मन भटकता है, कभी चंचल हो जाता है तो कभी कठोर, जाने क्‍यूं

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इस बारे में जानकारी दे रहे हैं मुम्‍बई के ज्‍योतिषाचार्य वैभव डेकाटेएशिया टाईम्‍स पर आप पहले भी एक बार राहू और केतु के बारे मे जानकारी दे चुके हैं। इस बार चंद्रमा के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जोकि लोगों के जीवन में काफी काम आएगी।

झांसी। मन की कल्पनाशीलता चन्द्रमा की स्थिति से प्रभावित होती है। ब्रह्मांड में जितने भी ग्रह हैं, उन सभी का व्यक्ति के ‍जीवन पर विशेष और अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। भारतीय वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा को बहुत महत्त्व दिया जाता है तथा व्यक्ति के जीवन से लेकर विवाह और फिर मृत्यु तक बहुत से क्षेत्रों के बारे में जानने के लिए कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक माना जाता है। पूर्णिमा का चंद्रमा मन को बहुत आनंद देता है। स्नेह के बारे में सोचते ही मां का चेहरा सामने आ जाता है, इसलिए चंद्रमा को मातृकारक कहा गया है, इसीलिए बच्चे उसे मामा कहते हैं। भूखा बच्चा जब मां की गोद में बैठकर स्तनपान करता है तब मां के मन से जो स्नेह भावना उभरती है, उसी स्नेह का कारक ग्रह है चंद्रमा। चंद्रमा सबसे गति वाला ग्रह है और उसकी गति में सर्वदा परिवर्तन होता है, इसलिए जहां गति से जुड़ी बातें आ जायं, वहां चंद्रमा महत्वपूर्ण हो जाता है। धरती पर सबसे अधिक गति होती है मन की। पल भर में गति बदलने वाला मन चंद्रमा से भी गतिशील है, अत: चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। मन को बेहद खुशी या गम हो तो आंखों से आंसू आ जाते हैं, अत: पानी, दूध, शरबत जैसी बहने वाली चीजें चंद्रमा के अधिकार में होती हैं। पानी के साथ पानी से जुड़े पौधे, मछली, कुएं, तालाब, सागर आदि का भी कारक ग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा के घटने-बढ़ने का व्यक्ति के मस्तिष्क के साथ परंपरागत संबंध होता है।
ज्‍योतिषाचार्य वैभव डेकाटे बताते हैं कि चंद्रमा जातक के मन का स्वामी होता है। मन का स्वामी होने के कारण यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक न हो या वह दोषपूर्ण स्थिति में हो तो जातक को मन और मस्तिष्क से संबंधी परेशानियां होती हैं। जब चन्द्र से कोई भी शुभ ग्रह जैसे शुक्र, बृहस्पति और बुध दसवें भाव में हो तो व्यक्ति दीर्घायु, धनवान और परिवार सहित हर प्रकार से सुखी होता है।चन्द्र से कोई भी ग्रह जब दूसरे या बारहवें भाव में न हो तो वह अशुभ होता है। अगर किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि चन्द्र पर न हो तो वह बहुत ही अशुभ होता है। चन्द्र का प्रभाव पृथ्वी, उस पर रहने वाले प्राणियों और पृथ्वी के दूसरे पदार्थों पर बहुत ही प्रभावशाली होता है। चन्द्र के कारण ही समुद्र मैं ज्वारभाटा उत्पन्न होता है। समुद्र पर पूर्णिमा और अमावस्या को 24 घंटे में एक बार चन्द्र का प्रभाव देखने को मिलता है। किस प्रकार से चन्द्र सागर के पानी को ऊपर ले जाता है और फिर नीचे ले आता है। तिथि बदलने के साथ-साथ सागर का उतार चढ़ाव भी बदलता रहता है।

चंद्रमा के बारे में रोचक जानकारी

➡ आखिर क्यो हम दूसरों की सफलता से जलते है? क्यो हम दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करते है? क्यो कुछ लोगो मे शक करने की बहुत आदत रहती है? बच्चों का पढ़ाई में मन क्यो नही लगता? क्यो कुछ लोगो को जल्दी नींद नही आती या देर रात तक भी नींद नही आती? भावुकता क्यो आती है? मानसिक_रोगों का क्या कारण है? क्यो हम मैडिटेशन या योग लंबे समय तक नही कर पाते?

➡ पृथ्वी से देखे जाने पर चंद्र की गति और स्थिति में ही सबसे ज्यादा बदलाव देखा जाता है। सबसे जल्दी “नक्षत्र-राशि” परिवर्तन चंद्रमा ही करता है।पृथ्वी पर लगभग 75 % जल है (अधिकतर समुद्र का खारा जल) मानव शरीर में 70% जल होता हैं। ज्वार-भाटा का भी मुख्य सिद्धांत पूर्णिमा और अमावस्या से जुड़ा है।

➡ इसके अलावा कुछ अनसुलझी बाते भी है। क्यो पूर्णिमा के दिन एक्सीडेंट या सर्जरी होने पर रक्तश्राव अधिक होता है या महिलाओं का मासिकधर्म की पहली या दूसरी तारीख पूर्णिमा को पड़ जाये तो रक्तश्राव अन्य दिनों के अपेक्षा अधिक होता है? ये मेरा नही अपितु वैज्ञानिकों का कहना है सबसे अधिक शोर पागलखानों में पूर्णिमा की रात ही होता है जबकि सबसे अधिक एक्सीडेंट अमावस्या के दिन।

➡ मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा की 27 पत्नियां थी जिनमे से उन्हें “रोहिणी” सबसे अधिक प्रिय थी। यही 27 पत्नियाँ 27 नक्षत्र कहलाये 28वे नक्षत्र अभिजीत के बारे में इस संदर्भ में कोई जानकारी उपलब्ध नही है।

➡ भारतीय इतिहास में हरित क्रांति(खेती) और “श्वेत_क्रांति” (दुग्ध उत्पादन और पशुपालन) बहुत चर्चित रही, जिससे भारत आर्थिक तौर पर मजबूत हुआ था। दिल्ली से श्वेत क्रांति की शुरुआत के लिए जब हरी-झंडी दी थी। उस समय चंद्रमा का गोचर अपनी प्रिय पत्नी “रोहिणी” नक्षत्र में था। दूध क्रांति काफी सफल रही थी और उस समय ही अमूल और एनडीडीबी ने बहुत नाम कमाया।

➡ भारतीय ज्योतिष पद्धति भी पूरी तरह चंद्र पर ही आधारित है जिसे निरयण पद्धति कहा जाता है। 12 मासों के नाम भी चंद्रमा पर आधारित है। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब आ जाता है और इस दिन ही सबसे खूबसूरत चंद्र दिखाई देता है। भारतीय त्यौहार जैसे कृष्ण जन्माष्टमी, दीपावली, होली आदि भी चंद्रमा के वजह से ही हर वर्ष अलग-अलग दिन पड़ती है।

➡ ना सिर्फ हिन्दू धर्म बल्कि बहुत से धर्मों में चंद्रमा को महत्व दिया गया है। इस्लाम धर्म ही चंद्र कैलेंडर पर आधारित है और उनके जितने भी त्यौहार और रोजे है जैसे शब्बे-बारात, ईद सभी का चंद्रमा से प्रत्यक्ष संबंध है। कुरान में भी चंद्र से दुआ माँगने पर विशेष फल की प्राप्ति का उल्लेख है।

➡ ईसाई धर्म में भी जो ईस्टर मनाते है वो भी बसंत विषुव पूर्णिमा के बाद के पहले रविवार को ही पड़ता है। चीन में नववर्ष चंद्रमा पर ही आधारित है और फेंगशुई में भी चंद्रमा को विशेष स्थान दिया है।

➡ रावण भी “पूर्णिमा” की रात्रि को बहुत से आइनो और यंत्रों की मदद से चंद्र की रोशनी अपनी नाभि पर रातभर लेता था। उनका मानना था कि इससे मनुष्य लंबे समय तक जवान रहता है।

➡ प्राचीन काल में और आज भी “समुद्री यात्राओं” के समय भी चंद्रमा की स्थिति मायने रखती थी और आज भी रखती है।

➡ ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा माता, जल, दूध सभी तरह के तरल पदार्थों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कारक मन, खेती, सफेद रंग, कपास, गन्ना, चावल, मिश्री, शंख-मोती, हृदय, फेफड़े, बाई आँख, छाती-स्तन, दिमाग, आँत, गुर्दे, अंडकोष आदि का कारक है।

➡ अर्थात अब इतना तो आप समझ ही गये होंगे कि चंद्रमा को महत्व सभी देशों और “मान्यताओं-परम्पराओ” में मिला है। कमजोर चंद्र वाले ईर्ष्यालु होते है। अतिभावुक भी, जैसे TV या मूवी के दुखद दृश्य देखकर आँसू टपकाना चालू कर देना। मजबूत चंद्र जातक को क्रिएटिव, कलाकार बनाता है। अच्छा लेखक, गायक, कवि, हास्य कलाकार बनने में भी चंद्र का बहुत योगदान होता है, जिनका चंद्र मज़बूत हो उनकी हैंडराइटिंग बहुत साफ और सुंदर होती है। साथ ही लिखने की गति भी जबरदस्त रहती है। फिलहाल अब इसे आप Typing से जोड़कर देख सकते हो।

ज्‍योतिषाचार्य के अनुसार लिखने के लिए तो चंद्र के महत्व पर किताब लिखी जा सकती है पर अब आता हूँ। सीधे सरल #उपायो पर जो पूर्णतः वैज्ञानिक तथ्यों से जुड़े है। सर्वप्रमुख:- “#MEDITATION_is_the_Best_Remedy_For_Moon”..इसके बाद..

1. एक वजनी ” दक्षिणावर्ति_शंख” अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार खरीदे और अच्छे से धोकर रोज रात में शंख में पानी रखे एवं प्रातः खाली पेट वो पानी गिलास में लेकर पिये, इससे आप मानसिक तौर पर बहुत मजबूत हो जाओगे।

2. अभिमंत्रित कर “दोमुखी_रुद्राक्ष” धारण करें।

3. घर के पश्चिमी कोने में भारी सामान वाशिंग मशीन या अन्य भारी सामान रखे। शाम को सफेद रंग का जीरो वॉट का बल्ब रातभर चालू रखे।

4. सफेद और स्लेटी रंग अधिक पहने जबकि तड़क-भड़क, चमकीले और काले रंग से परहेज करे।

5. चंदन, चमेली, लिली आदि सुगंधों के इत्र अपने वस्त्रों में लगाये। भड़कीले डिओ से दूरी बनाये। वाहन चलाते समय ना ही गाने ना सुने और ना सिगरेट पिये।

6. शराब और सिगरेट बिल्कुल छोड़ दे। Sea-Food जैसे मछली-केकड़े आदि खाने के बाद दूध कभी ना पिये। अंडे के भीतर का पीला अंडेे का त्याग करें। रात्रि को अल्पाहार ले।

7. यदि आपका चंद्र कमजोर हो तो कुछ समय के लिए (कम से कम 43 दिन) दुनिया से थोड़ा अलग हो जाये अर्थात लोगो से बातचीत कम कर दे, जितना काम हो बस उतना ही बोले, प्रत्यक्ष मिलने वाले लोगो को या सोशल मीडिया पर बेवजह विरोधाभास करने वालो को तुरंत प्रतिक्रिया देना जरूरी ना समझे। एकांत में रहकर “विपसना” (Meditation) पर ध्यान लगाये। वाणी पर नियंत्रण रखें और कम बोलिये।

नोट -: उक्‍त लेख के संदर्भ में एशिया टाईम्‍स की सम्‍पादकीय टीम कोई दावा नहीं करती है, लेकिन ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार इससे यदि आपके जीवन में कोई बदलाव आता है, तो हमको खुशी होगी।

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