निष्कपट भाव से शिवजी को चढ़ाएंगे जल तो निश्चित मिलेगा फल : पं. प्रदीप मिश्रा

आज किया जाएगा 1008 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण

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सीहोर। भगवान शिव जी पर एक लोटा जल चढ़ा देने मात्र से ही हमारी सभी इच्छाएं और कामनाएं पूर्ण हो जाती है। इसके लिए आवश्यक है कि जब हम जल चढ़ाएं निष्कपट भाव से चढ़ाएं। उक्‍त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में जारी तीन दिवसीय कथा के समापन अवसर पर पहुंचे शिव महापुराण के मर्मज्ञ पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि जैसे नारियल पेड़ अपने अनुकूल भूमि पर उगता और पोषित होता है। उसी प्रकार महादेव के प्रति जिसके मन में अकाट्य श्रद्धा होती है, माता पिता के संस्कार उच्च होते हैं, अच्छे कर्म होते हैं। उन व्यक्तियों को भगवान शिव की कृपा एवं भक्ति प्राप्त होती है।
सोमवार को करीब पांच दर्जन से अधिक संगठनों के पदाधिकारियों और सामाजिक संगठनों ने स्वागत और सम्मान किया। अब मंगलवार को 1008 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब दुनिया में धर्म का नाश होता है तब शिव आगे आकर धर्म की, लोगों की रक्षा करते हैं। आज शिव की कृपा से मैं शिव कथामहापुरण का वाचन कर रहा हूं। शिव की विशेष कृपा से आज हर मंदिर में भीड़ लगी हुई है। जिन मंदिरों में धूल जमी हुई थी, उन मंदिरों में लोग एक लोटा जल लेकर भगवान शिव की स्तुति कर रहे हैं। धर्म का अनुसरण कर रहे हैं। ये सब मेरे देवाधिदेव भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रमाण है।

नेत्रहीन बालिका का किया सम्मान

कथा के समापन अवसर पर भोपाल निवासी फाल्गुनी पुरोहित जन्म से नेत्रहीन हैं। ये गायन के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी हैं। इस मौके पर उन्होंने भजनों से यहां पर मौजूद सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डूबों दिया। जय मां वैष्णव गु्रप सीहोर के भजन गायक रविन्द्र सैनी के संगीतमय कार्यक्रम के माध्यम से अपने भजन प्रस्तुत किए। इस मौके पर मंच पर मौजूद भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा, पंडित राघव मिश्रा, संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र के संचालक राहुल सिंह, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा आदि ने सम्मान किया। फाल्गुनी को कई सम्मान मिले हैं। उनका कहना है कि अगर मेरी आवाज के जरिए किसी की मदद हो जाए तो मैं खुद को खुशकिस्मत समझूंगी। वह हर सप्ताह वृद्धों के मध्य भजन की प्रस्तुति प्रदान करती आ रही है।
संकल्प वृद्धाश्रम केन्द्र, श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में लगातार तीन दिनों से जारी संगीतमय शिव महापुराण का समापन किया गया। इस मौके पर शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि ज्ञान, धर्म, भक्ति का मूल है। पांच दान यश, मान, कीर्ति, नम्रता, सरल सत्य स्वयं परमात्मा है। कलयुग, कलयुग नहीं है बल्कि करयुग है। अर्थात जैसी करनी वैसी भरनी। जो तन देखता है, शरीर देखता है वह सक्षम नहीं है। सक्षम वहीं है जो मन को देखता है, भाव को देखता है। संसार में सब कुछ सपना है, नींद में जो देखा वो भी सपना है। यह सब असत्य है, सत्य स्वयं राम है। परहित करो, सभी को जाग्रत करो, सम्मान करो, भजन करो, हॅंसते रहो, मस्त रहो, मुस्कराते रहो। भगवान कभी भेद नहीं करता। जीव मात्र एक ऐसा प्राणी है जो भेद करता है। इस मौके पर उन्होंने 12 ज्योर्तिलिंगों की कथा का संक्षिप्त में वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन की श्रेष्ठता भगवान की आराधना में है कान वही श्रेष्ठ हैं कि भगवान की कथा को सुनते हैं नेत्र वही श्रेष्ठ हैं जो भगवान का और भगवान के भक्तों का दर्शन करते हैं। मन वही श्रेष्ठ मन है जो भगवान के चरणों का चिंतन करता हो संसार में भगवान की कृपा से जीव को जो भी प्राप्त होता है वह श्रेष्ठ होता है भगवान आनंद के सिंधु हैं जैसे ही जी भगवान से जुड़ता है वह भी आनंद मगन हो जाता है सुखी हो जाता है भगवान की शरणागति करने के पश्चात भगवान से जुडऩे के पश्चात जीवन में दुख रह ही नहीं सकता। भगवान यदि जीव पर क्रोध भी करते हैं तो भी जीव का कल्याण ही करते हैं सहज भाव से भगवान का चिंतन करना कपट का त्याग करते हुए छल का त्याग करते हुए जो निर्मल मन से भगवान की शरणागति करता है भगवान उसका सब प्रकार से कल्याण करते हैं।

नियम और निष्कपट भाव से कथा का श्रवण करना चाहिए-

शिव कथा को पढऩे या सुनने से पूर्व तन और मन को शुद्ध करें।
नए अथवा साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मन में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखें।
किसी के प्रति द्वेष भाव न रखें।
किसी की निंदा, चुगली न करें अन्यथा पुण्य समाप्त हो जाते हैं।
सात्विक भोजन ग्रहण करें और तामसिक पदार्थों का त्याग करें।
किसी भी तरह का पाप न करें।
शिव कथा का पाठ सुनने से पहले या बाद में किसी का दिल न दुखाएं

रिपोर्ट : सीहोर से वरिष्‍ठ पत्रकार रघुवर दयाल गोहिया

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