुझे अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करना बहुत अच्छा लगता है और मुझे खुशी है कि मुंबई में मेरे साथ मेरी मम्मी भी रहती है और इस लॉक डाउन के दौरान मेरे भाई भी मेरे पास है। काम की वजह से पहले हम एक दूसरे को इतना समय नहीं दे पा रहे थे और अब पूरा दिन साथ में रहकर बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन फिर भी दुआ करते हैं की जल्दी से हमारी जिंदगी पहले की तरह शुरू हो जाए क्योंकि इस बीमारी से कुछ परिवार बहुत दूर हो चुके हैं| इन दिनों में मैं प्रतिदिन कुछ ना कुछ नया सीखती ही रहती हूं, चाहे फिर वह रसोई घर में ही क्यों ना हो और जो खाली समय हमें मिल रहा है मैं और मेरा दोस्त बृजेश मिलकर कोशिश करते हैं कि हमारे एक्टिंग में और निखार आ सके। प्रतिदिन उसका प्रयास भी करते रहते हैं। कुछ क्रिएटिव चीजें करना अच्छा लगता है जैसे कि घर में रखे हुए कपड़ों से अलग अलग तरह की ड्रेसेस बनाना| घर का काम हम सभी लोग मिलकर एक साथ करते हैं। घर के छोटे-छोटे कामों को हम सभी ने आपस में बांट लिया है। सभी के काम हो जाते हैं। उसके बाद ही हम सभी मिलकर टीवी देखते हैं और साथ में बैठकर ही खाना खाते हैं। किसी भी एक पर घर के कामों की जिम्मेदारी नहीं है। सभी के हिस्से में थोड़ा-थोड़ा काम बांटा गया है।

गरीबों की मदद के साथ बना रहीं स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन


समाजसेविका और उत्‍तर प्रदेश व्‍यापार मण्‍डल की महिला शाखा से महिमा जायसवाल के बारे में वह स्‍वयं बताती हैं कि इन दिनों वह जिला प्रशासन के निर्देश पर गरीबों व जरुरतमंद लोगों की सेवा कर रही हैं। खाली समय में टीवी और मोबाइल उनका साथी होता है। इनसे समय मिलता है, तो वह बेजुबान जानवरों गाय, कुत्‍ता आदि को खाना खिलाती हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन में एक अलग ही अनुभव हो रहा है। उनको तरह तरह के व्‍यंजन बनाने का शौक है और वह आए दिन अपनी रसोई में नए नए प्रयोग करती रहती हैं। इसमें उन्‍होंने केक को अलग अलग तरीके से बनाने के प्रयोग किए। इसके अलावा होटल्‍स में मिलने वाली महंगे व्‍यंजन जो एक तो हर होटल्‍स में नहीं होते हैं और मिलते भी हैं, तो कई बार उनमें खास स्‍वाद नहीं मिल पाता है। ऐसे में महिमा जी द्वारा पनीर के व्‍यंजनों के अलावा सिंधी टिक्‍की की सब्‍जी, सब्‍जी कचौरी के साथ साउथ इंडियन व्‍यंजन जिसमें इडली सांभर, डोसा आदि बनाने के प्रयोग किए गए।

कविताएं लिखकर और गानों का रियाज कर मिलती है आत्‍मसंतुष्‍टि


बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय में रसायन विज्ञान की शिक्षिका डॉ. रेखा लगरखा बताती हैं कि प्रतिदिन घर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ विश्वविद्यालय के कार्यों में व्यस्त रहने की वजह से कभी अपनी अन्य प्रतिभाओं को निखारने का मौका ही नहीं मिला। मुझे ना सिर्फ गायन में रुचि है, बल्कि कभी कभी समाज को जागृत करने के लिए कुछ रचनाएं भी लिख लेती हूं। लॉक डाउन के दौरान जहां खाली समय मिला तो घर के कामों के साथ-साथ मैंने स्वयं के नाम से यूट्यूब चैनल बनाया, जिसमें इस लोक डाउन के समय को कैसे व्यतीत करें और नियमों के पालन, सुरक्षा संबंधी, कुछ भावुकता भरे एवं कुछ विद्यार्थियों को प्रेरित करने से संबंधित कई सारी कविताएं लिखकर बराबर अपलोड कर रही हूं, जिससे मेरी लेखनी में सुधार हो रहा है। साथ ही समाज को जागृत करने का कार्य करके मुझे स्वयं बहुत आत्मसंतुष्टि मिल रही है। रोज गायन का रियाज करती हूं। बहुत सारे गाने गाकर स्वयं का व परिवार का मनोरंजन करती रहती हूं। समय-समय पर मोटिवेशनल वीडियो फेसबुक पर भी डालती रहती हूं। गंभीर विषयों पर सभी के साथ चर्चा करती हूं। घर में घर के सभी काम तो दिनचर्या में शामिल है ही, पर जिम बंद है तो घर पर योगा व मेडिटेशन करती हूं। किचन तो मेरी बेटी ने संभाल रखा है यूट्यूब से देखकर रोज कुछ ना कुछ नया बनाती है। बाकी साफ-सफाई व अन्य कार्यों में दिन कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलता।

बचपन की यादें कर रही ताजा और सीख रहीं तमाम चीजें


इवेण्‍ट प्‍लानर अंजलि सिंह बताती हैं कि लॉक डाउन के दौरान परिवार के साथ समय बिता रही हैं और प्रशासन के निर्देशों के अनुसार घर में रहकर सुरक्षित रहने के नियम का पालन कर रही हैं। उनका कहना है कि अपने परिवार के साथ यह समय बिताने का मौका जिंदगी में पहली बार मिला है। परिवार के सदस्‍यों के साथ बचपन की यादें ताजा कर रहे हैं और जिन खेलों को खेलते थे, वह खेल रहे हैं। यह मौका शायद ही जीवन में फिर मिले। ऐसे में खाली समय में ड्राइंग, सिंगिंग, एम्‍ब्रायडरी सहित घर की साज सज्‍जा करने में व्‍यस्‍त रहते हैं, जिसमें पूरे परिवार के सदस्‍य एक दूसरे का सहयोग करते हैं। वहीं महिला होने के नाते तमाम तरह के पकवान बनाकर खाने का मजा भी ले रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन्‍होंने घर में ही मास्‍क बनाए और परिवार के लोगों के साथ ही अन्‍य जरूरतमंद लोगों को भी बांटे। उन्‍होंने बताया कि इस दौरान घर के पुरुष भी पूरा समय दे रहे हैं, तो खाली समय में किचन पर पुरुषों का कब्‍जा हो जाता है और वह तमाम प्रयोग कर नई नई चीजें बनाकर परिवार के अन्‍य सदस्‍यों को खिलाते हैं। आमतौर पर पुरुष काम से लौटकर कभी एक गिलास पानी भी खुद से लेकर नहीं पीते हैं। आज वह हर काम कर रहे हैं और परिवार के साथ मजा ले रहे हैं।

आप भी इसमें हो सकते हैं शामिल ऐसे मौकों के विवरण सहित फोटो भेज दिजिए व्‍हाट्स अप नम्‍बर 9415996901 पर, अपने किए अनोखे अनुभव बताइये और क्‍या सिखाया आपको इस महामारी के दौर में लाॅॅॅकडाउन के दौरान

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