देश और समाज को चाहिए सत्यम शिवम सुंदरम का भाव: पं. राघव मिश्रा

****** आज किया जाएगा तीन दिवसीय शिव महापुराण का समापन, ****** भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा रहेंगे शामिल, भंडारे का किया जाएगा आयोजन

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सीहोर। जो मनुष्य धार्मिक अनुष्ठानों में निस्वार्थ भाव से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं, वह निस्संदेह शिव लोक को प्राप्त होते हैं। हम सबके जीवन में सत्यम, शिवम, सुंदरम का भाव होना चाहिए। अर्थात जो सत्य है वही श्रेष्ठ है और श्रेष्ठ ही शिव है। जो शिव है वही सुंदर है और जो सुंदर है वही कल्याणकारी है। उक्त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में जारी तीन दिवसीय श्री शिव महापुराण के दूसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के बेटे कथा व्यास पं. राघव मिश्रा ने व्‍यक्‍त किए।
कथा वाचक साक्षी देवी ने कहा कि हमारे छोटे पंडित राघव मिश्रा मात्र 14 साल की आयु में भगवान की कथा के वाचक है। उनके भाव शैली बहुत ही मधुर है, ऐसा नहीं लगता कि यह उनकी दूसरी कथा है, उनके भाव और भाषा प्रख्यात कथा वाचक जैसी है और आने वाले समय में वह भी सीहोर का नाम विश्व पटल में रोशन करने की क्षमता रखते है। सोमवार को कथा के दौरान भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा मौजूद रहेगे और दोपहर के बारह बजे आरती के पश्चात भोजन प्रसादी का वितरण किया जाएगा।
रविवार को कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव का वर्णन किया और भजन गायक रविन्द्र सैनी जय मां वैष्णव गु्रप सीहोर की संगीतमय प्रस्तुति ने यहां पर कथा का श्रवण करने आए श्रद्धालुओं को नृत्य करने पर विवश कर दिया। श्री सैनी की पूरी टीम भगवान के भजनों के साथ-साथ संगीतमय प्रस्तुति दे रहे है।
पं. राघव ने कहा कि हमारा शरीर भी चंद्रमा की तरह कभी घटता और कभी बढ़ता है, इसलिए जीवन में हमेशा शिव की आराधना और उपासना नियमित रूप से करते रहें। शिव की आराधना से ही जीवन आनंदमयी होगा। संपूर्ण सृष्टि को चलाने वाले भगवान शिव ने सत्यम शिवम सुंदरम का अनुपम भाव दिया हैं। शिव नाम ही कल्याण का पर्याय है, आज देश और समाज को इसी सत्यम शिवम सुंदरम जैसा विचार और भाव चाहिए। भगवान शिव ने इस पृथ्वी पर ऐसे मानव समाज की कल्पना की हैं, जहां एक दूसरे के साथ सद्भाव, सहयोग और समन्वय बना रहे। पूरे विश्व को आज भगवान शिव की इसी कल्पना को मूर्त रूप देने की जरूरत हैं। समाज के विषाद को प्रसाद में बदलने की कथा है शिव पुराण। हमें प्रभु शिव की भक्ति उनकी गाथाओं का श्रवण करना चाहिए ताकि हमारा मानस जन्म सुखमय बन सके। उन्होंने कहा कि श्री शिव पुराण की कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्‍होंने कथा के दूसरे दिन शिव-माता पार्वती विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि माता पार्वती ने हिमालय राजा के यहां पर जन्म लिया था। पार्वती बचपन से ही भगवान भोलेनाथ को मानती थी। इसीलिए भोलेनाथ से माता पार्वती का विवाह हुआ। उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि भोलेनाथ व माता पार्वती के विवाह के पहले से ही तारकासुर राक्षस का तीनों लोक में अत्याचार था और उसका वध भोलेनाथ व माता पार्वती के पुत्र से होना था। इसीलिए भोलेनाथ व माता पार्वती का विवाह पहले से ही होना तय था। यानी यह सब लीला भगवान की थी। इस दौरान श्रद्धालुओं को धार्मिक भजनों पर नृत्य करते हुए भी देखा गया।
कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने मंच से एक से बढकऱ एक भजनों का बखान किया और श्रद्धालुओं को भोले की भक्ति में डूबो दिया। इस मौके पर विठलेश सेवा समिति की ओर से समीर शुक्ला, आश्रम के संस्थापक वीपी सिंह, श्रीमती विमला सिंह, राहुल सिंह, श्रीमती निशा सिंह, जिला संस्कार मंच की ओर से जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, कथा वाचक पंडित राहुल व्यास, सामाजिक न्याय विभाग नर्मदापुरम से संतोष शर्मा, प्रकाश यदुवंशी, श्री सिद्ध हनुमान समिति के अध्यक्ष कमलेश अग्रवाल, विशाल सेन, प्रकाश अग्रवाल, पप्पी ललवानी, रानी मीना, नटवर कुशवाहा आदि शामिल रहे।

रिपोर्ट : सीहोर से वरिष्‍ठ पत्रकार रघुवर दयाल गोहिया

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