होलिका दहन आज: शुभ मुहूर्त 8.30 रात्रि का

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झांसी। हिन्‍दू धर्म का पावन पर्व होली के तहत गुरुवार को रात्रि 8 बजकर 30 मिनट पर होलिका दहन किया जाएगा। हालांकि इसको लेकर धर्मगुरुआेें में मतभेद की स्‍थिति बन रही है। भद्राकाल रात्रि 7.45 पर समाप्‍त होने के कारण उसके बाद ही होलिका दहन किया जाएगा।
इस सम्‍बंध में जिला धर्माचार्य महंत विष्‍णुदत्‍त स्‍वामी ने बताया कि होलिका दहन रात्रि 8.30 बजे से 10 बजे तक किया जा सकता है, लेकिन 8.30 बजे का समय ज्‍यादा शुभ है। उन्‍होंने बताया कि इससे पूर्व भद्राकाल रात्रि 7.45 बजे समाप्‍त होगा।
वहीं विगत दिवस ग्वालियर रोड स्थित सिद्धेश्‍वर मंदिर में महानगर धर्माचार्य आचार्य हरिओम पाठक के मुख्य आतिथ्य में बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि 1 मार्च को काशी पंचांग के अनुसार होलिका दहन के लिए शाम 6.58 से 8.55 बजे होलिका दहन का समय शुभ है। होली दो मार्च को खेली जाएगी और दोज 3 मार्च को मनाई जायेगी।

सौ वर्षों बाद बन रहा होलिका दहन का ऐसा संयोग।

इस वर्ष सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ गजकेसरी योग का महासंयोग बन रहा है। यह संयोग कई राशि के जातकों को बेहद लाभकारी होगा। ऐसा संयोग लगभग 100 वर्षों बाद आया है।
एक मार्च की सुबह 8:05 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी और फिर उसके बाद भद्रा शुरु हो जाएगी जो शाम 7.45 बजे तक खत्म होगी। भद्रा खत्म होने के बाद ही होलिका दहन होना चाहिए। इस होली कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं। इस वर्ष सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ गजकेसरी योग का महासंयोग बन रहा है। यह संयोग कई राशि के जातकों को बेहद लाभकारी होगा। बता दें कि ऐसा संयोग लगभग 100 वर्षों बाद आया है।

होलिका दहन की कहानी

हिन्दू पुराणों के अनुसार, जब दानवों के राजा हिरण्यकश्यप ने देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की आराधना में लीन हो रहा है, तो उन्हें अत्यंत क्रोध आया। उन्होंने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वो प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। क्योंकि होलिका को यह वरदान था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती, परन्तु जब वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी को वह पूरी तरह जलकर राख हो गयी और नारायण के भक्त प्रह्लाद को एक खरोंच तक नहीं आई। तब से आज तक इस पर्व को मनाया जाता है जिसे होलिका दहन कहते है। यहाँ लकड़ी को होलिका समझकर उसका दहन किया जाता है।

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