गड़बड़: बिना सूचना के आई तीसरी आपदा, टिड्डी दल का हमला

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झांसी। आसमान पर उड़ते हुए लाखों की संख्या में नज़र आये अजीबोगरीब कीड़े देखकर झांसी में लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। किसी कुछ समझ नही आया कि अजीब से दिखने वाले कीड़े आखिर कहां से आए हैं और क्‍यों आए हैं। हालांकि वैज्ञानिकों और किसानों के नेताओं ने इसको लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह कोरोना और अम्‍फान के बाद तीसरी आपदा देश पर आई है। आमतौर पर मरुस्‍थल और सुखे स्‍थानों पर होने वाला हमला इस बार झांसी तक आना समझ से परे है।

जानकारी अनुसार यह टिड्डों का दल निकला, जो राजस्‍थान और मप्र के रास्‍ते होता हुआ। इस बार उप्र में अपना हमला करने आया है। यह दल सिर्फ फसलों को खराब करने के लिए खेतों में टूट पड़ता है। यह जिस रास्‍तेे जाता है। उस रास्‍ते पर पड़ने वाला खेत, बगीचा और घरों में लगने वाली फुलवारी पूरी तरह बंजर हो जाती है। ऐसे में टिड्डों के दल को देखकर आम जनता को दहशत सी हो गई और तमाम लोगों ने इसका वीडियो बनाकर या फोटो खींचकर व्‍हाट्स अप ग्रुप्‍स पर डालकर अपनी चिंता जताई। हालांकि इस संबंध में जानकारी किसी को नहीं कि इन टिड्डों के दल ने अचानक झांसी का रुख कैसे कर लिया। इस सम्‍बंध में किसान नेता गौरी शंकर बिदुआ का कहना है कि यह टिड्डे जिस खेत के ऊपर से निकल जाते है। वह फसल नष्ट हो जाती है। कोरोना महामारी के कारण वैसे ही लोग परेशान है। उसके बाद अम्‍फान तूफान भी देश के एक हिस्‍से में सैलाब लेकर आया है। ऐसी आपदाओं के मध्‍य एकदम से आसमान में उड़ते ऐसे कीड़ों को देखकर लोगों में दहशत का सा माहौल बन गया। इस समस्‍या पर जिला प्रशासन को संज्ञान लेते हुए कुछ न कुछ कार्रवाई करनी होगी। वहीं इस मामले को लेकर कृषि वैज्ञानिक डा.बीके सिंह बताते हैं कि अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान के रास्‍ते होते हुए इनकी राजस्‍थान तक आमद तो पता चली थी, लेकिन यह झांसी का रुख कर लेंगे। ऐसा कोई अनुमान किसी को भी नहीं था। उन्‍होंने बताया कि इस मामले में किसानों को काफी सतर्क रहना होगा। वहीं घरों में बागवानी करने वालों को भी अपने बगीचों का ख्‍याल रखना होगा। उनका कहना है कि यह राजस्‍थान यानि मरुस्‍थल प्रदेशों में ही अपना दल तेजी से बढ़ाते हैं और उसके बाद यह कहीं जाते हैं। फिलहाल यह हमला इस बार एक माह पूर्व हुआ है, ऐसे में किसानों और प्रशासन को ज्‍यादा सतर्क रहना होगा और इसके लिए दवाओं का छिड़काव कराया जाना होगा। हालांकि अभी साग सब्‍जी और बागवानी के अलावा कोई और फसल यहां नहीं पाई जाती है। ऐसे में यह सब्‍जियों के लिए नुकसान दायक हो सकती है।

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