नौ तपा : रोहणी को समझे घड़ी का कांटा, पूरी पृथ्वी में गर्मी से नहीं है इसका नाता

0
594

झांसी। जिस तरह घड़ी का कांटा सुबह, दोपहर और शाम होने का अहसास कराता है। ठीक उसी प्रकार नक्षत्रों की आकाशीय घड़ी में जब सूर्य रोहणी के सामने आता है तो वह मध्यभारत मे तीक्ष्ण गर्मी का समय होता है। रोहणी नक्षत्र का पूरी पृथ्वी के तापमान से कोई संबंध नहीं होता है। यह बात भोपाल निवासी राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू कही।
सारिका घारू ने बताया कि जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए 365 दिन बाद पृथ्वी उस स्थिति में आ जाती है, जबकि सूर्य के पीछे वृषभ तारामंडल का तारा रोहिणी आ जाता है तो इसके पहले नौ दिन नौतपा कहलाते हैं। सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आने की यह घटना लगभग 1000 साल पूर्व 11 मई को हुआ करती थी। संभवतः 1000 साल पहले इस अवधि में भारत के मध्य भारत में गर्मी का प्रकोप अधिक होने से इसे नौतपा नाम दिया गया। वर्तमान मे यह घटना 25 मई को होने लगी।

क्या रोहिणी तारा का है गर्मी से संबंध –

उन्‍होंने बताया कि पृथ्वी के किसी भाग पर गर्मी का होना वहां पड़ रही सूरज की सीधी किरणों के कारण होता है। गर्मी बढ़ने में नक्षत्र की भूमिका रहती तो मकर रेखा में स्थित देशों में इस समय दिन का तापमान कम क्यों रहता। इस समय आस्ट्रेलिया में दिन का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस, मालदीप में 32 डिग्री के आसपास है। रोहणी नक्षत्र पृथ्‍वी से 65 लाईट इयर दूर है। वो केवल किसी एक दो देश के तापमान बढ़ाने का काम क्यों करेगा। सूरज का रोहणी में आना केवल उस समय को एक घड़ी की तरह बताता है, जब मध्य भारत में गर्मी पड़ती है।

LEAVE A REPLY