अभी मनरेगा में रोजगार दिया जाए और बाद के लिए बनाई जाए योजनाएं

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झांसी। कोविड 19 की महामारी के कारण लागू लाकडाउन के दौरान अपने गांव वापस लौटे मजदूरों को अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार गांव में ही रोजगार उपलब्ध होगा। मंडलायुक्त सुभाष चंद शर्मा की अभिनव पहल पर विभिन्न विभागों की आपसी समन्वय व सामंजस्य से मंडल के जिलों में वृहद कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। अपने घर वापस आए मजदूरों को जहां एक ओर रोजगार मिलेगा, वहीं क्षेत्र में खुशहाली आएगी और विकास की नई राह बनेगी।
मंडलायुक्त ने विभागाध्यक्षो को मानसिक रूप से तैयार रहने को कहा कि विभिन्न प्रांतों में मजदूरी या रोजगार करने गए लोग तत्काल अपने अपने गृह जनपद लौट रहे हैं और वह पुराने कार्यस्थल तब तक नहीं जाएंगे। जब तक स्थिति सामान्य न हो जाए और ऐसा होने में 06 माह या उससे अधिक समय लग सकता है। मंडल में लगभग 25000 श्रमिक परिवार आ गए हैं और अन्य अनेक परिवारों के आने की संभावना है। बुंदेलखंड में जहां रोजगार की उपलब्धता कम है। वहीं यहां पर पेयजल का भी संकट रहता है। लोगों की वापसी पर उन्हें रोजगार के साथ साथ पेयजल उपलब्ध कराना एक चुनौती भरा कार्य है। नई परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मंडल में जल्द से जल्द एक सुनिश्चित कार्ययोजना तैयार करने पर जोर दिया और जनपदों में वापस लौटे लोगों को रोजगार देने के लिए अल्पकालिक (सहायता रोजगार उपलब्ध कराना), दीर्घकालिक( सर्विदा के लिए कार्य उपलब्ध कराना) दो उपायो पर कार्य करने को कहा।
मंडलायुक्त ने मुख्य विकास अधिकारी, उपायुक्त मनरेगा, उपायुक्त एनआरएलएम, संयुक्त निदेशक उद्योग उपनिदेशक पंचायत, क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी, मंडलीय खादी ग्रामोद्योग, उप श्रमायुक्त सहित अन्य अधिकारियो को सुझाव देते हुए कहा कि आप विजन डपलप करें ताकि आपके विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के अलावा भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। परंपरागत कार्यों के साथ कोई इनोवेटिव कार्य भी शामिल करें, जिससे लोग आकर्षित होकर आगे आए। हम सभी का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति को रोजगार मिले। शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ दिया जाएगा, परंतु उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए जल्द उनकी क्षमता का अवलोकन करते हुए जल्द कार्ययोजना बनाई जाए। उन्होंने सर्वप्रथम ग्राम स्तर पर प्रवासी मजदूरों का सर्वे कार्य कराए जाने को कहा। यह सर्वेक्षण कार्य एडीओ पंचायत, बीडीओ को नोडल बनाते हुए रोजगार सेवक, सफाई कर्मी, प्रधान के माध्यम से कराया जाए। सर्वे उपरांत इन सभी का कंप्यूटराइज्ड डाटा बेस तैयार करते हुए एनआईसी के पोर्टल पर अपलोड किया जाए। जिसका जनपद में लगातार प्रचार प्रसार हो। सर्वेक्षण में इस बात का विशेष उल्लेख किया जाए कि वह व्यक्ति किस कार्य में दक्ष है। यदि महिलाएं कार्य करती है जो सर्वेक्षण में उनको शामिल करते हुए दक्ष महिलाओं का अलग से समूह बना लिया जाए।
प्रवासी मजदूरों को सभी प्रकार की अनुमन्य सहायता यथा राहत आयुक्त द्वारा 1000 रुपए प्रति परिवार सहित जॉब कार्ड, राशन कार्ड, पेंशन आदि तत्काल बनवाया जाए। सर्वे में जितने स्किल कार्य है, जैसे प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, पंचर, मैकेनिक आदि कार्य करने वालों को चिन्हित कर ले। सर्वे उपरांत लौटे हुए समस्त मजदूरों को बैठक के माध्यम से ग्राम पंचायत में दिए जाने वाले रोजगार के बारे में अवगत कराया जाए। वापस आए मजदूरों के लिए ग्राम में विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, उद्यान विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, समाज कल्याण के आंगिक विभाग अपनी योजनाओं एवं बैंक से संभावित सहयोग से संचालित संभावित रोजगार के अवसरों की तलाश करेंगे। मंडलायुक्त ने कहा कि विशिष्ट अनुभव एवं मैकेनिक तकनीकी प्रकार के प्रवासी मजदूरों का डेटाबेस प्राचार्य पॉलिटेक्निक, सह नोडल प्राचार्य आईटीआई एवं संयोजक महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र भेजा जाए। जो इस डेटा का विश्लेषण करते हुए प्रवासी मजदूरों को काम दिलाया जाए।
मंडलायुक्त ने तत्कालिक उपाय के अंतर्गत प्रवासी मजदूरों का जॉब कार्ड बनाकर सभी को मनरेगा में काम दिलाया जाए। प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम दो से तीन कार्य प्रारंभ करा लिए जाएं। इसमें कुओं का पुनरुद्धार, तालाब, बधियो के साथ चेकडैम निर्माण तथा टूटे चेकडैम को ठीक कराने का कार्य प्राथमिकता से किया जाए। इन सभी सामूहिक कार्य के साथ व्यक्तिगत कार्य के साथ खेतों का समतलीकरण, बंधीकरण, पशु आश्रय स्थल के निर्माण कार्य को अधिक से अधिक कराए जाने पर जोर दिया। उन्होंने सरकारी माध्यम यथा वित्त आयोग, आवास, शौचालय, गौशाला में जो कार्य करने के इच्छुक हैं उन्हें तत्काल कार्य दिलाया जाना आवश्यक है। दीर्घकालिक में मंडलायुक्त ने कहा कि मनरेगा/राज्य वित्त आयोग से कार्य उपलब्ध कराना एक तात्कालिक उपाय है, क्योंकि 100 दिन के बाद वह व्यक्ति कौन सा कार्य करेगा, इस पर विचार करना होगा। एनआरएलएम कुशल/ अकुशल मजदूरों का पंजीकरण करा लिया जाए और महिलाओं को समूह में जोड़ा जाए ताकि वह पापड़, उद्योग, सिलाई, रेडीमेड, कपड़ा उद्योग, दलिया, आचार आदि बनाने के लिए सूक्ष्म प्रशिक्षण देते हुए एस एच जी समूह बनाए। अन्ना पशुओं की समस्याओं को दूर करने के लिए आश्रय स्थल से चार पशु उपलब्ध कराएं। जिससे उनकी देखभाल हेतु प्रति गोवंश 300 रुपए प्राप्त हो सके। साथ ही गाय के गोबर से बनी कम्पोस्ट, उपले से आय बढाई जा सके। एनआरएलएम योजना के अंतर्गत अबशेष सभी पात्र समूहों को तत्काल सीआईएफ उपलब्ध कराया जाए और अधिक से अधिक समूह का बैंक से लिंक कराया जाए। मंडल में आए मजदूर परिवारों के लिए सेवायोजन विभाग में पंजीकरण, उनके आवश्यकता अनुसार उद्योगों में समायोजित करने के निर्देश उद्योग विभाग को दिए। सेवायोजन विभाग, उद्योग विभाग को जिला स्तर तथा मंडल स्तर पर रोजगार मेला आयोजित कराए जाने का सुझाव दिया। बैंक द्वारा डी आर आई लोन उपलब्ध कराए जाने हेतु सुझाव दिया ताकि रोजगार का सृजन हो सके। विभिन्न योजनाओ मे प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार, मुद्रा लोन का लाभ ऐसे व्यक्ति जो लघु व कुटीर उद्योग लगाना चाहते हैं उसे विभाग द्वारा पूरी सहायता प्रदान की जाए। मंडल में पेयजल समस्या को दूर करने हेतु जो हैंडपंप खराब है एक सप्ताह में ठीक करा लिया जाए। टैंकर से आपूर्ति हो। गर्मी में पशुओं के लिए तालाब पोखर भरवा लिया जाए। मंडलायुक्त ने कहा कि मंडल में आपसी समन्वय स्थापित करते हुए उपरोक्त कार्य समय से पूर्ण कर लिए जाएं तो निसंदेह समस्त आए मजदूरों को काम और उन्हें एक खुशहाल वातावरण भी उपलब्ध करा सकेंगे।

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