आपदा को बनाया अवसर : सूरज की तपन से बनाई मैगी

टोकरी को बनाया बिना गैस का चूल्‍हा मैगी बनाकर बताया अक्षय ऊर्जा का म‍हत्‍व

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भोपाल। आपदा को अवसर बनाना आसान नहीं होता है, लेकिन ऐसा ही कुछ कर दिखाया नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने। उन्‍होंने तपती गर्मी का उपयोग करते हुए तेज धूप का फायदा उठाया और मैगी बना डाली। आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बांस की टोकरियों में अनाज अथवा किसी समारोह में बने व्‍यंजनों को रखा जाता है। लेकिन, अगर वही टोकरी स्‍वयं व्‍यंजन बनाने का साधन बन जाये वो भी बिना गैस, बिजली या केरोसिन के तो यह आमलोगों के लिये आश्‍चर्य का विषय हो सकता है।
सारिका ने तपती धूप के बीच बांस की टोकरियों में अंदर की ओर एल्‍यूमिनियम फॉईल लगाई, जिससे यह डिश की तरह सूरज की किरणों को समेटने लगी। टोकरी के केंद्र में बाहर से काले पुते बर्तन मे पानी में मैगी रखकर धूप में रखा गया। कुछ मिनिट बाद जब बर्तन को खोलकर देखा गया तो मैगी थी तैयार खाने के लिये। इसमें मसाले मिलाकर इसका स्‍वाद दर्शकों ने लिया।

अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले सारिका ने इस प्रयोग को घरेलू सामग्री से कर दिखाया। सारिका ने बताया कि सूर्य का प्रकाश अपने उच्‍च विकिरण के साथ साल में लगभग सात माह तक उपलब्‍ध रहता है। बांस की टोकरी या अन्‍य घरेलू सामग्री से कुकर तैयार करके प्रात: 8 बजे से सायं 4 बजे के बीच 150 डिग्री सैल्सियस से अधिक तापमान प्राप्‍त किया जा सकता है। इससे घरेलू भोजन का कुछ भाग बनाकर एलपीजी की बचत की जा सकती है।
सारिका ने बताया कि इस प्रयोग से मूंगफली सेंकना, खिचड़ी बनाने जैसे कार्य आसानी से किये जा सकते हैं। कार्यक्रम का महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य सूर्य की असीमित ऊर्जा के उपयोग के बारे में आमलोगों को जागरूक करना था ।

कैसे काम करता है –

बांस की टोकरी में लगी एल्‍यूमिनियम फॉईल एक रिफलेक्‍टर का कार्य करती है। यह टोकरी में आने वाले सूर्य प्रकाश को बीच में रखे बर्तन पर केंद्रित करके गर्म करती है। बर्तन बाहर से काले रंग से रंगा जाता है जो कि उष्‍मा का सबसे अच्‍छा अवशोषक होता है। इसकी मदद से लगभग 140 डिग्री सैल्सियस तक का तापमान प्राप्‍त हो जाता है।

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