95 फीसदी खरीफ उत्पादन पर मिलेंगी सुविधाएं

- प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद ने सामूहिक प्रयास से सफलता का मंत्र - प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर मंडी में मिलेगी 33 साल की लीज के साथ छूट

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झाँसी। बुंदेलखंड में खरीफ आच्छादन बढ़ाने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे। तभी सफलता प्राप्त होगी। जिस गांव में 95 प्रतिशत आच्छादन होता है वहां मांग के अनुसार सुविधाएं दी जाएंगी। मंडी परिषद की मंडियों में आवंटित भूमि पर प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 33 साल की लीज के साथ छूट भी दी जाएगी। यह आश्वासन प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद ने दिए। उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ाने से किसान के लिए माह जून तक सभी जिलों में गोष्ठियां कर ली जाएं ताकि बुआई के समय किसान लाभ ले सकें। शासन वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित करने पर भी अनुदान दे रही है।
विकास भवन सभागार में बुंदेलखंड क्षेत्र में खरीफ आच्छादन बढ़ाने एवं कृषि के विकास की योजना के लिए झाँसी एवं चित्रकूट मंडल के अधिकारियों, वैज्ञानिकों तथा किसानों से परिचर्चा करते हुए प्रमुख सचिव कृषि ने कहा कि जिले में प्रत्येक दशा में चार फरवरी तक कार्ययोजना बनाकर मुख्यालय प्रेषित की जाए। अन्ना प्रथा की समस्या पर कहा कि किसान ही जिम्मेदारी लें और पशुओं को बांधकर रखें तथा दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि किसी भी कंपनी से कृषि यंत्र खरीद सकता है लेकिन बिल उसे फर्म से लेना होगा ताकि अनुदान बैंक खाते में पहुंच सके। यदि समस्या आती है तो अधिकारी स्वयं देखें। किसानों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्वयं बीज तैयार करने का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन संघ को गांव-गांव बीज तैयार करने या बीज बैंक बनाने के लिए प्रेरित किया जाए। कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीके सोनी ने फसल में लगने वाले रोगों के उपचार तथा गर्मी में प्लान के विपरीत जुताई करने, डॉ. आरके तिवारी ने एग्रोफारेस्ट्री, संजय सिंह ने वाटर शैड बनाने की जानकारी देते हुए बुंदेलखंड को सब्जी हब बनाने का सुझाव दिया। निदेशक कृषि सोराज सिंह ने कहा कि जहां कांवर मिट्टी है वहां आच्छादन बढ़ाने के लिए पानी को रोकना होगा।
बैठक में उप कृषि निदेशक बरेली डॉ. यूपी सिंह, अपर कृषि निदेशक राजेंद्रधर द्विवेदी, अपर निदेशक रामलखन राजपूत, अपर कृषि निदेशक सामान्य एसआर कौशल, उप कृषि निदेशक सीपी श्रीवास्तव, जिला कृषि अधिकारी दुर्गेश कुमार सिंह सहित झाँसी एवं चित्रकूट मंडल के संयुक्त कृषि निदेशक व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

इन्होंने रखे सुझाव
* लाल खां, बांदा- बीज की बोरी पर प्रजाति बोने के समय की जानकारी प्रिंट हो ताकि बील का लाभ मिल सके।
* विज्ञान शुक्ला, अतर्रा- जैविक खेती से आच्छादन बढ़ाया जाए।
* शिवकुमार शुक्ला, चित्रकूट- पारंपरिक बीज दिए जाएं व खेतों में फेंसिंग की जाए।
* बलराम सिंह लोधी, हमीरपुर- खेत तालाब योजना में खेत का नाप बढ़ाया जाए।
* भारत सिंह, महोबा- कम पानी वाली वैरायटी के बीज उपलब्ध कराए जाएं।
* गुलाब सिंह, झाँसी- समय से नहरों की सफाई कराई जाए तथा वनरोजों का पलायन कराया जाए।
* गुंचीलाल, रमपुरा- न्याय पंचायत स्तर पर गोष्ठियां कराई जाएं तथा समय से रोगों के उपचार की जानकारी दी जाए।
* मुलायम सिंह, ललितपुर- गुलाब की खेती प्रमोट करने पर जोर दिया जाए।
* लक्ष्मीनारायण चतुर्वेदी, जालौन- ऐलोवेरा की फसल पैदा करने पर जोर दिया जाए।
* राजवीर सिंह जादौन- अन्ना प्रथा नहीं बल्कि समस्या है। इसे कानून के दायरे में लाकर दंड का प्रावधान हो।

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