रामायण, महाभारत और प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में मिलता है ललितपुर का वर्णन : डॉ. चित्रगुप्‍त

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झांसी। रघुवीर सिंह राजकीय महाविद्यालय ललितपुर द्वारा आयोजित बेबिनार में इतिहासकार डॉ. चित्रगुप्त ने बुंदेलखण्ड के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पक्षों को विस्तार से बताया। इसके अलावा ललितपुर के पुरातात्विक महत्व की जानकारी दी।
डॉ. चित्रगुप्त ने कहा कि रामायण और महाभारत के अलावा प्राचीन बौद्ध ग्रंथो में भी इस क्षेत्र का वर्णन किया गया है। यहां मौर्य वंशी, नागवंशी, शुंग वंशी आदि राजा राज्य कर रहे थे। गुप्त वंशी सम्राट समुद्रगुप्त ने यहां के स्थानीय प्रमुखों को हराकर इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। गुप्त काल में ही देवगढ़ में दशावतार मंदिर, दुधई-ललितपुर में नरसिंह मूर्ती बनी थी। चंदेलों ने इस क्षेत्र का काफी विकास किया। चंदेल राजा कीर्ति वर्मन का शिलालेख भी देवगढ मे मिलता है। झांसी जिले के ऐरच में शुंग कालीन सिक्के तथा नागशासकों सहित अनेक प्रकार के सिक्के प्राप्त होते हैं। यहां की संस्कृति में गोंड, भील, पुलिंद आदि जनजातियों की संस्कृति के लक्षण भी मिलते हैं। यहां के खानपान में मध्यकाल में मारवाड़ी प्रभाव भी पड़ा। 18वीं सदी में मराठों ने भी इस क्षेत्र पर अपनी संस्कृति और सभ्यता का प्रभाव छोङा था जो आज भी दृष्टिगोचर होता है।

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