मोटा अनाज खाओ बीमारियां दूर भगाओ : अल्पना बाजपेई

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झाँसी। ग्राम साकिन विकासखंड मोंठ में भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बी0पी0के0पी0) के अन्तर्गत गौ आधारित प्राकृतिक खेती में चयनित क्लस्टर के कृषकों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए विषय वस्तु विशेषज्ञ सुश्री अल्पना बाजपेई ने बताया कि गौ आधारित खेती करने वाले कृषकों को क्षेत्र का भ्रमण कराकर अधिकाधिक कृषकों को उक्त पद्धति अपनाये जाने हेतु प्रेरित करना तथा उप कृषि निदेशक कार्यालय में गौ आधारित प्राकृतिक खेती के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान किये जाने हेतु हेल्पलाइन स्थापित किये जाने की जानकारी किसानों को दी। कृषकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदर्शन के दौरान गौ आधारित प्राकृतिक खेती करने वाले कृषकों को गौ आधारित खेती में उपयोग किये जाने वाले जीवामृत/धन जीवामृत तैयार करने का प्रदर्शन एवं बीजामृत से बीजों का शोधन करने की जानकारी मौके पर कृषकों को दी गई। विकासखंड मोठ के ग्राम साकिन में प्रतिभाग करने वाले कृषकों को प्राकृतिक खेती के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए जीवामृत् तैयार किये जाने के साथ ही उसके उपयोग की विधि को भी कृषकों से साझा किया। विकासखंड मोंठ के ग्राम साकिन में खेत पर ही गौ आधारित प्राकृतिक खेती में चयनित क्लस्टर के कृषकों को प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विषय वस्तु विशेषज्ञ सुश्री अल्पना बाजपेई ने कहा की “मोटा अनाज खाओ- बीमारी दूर भगाओ” पर जोर दिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्होंने मोटा अनाज की खेती को प्रोत्साहन देते हुए किसानों को मोटे अनाज की खेती का जनपद में दायरा बढ़ाने और उससे दूर होने वाली बीमारियों की जानकारियां दी। विषय वस्तु विशेषज्ञ ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोटे अनाज की उपयोगिता को देखते हुए 2023 को दुनिया भर में मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। आहार एवं पोषण विशेषज्ञ मोटे अनाजों की खुबियों से इतने प्रभावित है कि इन्हें सुपर फुड्स के रूप में मान्यता दे रहे है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए सरकार ने श्री अन्न योजना का नाम दिया है। मिलेट्स के बारे में जागरूकता बढ़े इसीलिए प्रशिक्षण के दौरान यह जानकारी दी गई है, उपलब्धता कम होने से महँगा मिलते है। पौस्टिक तत्व भरपूर मात्रा में होने के कारण मोटे अनाज को एनीमिया व कुपोषण की समस्या को दूर करने में सहायक माना जा रहा है। सुश्री अल्पना बाजपेई ने मोटे अनाज के उत्पादन की विधियां एवं खेत को कैसे तैयार किया जाए की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिलेट्स कंपनी में कम खर्च में उगाए जाते हैं फसल खराब भी हो जाए तो चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है उन्होंने बताया की मिलेट्स फसलों में कोरोनावायरस इन आयरन प्योर जिंक शामिल है। उन्होंने कहा कि अस्थमा रोग में मोटा अनाज बहुत लाभदायक है इसमें विटामिन बी 3 होता है जो शरीर की मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को ठीक करता है। कृषि विज्ञान केंद्र भरारी की प्रभारी डॉक्टर निशी राय ने कहा कि मोटे अनाजो में फाइबर की प्रचुरता मधुमेह और मोटापे से बचाती है। उन्होंने बताया कि जनपद में मोटे अनाजों की खेती की कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है विभाग द्वारा बीज उपलब्ध कराकर जागरूक करके आच्छादन एवं उत्पादन बढ़ाया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में गौ आधारित खेती करने वाले तथा गौ आधारित खेती के इच्छुक कृषकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। गौ आधारित प्राकृतिक खेती के लाभ कृषकों से साझा करते हुए इस पद्धति से खेती करने हेतु कृषकों से अनुरोध किया गया। इस मौके पर वरिष्ठ प्राविधिक सहायक सुश्री सुमन, विषय वस्तु विशेषज्ञ प्रकाश चंद्र पटेल, प्रगतिशील कृषक डॉक्टर अवधेश प्रताप सिंह सहित क्लस्टर में चयनित कृषक उपस्थित रहे।

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