भगवान शंकर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं : पं. राघव मिश्रा

शिव का पूजन और 1008 पार्थिव शिवलिंगों का सामूहिक रुद्राभिषेक कराया

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सीहोर। भगवान शिव से ज्यादा भोला कोई और नहीं, उनसे ज्यादा क्रोधित कोई और नहीं तथा उनसे बड़ा दाता कोई और नहीं है। भगवान शंकर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त को मन चाहा वर देते हैं। उक्‍त विचार व्‍यक्‍त करते हुए पं. राघव मिश्रा ने शिव की महिमा को बताया। वहीं श्रद्धालुओं ने पार्थिव शिवलिंग बनाए।
पार्थिव शिवलिंग का महत्व बताते हुए कहा कि पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। शिवजी की आराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं, फिर चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला। यह सभी जानते हैं कि शिव कल्याणकारी हैं, जो पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन अर्चना करता है, सभी दुखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के तत्वावधान में जारी तीन दिवसीय शिव महापुराण का आयोजन किया गया था। मंगलवार को कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा के मार्गदर्शन में यहां पर मौजूद आधा दर्जन से अधिक विप्रजनों और 300 से अधिक श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चार के साथ भगवान शिव का पूजन और 1008 पार्थिव शिवलिंगों का सामूहिक रुद्राभिषेक कराया। इस मौके पर केन्द्र के संस्थापक वीपी सिंह, श्रीमती विमला सिंह, संचालक राहुल सिंह, समिति की अध्यक्ष श्रीमती निशा सिंह, कथा वाचक पं. राहुल व्यास, उज्जैन शनि मंदिर के पुजारी सचिन त्रिवेदी, पं. कुणाल व्यास, सुनील पाराशर, जिला संस्कार मंच की ओर से जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, नटवर सिंह, अमित जैन, बाबू सिंह आदि मौजूद रहे।

पं. कुणाल व्यास ने बताई विधि और भोले की महिमा

पं. कुणाल व्यास ने बताया कि चंदन का लेप लगाएं और बेलपत्र, फूल, धतूरा अर्पित करें और भोग लगाएं। इसके बाद भोलेनाथ के सामने दिया जलाएं और शिव चालीसा व शिव स्तुति पाठ करें। भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें और पार्वती चालीसा का पाठ करें। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की कथा वैराग्य का दर्शन कराती है। मंदिर में जाकर भगवान का भजन करना अच्छी बात है। लेकिन, भजन करते करते हमारा घर ही मंदिर बन जाए, यह भजन की श्रेष्ठता है। हमारा घर ही हरि के आने का द्वार बन जाए, यह साधना की श्रेष्ठता है। भगवान शिव के समान भोला कोई और देव नहीं है। इसीलिए उन्हें भोलेनाथ कहा गया है। महादेव का दरवाजा भक्तों के लिए हमेशा खुला रहता है। शिवजी श्मशान में रहते हैं। किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिजन शव को घर से बाहर कर देते हैं। जबकि भगवान महादेव सभी को स्वीकार कर लेते हैं।

रिपोर्ट : सीहोर से वरिष्‍ठ पत्रकार रघुवर दयाल गोहिया

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