रेलवे क्वॉर्टर खाली करने के बावजूद कट रहा एचआरए व किराया

रेलकर्मियों को महंगी पड़ रही अफसरों की मनमानी

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झाँसी। अफसरों की मनमानी पॉलिसी का खामियाजा उत्तर मध्य रेलवे झाँसी मंडल के सैकड़ों कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी क्वॉर्टर खाली करने के बावजूद उनका एचआरए व किराया लगातार कट रहा है। इसको लेकर कर्मचारी अफसरों व यूनियन दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। परेशान कर्मचारियों में लोको वर्कशॉप, एसी शेड, कैरिज एंड वैगन शॉप, सवारी एवं मालडिब्बा कारखाना एवं उत्तर मध्य रेलवे झाँसी मंडल के दर्जनों कर्मचारी शामिल हैं।
उत्तर मध्य रेलवे ने नियम बना रखा है कि जो कर्मचारी आवास खाली करेगा, उसका आवास दूसरे कर्मचारी को आवंटित होने के बाद ही उसके एचआरए व किराए की कटौती बंद होगी। अब कर्मचारियों की समस्या यह है कि वह अपना घर बनवाकर वहां चले गए लेकिन उनका आवास दूसरे को आवंटित नहीं हुआ। यहां तक कि कार्य निरीक्षक उनका कब्जा भी नहीं लेते हैं। ऐसी हालत में आवास छोड़ने वाले कर्मचारियों को दोतरफा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं कर्मचारी जब उस नियम की कापी मांगते हैं तो उन्हें वह भी नहीं मिल पा रही है।

काटने पड़ रहे चक्कर

सवारी एवं मालडिब्बा कारखाने के कई कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन तक नहीं मिल पा रही है। जबकि में काम करने वाले करीब आधा दर्जन कर्मचारियों के डेढ़-दो साल पहले क्वॉर्टर खाली करने के बावजूद कटौती जारी है। यूनियन के दबाव के बाद कर्मचारी की कटौती को एरियर के रूप में वापस करने पर सहमति भी बनी लेकिन लेखा विभाग के कर्मचारी बीते तीन महीने से उनकी फाइल अटकाए हैं। ऐसे ही दर्जनों कर्मचारी कटौती को वापस दिलाने की मांग को लेकर अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

मुद्दा उठाने के बावजूद राहत नहीं

पिछले साल नॉर्दर्न सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाइज संघ के मंडल सचिव वी जी गौतम आदि भी डीआरएम के सामने यह मामला उठा चुके हैं। अधिकारियों ने उस समय संघ को भरोसा दिलाया था कि क्वॉर्टर खाली करने के बाद कर्मचारी उसे पूल होल्डर को हैंडओवर कर दें। उसके बाद पूल होल्डर की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे कर्मचारी को क्वॉर्टर आवंटित करे।

यह है सिस्टम

रेलवे की जितनी भी कॉलोनियां हैं, उनके क्वॉर्टर अलग-अलग विभागों को आवंटित किए गए हैं। हर विभाग ने अपना एक-एक अधिकारी पूल होल्डर बना रखा है। क्वॉर्टर आवंटन कमिटी का चेयरमैन पूल होल्डर होता है। उसके पास आवास आवंटन करवाने वाले, आवास खाली करने वालों की पूरी जानकारी रहती है। अगर कोई आवास खाली होता है तो कर्मचारी को कार्य निरीक्षक को सौंपना होता है, लेकिन कार्य निरीक्षक सीधे चार्ज लेने से इनकार कर देते हैं। वह आवास आवंटित होने के बाद जब दूसरे कर्मचारी को कब्जा मिल जाता है, तब ही अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं।

डीईएन (हेड क्वार्टर) की सहमति से हैं कब्जा

रानी लक्ष्मीबाई कालोनी में दो साल पहले एक आवास को इंजीनियरिंग विभाग के हवाले कर दिया था। इसके बावजूद उस आवास में अनाधिकृत लोग निवास कर रहे हैं। इन लोगों पर डीईएन मुख्यालय का संरक्षण हैं। इसको लेकर रेल कर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्त है।

एडीआरएम के तुगलकी फरमान से नाराज है रेलकर्मचारी

एडीआरएम द्वारा आईओडब्ल्यू को आए दिन नए फरमान जारी किए जा रहे हैं। इसको लेकर रेल कालोनी में रहने वाले लोगों में काफी आक्रोश है। नाम न छापने की शर्त पर रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि एडीआरएम का तबादला सितंबर माह में हो गया था मगर नए डीआरएम के आने से उनका तीन माह के लिए तबादला रोका गया था। इसके बावजूद उनको रोका जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि फिर से एडीआएम ने 31 मार्च तक तबादला रोकने के लिए मुख्यालय से अनुमति मांगी है।

इनका कहना है

कर्मचारी अगर कोई शिकायत लेकर संघ के पास आते हैं तो संघ मामले को हल करवाएगी। किसी भी कर्मचारी का आर्थिक नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। इस मामले में जल्द ही लिखित निर्देश जारी करवाए जाएंगे।
-वी जी गौतम, मंडल सचिव ,एनसीआरईएस

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