
झांसी। हालात के थपेड़ों से बोझिल साधु हो या समाज की विसंगतियों से हलकान नारी यानी समाज के विविध तबके के लोगों की भावभंगिमाओं को रेखांकित करने में सिद्धहस्त है हर्षिता शाक्य। उसकी कलाकृतियां इतनी प्रभावी कि देखने वाला चमत्कृत रह जाता है। बरबस उसके मुंह से वाह-वाह जैसे शब्द फूट पड़ते हैं।
अपनी कलाकृतियों के दम पर पूरे समाज में वह खास मुकाम बनाना चाहती है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से कला में परास्नातक हर्षिता शाक्य को इस बात का मलाल है कि झांसी जैसे महानगर में कलाकारों के एक्सपोजर की सुविधाएं काफी कम हैं। इसके बाद भी वह नाउम्मीद नहीं है। उसे अपनी कला साधना पर पूरा भरोसा है कि एक दिन उसकी देश में खास पहचान जरूर बनेगी।
झांसी में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी हर्षिता ने सीपरी बाजार क्षेत्र के आर्यकन्या महाविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। कला और पेंटिंग में विशेष झुकाव के कारण उसने बुविवि के ललित कला संस्थान से कला में परास्नातक की शिक्षा ग्रहण की। वह बताती है ललित कला संस्थान में अध्ययन के दौरान उसने कला की तमाम बारीकियों के बारे में विशेष जानकारी हासिल की जिससे उसके मन में पैठे कलाकार को रंगों के चयन और उनके प्रयोग में सहूलियत हासिल हुई। अब तक उसने बड़े कैनवास पर करीब तीन दर्जन बड़ी कलाकृतियां तैयार की हैं। इनमें से अनेक कृतियों ने उसे लोगों की भरपूर सराहना दिलाई है। ललित कला संस्थान के अध्ययन के दौरान आयोजित प्रदर्शनियों में उसकी कला कृतियों को भरपूर सराहना मिली। उसी से प्रोत्साहित होकी वह कला के क्षेत्र में खुद को स्थापित करने के लिए निरंतर अभ्यास में लगी हुई है। उसे भरोसा है कि उसकी कृतियां उसे एक न एक दिन बेहतर मुकाम दिलाएंगी।
वह वर्तमान में खुद को आध्यात्मिक रूप से सशक्त करने के प्रयास में लगी हुई है। वह मानती है कि आघ्यात्म मनुष्य को आंतरिक शक्ति संपन्न बनाने में सक्षम है। उसने नारी शक्ति की विभिन्न समस्याओं को उकेरने के साथ समाज की लाचारी और विद्रूपताओं को भी अपनी कल्पना शक्ति की थाप दे कला कृतियों की रचना की है। एक सवाल पर हर्षिता बताती है कि उसके परिवार के लोग कला साधना में उसकी भरपूर मदद करते हैं। इससे महंगाई के बाद भी वह अपनी कला साधना को जारी रखे हुए है। उसके बाबा सीताराम सनकनपुरिया हर कदम पर उसे संबल देते हैं। उसे भरोसा है कि बड़ों के आशीर्वाद की बदौलत वह कला क्षेत्र में नाम कमाने में सफल होगी।