विशिष्टता प्राप्त करने के लिए कला के प्रति समर्पण आवश्यक : विपिन कुमार सिंह

ललित कला संस्थान में चार दिवसीय कला प्रदर्शनी का हुआ समापन

0
1332

झाँसी! कला किसी भी मनुष्य के अन्दर की एक जन्मजात प्रतिभा होती है। अभ्यास तथा प्रशिक्षण के द्वारा उसमें सुधार किया जा सकता है, परन्तु विशिष्टता प्राप्त करने के लिए कला के प्रति समर्पण आवश्यक है। यह विचार आज उत्तर मध्य रेलवे, झांंसी के वरिष्ठ वाणिज्यिक प्रबन्धक विपिन कुमार सिंह ने व्यक्त किये। श्री सिंह आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर के ललित कला संस्थान के सभागार में संस्थान द्वारा आयोजित चार दिवसीय वार्षिक कला प्रदर्शनी कला अभिव्यक्ति-2019 के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे अपने अन्दर की मनुष्यता और संवेदनशीलता को का उपयेाग कला के क्षेत्र में करें।
उन्होंने छात्र-छात्राओं से आग्रह किया कि वे जीवन में धैर्य, अनुषासन, कलात्मकता एवं जिज्ञासा जैसे आदर्ष गुणों को अपने अन्दर समाहित करें तभी वे अच्छे मनुष्‍य एवं अच्छे कलाकार बन सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागी कलाकारों की प्रदर्षित कला कृतियों की प्रषंसा की तथा कहा कि उन्हेें अपने अन्दर अभिमान आने से रोकना है। यद्यपि सभी कलाकारों का कार्य उत्तम है परन्तु उन्‍हें अब उत्तम से अति उत्तम की ओर बढना है, तभी वे सच्चे कलाकार बन सकते हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो.देवेश निगम ने कहा कि यद्यपि कला मानव में जन्मजात होती हेै परन्तु निरन्तर अभ्यास से कलाकार की कला में निखार आता रहता है। प्रो. निगम ने कहा कला के छात्रों से कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि वे कई हजार शब्दों के विवरण को एक चित्र या पेन्टिग या काॅर्टून के माध्यम से अधिक बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं। प्रो. निगम ने संस्थान के इन प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हे भविष्य में भी जारी रखने की अपील की। अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने कहा कि प्रत्येक बच्चे के मन में कुछ स्वतंत्र भाव उत्पन्न होते हैं। उन भावों को वह प्रकट करना चाहता है और इसके लिए कला से अच्छा माध्यम कौइ्र हो ही नहीं सकता है।
विशिष्ट अतिथि डा.डी.के.भटट ने कला प्रदश्रनी में प्रदर्शित चित्रों तथा उनके प्रस्तुतीकरण की सराहना करते हुए कहा कि ललित कला संस्थान के विद्यार्थी विश्वविद्यालय का नाम ऊचा रकने में सदैव आगे रहे है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी स्वयं ललित कला संस्थान के छात्रों की प्रतिभा के बहुत बडे प्रशंसक है। विशिष्ट अतिथि डा.पुनीत बिसारिया ने कहा कि कला ही जीवन है। कला का ज्ञान, मानव के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है, यह मनुष्य की मानसिक शक्तियों का विकास करके उसे पशुत्व से उपर उठाता है। डा.बिसारिया ने कहा कि ललित कला संस्‍थान के छात्रों की कला प्रतिभा का जिक्र कइ्र अन्य स्ािानों पर भी सुनने को मिलता है।
उल्लेखनीय है कि ललित कला संस्थान, छात्रों के द्वारा वर्ष भर प्रायोगिक कार्य तथा अभ्यास हेतु बनाये गये चित्रों की संस्थान द्वारा एक वार्षिक कला प्रदर्शनी के द्वारा आम जनता तक पहुुंचाने का प्रयास करता है। इस कला प्रदर्शनी का मुख्य उददेश्य ललित कला के छात्रों की प्रतिभा को आम जनता तक पहुंचाना है।। इस वर्ष प्रदर्शनी को झांसी एवं आसपास के विभिन्न कलाकार तथा गणमान्य व्यक्ति भ्रमण छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन कर चुके हैै।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्थान की समन्वयक डाॅ. श्वेता पाण्डेय ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा बताया कि इस प्रदर्शनी में संस्थान के छात्र-छात्राओं के द्वारा बनाये गये लगभग दो हजार से अधिक चित्र प्रदर्शित किये गये है। उन्‍होंने कहा कि
कुछ बच्चे चित्र बनाने में रूचि लेते हैं। उनकी कापी के पन्नों पर इसका प्रदर्शन होता रहता है या चाक हाथ में आने पर दीवारें, बोर्ड उनकी रूचि की कहानी कहते हैं। उन्हें बस थोड़े से प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। कुछ अभाव जो विद्यालय स्तर पर पूरे किये जा सकते हैं और फिर उन बच्चों के सपनों को पंख लगा दीजिए। प्रतिभा हर स्तर पर है बस उसे पहचानने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के अन्त में आमंत्रित अतिथियेां का आभार डाॅ. अजय कुमार गुप्ता ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डा.राधिका चौधरी, दिलीप कुमार, जयराम कुटार, मुकुल वर्मा, आरती वर्मा डाॅ. उमेश कुमार, अभिषेक कुमार, उमेश शुक्ला आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का बैच लगाकर स्वागत किया गया।

LEAVE A REPLY