बिना संसाधन सिर्फ भाव के माध्‍यम से सब कह जाना ही है माइम – मनोज नायर

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झांसी। बुंदेलखंड नाट्य कला केंद्र (समिति ) झांसी द्वारा आयोजित 20 दिवसीय अभिनय कार्यशाला के 2 दिन भोपाल भारत भवन से आए प्रसिद्ध रंगकर्मी और माइम एक्सपर्ट मनोज नायर ने छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान किया। कार्यक्रम का संयोजन महेंद्र वर्मा और मार्गदर्शन व संचालन डॉ हिमांशु द्विवेदी ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में झांसी की प्रख्यात समाज सेविका और कलाविद नीति शास्त्री उपस्थित रही। उन्होंने झांसी में होने वाली गतिविधियों एवं नाट्य परंपरा से परिचित कराते हुए कहा कि बुंदेलखंड नाट्य कला केंद्र झांसी के रंगकर्म में मील का पत्थर साबित होगा। यह संस्थान निस्वार्थ भाव से नाट्य कला के प्रति समर्पित संस्थान है। कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप मै आए मनोज नायर ने माइम के इतिहास परंपरा को समझाते हुए उसकी उत्पत्ति और अभिनय में उसके महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही प्रायोगिक रूप में माइम से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया, जिसमें हाथों का संचालन ,पैरों का संचालन और चेहरे के हाव-भाव को अभिव्यक्त करने के तरीके बताया। माइम एक ऐसी विधा है, जिसमें बिना किसी संसाधन के सिर्फ अपने भाव के माध्यम से प्रस्तुति की जाती है। कार्यशाला में झांसी, बुंदेलखंड एवं देश भर से आए लगभग 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह कार्यशाला निशुल्क प्रदान की जा रही है, जिसमें आवास और भोजन व्यवस्था भी प्रशिक्षणार्थियों को निशुल्क प्रदान की जा रही है। कार्यशाला के समापन अवसर पर डॉ हिमांशु द्विवेदी ने विशेषज्ञ मनोज नायर को शॉल व श्रीफल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसी क्रम में आगामी 5 मार्च मंगलवार को नाटक गुमराह, बड़े भाई साहब का मंचन किया जाएगा, जिसका निर्देशन डॉ हिमांशु द्विवेदी एवं महेंद्र वर्मा ने किया है !

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