डॉ. रामवीर जर्मनी में बताएंगे इस रोग के लक्षण

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झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस विभाग में कार्यरत डॉ. रामबीर सिंह को बर्लिन, जर्मनी में ‘संक्रमण रोग’ विषय पर आयोजित पांचवी अन्तराष्ट्रीय कांग्रेस में व्‍याख्यान हेतु आमन्त्रित किया गया है। डॉ. सिंह ‘अस्पेर्जिलोसिस की पहचान एवं उपचार’ विषय पर व्‍याख्यान देंगे।
डॉ. रामवीर सिंह ने बताया कि विश्व में संक्रमण रोगों के सबसे ज्‍यादा रोगी भारत में है, जिनमें टीबी प्रमुख है। हमारे देश में ला–इलाज टीबी जिसे एमडीआर टीबी भी कहते हैं, के रोगियों की संख्या बढती जा रही है। अस्पेर्जिलोसिस एक फंगल जनित रोग है, जो टीबी की तरह मुख्यत फेफड़ों में संक्रमण के कारण होता है। टीबी एवं अस्पेर्जिलोसिस के रोग के लक्षण एक समान हैं। अत: इन दोनों रोगों में अन्तर कर पाना मुश्किल होता है। दिल्ली एवं उसके आसपास के क्षेत्र के संस्थानों में हुए शोध से ज्ञात हुआ है कि लगभग 20-25 % रोगियों में अस्पेर्जिलोसिस की पहचान, गलत तरीके से टीबी के रूप की जा रही है, जिससे रोगियों को उपचार का अपेक्षित लाभ नहीं हो रहा है। उत्तर प्रदेश में टीबी के रोगियों की संख्या भारत में सबसे ज्‍यादा है एवं अस्पेर्जिलोसिस के सम्बन्ध में कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। अत: उत्तर प्रदेश में अस्पेर्जिलोसिस पर शोध की आवश्यकता है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में वर्तमान में विकसित ‘इनोवेशन केंद्र’ में स्थापित शोध सुविधाओं के फलस्वरूप ही आज बुंदेलखंड परिक्षेत्र में विश्वस्तरीय शोध परियोजनाए प्रारंभ की जा सकी हैं।

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