बीमारी और डिप्रेशन के बाद उभरी यह साहित्‍यकार और कवियित्री

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झांसी। अक्‍सर हो जाया करती है पुनरावृत्‍ति
सिर उठाते हैं बार बार प्रश्‍न
जो कई मर्तबा उठाए जा चुके हैं
यहां भय के सायों का ढोती हैं कितनी ही ‘निर्भया’
नहीं रुकता क्रम ‘दामिनी’ के दामन को तार तार करने का
नजर आ ही जाती है अक्‍सर राह चलते
किसी फुटपाथ पर भटकती
कोई विक्षिप्‍त गर्भवती महिला
कहीं कोई नवजात भोगती है घोर वीभत्‍सता
तो कभी किसी बूढ़ी अम्‍मा पर ही टूट पड़ते हैं वासना के दैत्‍य
रिश्‍तों की गरिमा को छिन्‍न भिन्‍न कर
रक्षक ही बन जाया करते हैं भक्षक (पुस्‍तक ‘धूप छांव’ एक कविता संग्रह की कविता ‘पुनरावृत्‍ति’ का कुछ अंश)

युग दर युग परिवर्तन का दौर आता गया, मानव तरक्‍की करता गया, लेकिन आज भी महिला की वही स्‍थिति है और ऐसी ही स्‍थिति को एक कविता में पिरोकर पुनरावृत्‍ति करने वाली यह लेेेेेेेेखिका, साहित्‍यकार, कवियित्री बीमारियों के बाद उभरी है। इसाई टोला क्षेत्र निवासी स्‍वर्गीय प्रेमनाथ माहौर और श्रीमती पार्वती की सुपुत्री और अपने तीन भाईयों की इकलौती बहन राजकुमारी अपने बारे में बताती हैं कि वह बुन्‍देलखण्‍ड महाविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस और समाजशास्त्र विषय में स्‍नातक हैं। वह एक सामान्‍य जीवन परिवार के बीच जी रही थीं, इसी बीच उनका स्‍वास्‍थ्‍य खराब रहने लगा। उनके लेखन का आरम्भ स्वास्थ्य समस्याओं के चलते हुआ था। उनको 2009 से स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍या प्रारम्‍भ हुई। तब वह शब्‍दों का तालमेल बना कर उनको कविता में पिरोकर लिखने की कोशिश किया करती थी। फिर धीरे धीरे उनकी कविताओं को एक स्‍वरुप मिलने लगा और फिर कुछ कहानियां भी लिखीं। उन्‍हीं को सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करती थी। वहीं से कुछ जानकारियां मिलीं तो पत्रिकाओं में भेजना शुरू किया। रिस्पॉन्स अच्छा मिला तो आगे बढ़ती गयी।
राजकुमारी ने बताया कि उसी दौरान उनका स्वास्थ्य बहुत अधिक खराब होने लगा। एक दिन अचानक पता चला कि पेट में ट्यूमर है जो लास्ट स्टेज पर बर्स्ट होने की स्थिति में था। परिवार वाले काफी सकते में आ गए। तभी उसकी सर्जरी हुई। उसके बाद वह डिप्रेशन में चली गयी। हैल्थ रिकवर होने में कई माह लगे, लेकिन स्वास्थ्य समस्याएं खत्म नहीं हुईं। तब और जाँचें हुईं तो पता चला कि पहली सर्जरी से कुछ कॉम्प्लीकेशंस हो गयी। फिर दूसरी सर्जरी हुई, लेकिन तब तक डिप्रेशन हावी हो चुका था। घरवालों के सपोर्ट से डिप्रेशन से बाहर आने के लिए जो एक बार फिर से कलम उठाई, तो बस लिखती ही चली गयी। हालांकि स्वास्थ्य समस्याओं ने पूरी तरह पीछा नहीं छोड़ा, लेकिन डिप्रेशन खत्म हो ही गया। राजकुमारी ने बताया कि उनकी पहली कविता “अंतर्मन” 2013 में प्रकाशित (प्रेरणा-अंशु मासिक प्रत्रिका) हुई थी। इसके अलावा कई प्रमुख समाचार पत्रों दैनिक जागरण, अमर उजाला, अमर उजाला “रूपायन”, जनसत्ता आदि में उनकी कविताएं छपी हैं। साथ ही कथाक्रम, इंद्रप्रस्थ भारती, साहित्य सरस्वती, सुख़नवर, आधुनिक साहित्य, जाह्नवी, बयान, समाज कल्याण आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविता कहानी प्रकाशित हुई हैं। अभी हाल ही में उनकी ‘धूप छांव’ नामक एक कविताओं का संग्रह पुस्‍तिका प्रकाशित हुई है, जिसको उन्‍होंने प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिकाओं को समर्पित किया है।

राजकुमारी को लेखन ही नहीं गायन का भी शौक है और वह सोशल मीडिया पर गायन सम्‍बंधी एप पर अक्‍सर गाने भी गाया करती हैं। 92.7 big fm में एक बार उनकी कहानी को दूसरा पुरुस्‍कार भी मिला था।


इसके तहत यूपी का सफ़र विथ नीलेश मिश्रा के कार्यक्रम में “धुआँ” कहानी को 2nd प्राइज मिला। उनके बारे में उनके बड़े भाई अधिवक्‍ता लालता प्रसाद बताते हैं कि उनको अपनी बहन का लेखन काफी पसंद है और वह समय समय पर उसको प्रोत्‍साहित करते रहते हैं। वह कहते हैं कि उन्‍होंने अपनी बहन से कहा है कि लेखन एक कला है और उसमें निखार धीरे धीरे ही आएगा। उनकी इच्‍छा है कि वह हर बिन्‍दू पर लिखे।

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