गो-आश्रय स्थल में विद्युत तार गोवंशों की पहुंच से रखें दूर ताकि दुर्घटना से बचाया जा सके

जिलाधिकारी ने की एडवाइजरी जारी, दी चेतावनी पशु चिकित्सा अधिकारी/ उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी अपने मुख्यालय पर ही रात्रि निवास करना सुनिश्चित करें ** जनपद में भीषण ग्रीष्म ऋतु के दृष्टिगत गो-आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गौवंश एवं पशुपालकों को गौवंश को सुरक्षित रखे जाने के दिए निर्देश

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झांसी। जनपद में भीषण गर्मी के दृष्टिगत जनपद के गौ-आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गौवंश एवं पशुपालकों द्वारा पाले जा रहे गौवंश के रखरखाव सम्बन्धी एडवाइजरी जारी करते हुए जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि वर्तमान में जनपद में भीषण गर्मी हो रही है तथा गर्म हवा व लू के कारण तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इससे गौ-आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गौवंशों के स्वास्थ्य एवं प्रबन्धन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना है। ऐसी दशा में गौ-आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गौवंश एवं पशुपालकों द्वारा पाले जा रहे पशुओं के खान-पान व रख-रखाव में विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। गौशाला / गौ आश्रय स्थल में विद्युत उपकरण अथवा विद्युत तार गौवंशों की पहुंच से दूर रहें, जिससे विद्युत दुर्घटनाओं से बचाव हो सके। उन्होंने गोवंश में गला घोंटू (एच०एस०) लगंड़िया (बी०क्यू०) तथा अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण प्राथमिकता पर पशु चिकित्साधिकारियों द्वारा करा लिया जाय। उपरोक्त बिन्दुओं के साथ ही स्थानीय आवश्यकतों के अनुरूप मौसमी बीमारियों से बचाव हेतु समुचित जानकारी पशुपालकों को उपलब्ध करायी जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि अस्थाई / स्थाई गौ-आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंश को सुरक्षित किया जाए। उन्होंने ग्रीष्मकालीन प्रबन्धन हेतु गौ-आश्रय स्थलों में ग्रीष्म ऋतु एवं उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के निर्देशानुसार गर्मी एवं लू के प्रकोप के दृष्टिगत मूलभूत व्यवस्था की समीक्षा करते हुए विस्तृत दिशा निर्देश निर्गत किए। उन्होंने गर्म हवाओं तथा लू से बचाव के लिये गौवंश शेड को चारों ओर से टाट/बोरे से ढका और दिन में टाट के परदों को पानी से भिगोया जाय जिससे गर्म हवा को प्रकोप कम से कम हो। पशुओं के पीने हेतु स्वच्छ जल की व्यवस्था हमेशा उत्तम हो।
जिलाधिकारी ने कहा कि गर्मी को देखते हुए पशुओं को मात्र हरा चारा न खिलाया जाय, उचित होगा कि पशुओं के आहार में हरे चारे के साथ गेंहू के भूसे को मिलाकर खिलाया जाय जिससे नाइट्राइट्र तथा हाइड्रोसाइनिक एसिड की विषाक्तता का प्रभाव को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि हरे चारे को काटने के उपरान्त एक दिन खेत में छोड़ने के बाद गोवंश को खिलाने हेतु प्रयोग में लाया जाय। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि हरे चारे/भूसे से अनजान / विशिष्ट प्रकार गंध आने पर उक्त का प्रयोग करने में सावधानी बरती जाय। यथा-सम्भव ऐसे चारे/भूसे को धोने एवं सुखाने के उपरान्त ही प्रयोग में लाया जाय।
जिलाधिकारी ने कहा कि समस्त विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी सभी गौ-आश्रय स्थलों पर रात्रिकालीन गौ सेवक/चौकीदार नियुक्त किये जाएं तथा समस्त पशु चिकित्साधिकारी / उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी पशुपालन विभाग तथा पशु चिकित्साधिकारी अपने मुख्यालयों पर रात्रि निवास करना सुनिश्चित करें, साथ ही आप सभी को निर्देशित किया जाता है कि उक्त दिये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करना सुनिश्चित करें इस कार्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरती जाये अन्यथा कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी ।

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