ड्रोन के इस्तेमाल से बढ़ेगी किसानों की आमदनी, खेती की लागत होगी कम:- प्रभारी सीडीओ

** जनपद में श्री अन्न की खेती लाभदायक, एफपीओ अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए किसानो को करें जागरूक *** कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) क्षेत्र में किसानों को अधिक लाभ लेने के लिए फसल को प्रसंस्करण कर विक्रय करने का दिन सुझाव

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झांसी। प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी/ जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना अंतर्गत जनपद के कृषक उत्पादक संगठन एफपीओ की 03 दिवसीय कार्यशाला डीएमसी (जिला प्रबंधन समिति) की बैठक आयोजित की गई।
आत्मनिर्भर भारत समन्वित विकास योजना अंतर्गत “कृषक उत्पादक संगठनों के गठन एवं प्रोत्साहन” अंतर्गत 03 दिवसीय कार्यशाला जनपद स्तरीय मॉनिटरिंग समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी/ जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार ने कहा कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार सभी वर्गो के किसानों को साथ लेकर आय दोगुनी एवं विकास करना चाहती हैं। एक तरह से काम करने वाले किसानों को एक साथ जोड़ कर कार्य करें ताकि उन्हें अपनी फसल और मेहनत का सही दाम मिल सके यही एफपीओ का उद्देश्य है, शासन की भी यही मंशा है कि किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो। प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी ने कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए उपस्थित विभिन्न एफपीओ के डायरेक्टर को संबोधित करते हुए कहा कि विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही जानकारी को आत्मसात करते हुए क्षेत्र के किसानों को खेती किसानी में तकनीक को कैसे इस्तेमाल किया जाए की जानकारी अवश्य दें ताकि किसान की आय दोगुनी हो सके। उन्होंने एफपीओ का ड्रोन के माध्यम से किसानों को खेत में रासायनिक खाद के छिडकाव एवम फसल का उचित दाम मिल सके उसके लिए उन्होंने उत्पादन के साथ-साथ प्रोसेसिंग पर भी विशेष जोर दिया।
विकास भवन सभागार में आयोजित 03 दिवसीय कार्यशाला में महारानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आशुतोष शर्मा ने ड्रोन के माध्यम से कीट रसायन दवाओं का छिड़काव कैसे करना है, की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार देश के किसानों की आय को दोगूनी करने की कोशिश में जुटी है। इसके लिए कई तरह की स्कीम भी चलाई जा रही हैं। सरकार नई ड्रोन पॉलिसी लेकर आई है। इसमें कई पुराने नियमों को बदल दिया गया है। ड्रोन देश के किसानों के लिए भी बड़े ही काम का उपकरण है। खेती को आसान बनाने के लिए आजकल खूब तकनीक की मदद ली जा रही है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। हाल ही में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जिले में ड्रोन का शानदार इस्तेमाल किया है। जनपद में फसल पर एग्री ड्रोन से रासायनिक खाद यूरिया का छिड़काव का तकनीकि प्रदर्शन किया, इस पद्धति से किसान कम लागत में अधिक फसल का पैदावार ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जनपद के किसान इसका इस्तेमाल कर अपनी खेती को और आसान बना सकेंगे।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशुतोष शर्मा ने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से किसान कम पानी के साथ -साथ कम लागत में अच्छी फसल का पैदावार कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि एग्री ड्रोन के माध्यम से एक एकड़ क्षेत्र में 20 मिनट के समय में छिड़काव किया जा सकता है। इसके लिए मात्र 20 लीटर पानी की जरूरत पड़ेगी। वहीं, हाथ से चलाने वाले पंप से छिड़काव करने पर एक एकड़ के लिए 400 से 500 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना अंतर्गत जनपद की कृषक उत्पादक संगठनों की 03 दिवसीय कार्यशाला में प्रखर कुमार वरिष्ठ मार्केटिंग निरीक्षक ने मार्केटिंग एवं एक्सपोर्ट की जानकारी देते हुए बताया कि जब तक किसान के उत्पाद को सही ढंग से बाजार तक नहीं पहुंचाया जाएगा तब तक किसान को लाभ नहीं मिल पायेगा। उन्होंने किसान के उत्पाद को सही ढंग से मार्केट तक पहुँचाए जाने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति- 2019 की जानकारी देते हुए बताया कि इसके अंतर्गत जनपद के किसान अपनी उत्पाद की बिक्री कर लाभ कमा सकते हैं।
उन्होंने कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति की जानकारी देते हुए बताया कि कृषि निर्यात उन्मुख क्लस्टर निर्माण, पंजीकरण एवं निर्यात दायित्व पूर्ण होने पर 50 से 100 हे0 पर 5 वर्षों में 10 लाख रुपया। क्लस्टर के निकट नई प्रसंस्करण इकाई, पैकहाउस, शीतगृह एवं राइपेनिंग चैम्बर आदि स्थापित करने एवं निर्यात दायित्व पूर्ण होने पर रु 25 लाख या टर्नओवर 10% जो भी कम हो। निर्यात सिद्ध होने पर निर्यातक को वायु/जल मार्ग से निर्यात करने पर रु 10/ किग्रा० एवं सड़क / रेल मार्ग से रु 5/किग्रा० की दर से परिवहन अनुदान । अधिकतम रु 10 लाख प्रति निर्यातक प्रतिवर्ष।
इसके अतिरिक्त कृषि निर्यात करने पर मंडी शुल्क एवं विकास सेस से छूट भी प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि अन्य प्रदेशो से मंडी शुल्क का भुगतान कर लाये गये बासमती धान का प्रसंस्करण कर निर्मित चावल के निर्यात पर मंडी शुल्क एवं विकास सेस से शत प्रतिशत छूट प्राप्त होगी। कार्यशाला के समापन सत्र में जिला कृषि अधिकारी के के सिंह ने उपस्थित वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त करते हुए उपस्थित एफपीओ के विभिन्न डायरेक्टरों से अनुरोध किया की दी गई जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाया जाना सुनिश्चित करें ताकि किसान अपनी फसल का सही दाम ले सके जिससे उसकी आय दोगुनी हो। कार्यशाला का सफल संचालन विषय वस्तु विशेषज्ञ दीपक कुमार कुशवाहा ने किया। पावर प्वाइंट प्रेज़ेन्टेशन राजीव कुमार कंप्यूटर प्रोग्रामर उप कृषि निदेशक कार्यालय द्वारा किया गया। बैठक में डीडीएम नाबार्ड भूपेश पॉल, जिला उद्यान निरीक्षक डॉक्टर प्रशांत कुमार, प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र डॉक्टर निशी राय, बालिनी एफपीओ शशिकांत, एफपीओ निदेशक पुरुषोत्तम कुमार यादव, गुंचीलाल, वीर सिंह गणेशगढ़, बान सिंह एवं सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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