कोरोना महामारी से 5 महीने में खुदरा बाजार को 19 लाख करोड़ रुपए का घाटा : संजय पटवारी

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झांसी। कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स कैट के राष्ट्रीय मंत्री एवं उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय पटवारी ने बताया कि कोरोना महामारी में 5 महीने में भारतीय बाजार को 19 लाख करोड़ रुपए के घाटे का सामना करना पड़ा है, जिसके परिणाम स्वरुप घरेलू व्यापार में एक हद तक निराशा हुई है। लॉकडाउन डाउन खुलने के 3 महीने बाद भी देश भर के व्यापारी बड़े वित्तीय संकट और दुकानों पर ग्राहक के बहुत कम आने से बहुत परेशान हैं जबकि दूसरी तरफ व्यापारियों को अनेक प्रकार की वित्तीय जिम्मेदारियों को भी पूरा करना है। शेयर बाजार में पैसे का संकट पूरी तरह से बरकरार है। दिसंबर के दिए हुए माल का भुगतान जो फरवरी-मार्च तक आना चाहिए था। वह भुगतान अभी तक बाजार में नहीं हो पाया है जिसके कारण व्यापार का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।
कैट ने यह आंकड़ा जारी करते हुए बताया है देश भर में रिटेल बाजार विभिन्न राज्यों में 20 प्रमुख शहरों से सर्वे के अनुसार आंंका गया है। इन शहरों से बातचीत से आंकड़े दिए गए हैं, जिससे यह साफ दिखाई पड़ता है कि कोरोना ने किस कदर देश के व्यापार को प्रभावित किया है जो फिलहाल संभलने की स्थिति में नहीं है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से पूरी मार पड़ रही है और अभी तुरंत स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो देश भर में लगभग 20% दुकानें को बंद करने पर व्यापारियों को मजबूर होना पड़ेगा। इसके कारण बड़ी संख्या में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है। कैट के राष्ट्रीय मंत्री संजय पटवारी ने कहा है कि देश में मरते घरेलू व्यापार को वित्तीय सहायता की अत्यंत आवश्यकता है। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि फिलहाल व्यापारियों पर ब्याज देने का दबाव बैंकों द्वारा ना डाला जाए। इसके लिए बैंकों को निर्देशित करना आवश्यक है सरकार अन्य क्षेत्रों में कर्ज माफ करती है तो केवल ब्याज अभी ना लिया जाए और किसी भी किस्म की पेनल्टी व्यापारियों पर ना लगाई जाए। खुदरा व्यापारियों को सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज एवं किसान के कार्ड की तर्ज पर व्यापारी क्रेडिट कार्ड देने पर विचार करना चाहिए जिससे मरते हुए खुदरा बाजार को बचाया जा सकता है।

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