अमर बलिदानियों के त्याग से ही प्रगति के पथ पर अग्रसर है देश: डा. चन्द्रपाल सिंह यादव

राजकीय संग्रहालय में मनाया गया अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद का 90वाँ शहीद दिवस

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झाँसी। ‘‘हमारी लड़ाई आजादी को लेकर है, आखरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है…. जीत या मौत !’’ क्रांतिकारी अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद, जिन्होंने वीरता की नई परिभाषा हमको दी और आजादी को लेकर उनकी स्पष्ट सोच थी। आज क्रांतिकारी आजाद के 90वें शहीद दिवस समारोह पर राजकीय संग्रहालय में आयेाजित ‘‘संगोष्ठी एवं काव्यमय श्रद्धांजलि’’ समारोह में आयोजकों द्वारा दिये गये विषय – ‘‘क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद और बुन्देलखण्ड में शक्तिशाली राष्ट्रीय आन्दोलन का उदय व संघर्ष’’ पर नगर के ख्याति प्राप्त साहित्यकार, विचारक, विचारक, चिंतक, कवियों व शायरों ने अपने-अपने विचारों व गीतों तथा नग्मों के माध्यम से उद्गार व्यक्त करते हुये श्रद्धासुमन अर्पित किये।

इसी संदर्भ में वुमेन पावन ऑफ बुन्देलखण्ड, यूनाईटेड बुन्देलखण्ड न्यूज पेपर्स एसो0, रजि. एवं राजकीय संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘‘श्रद्धांजलि समारोह’’ की शुरूआत मुख्य अतिथि पूर्व राज्यसभा सांसद एवं कृभको के चेयरमेन डा. चन्द्रपाल सिंह यादव एवं दैनिक जागरण के निदेशक यशोबर्धन गुप्त तथा समारोह की अध्यक्षता कर रहे झाँसी सदर विधायक पं. रवि शर्मा व अन्य मंचासीन अतिथियों द्वारा अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन व माल्यार्पण कर किया। साथ ही प्रमुख वक्ताओं व सभागार में उपस्थित प्रबुद्धजनों ने आजाद के चित्र पर पुष्प अर्पित किये। कार्यक्रम की शुरूआत में स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार यूनाइटेड बुन्देलखण्ड न्यूज पेपर एसो0 के सचिव देवेन्द्र भारद्वाज ने कहा कि क्रांतिकारियों का वलिदान स्तुति योग्य है। हमें आज की नई पीड़ी को देश के गौरवशाली अतीत की जानकारी देना होगी क्योंकि अतीत के बिना वर्तमान का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने शेर पड़ते हुये कहा कि ‘‘आइना बनने से बेहतर है कि पत्थर बनो’’ क्योंकि जब तराशे जाओगे तो देवता कहलाओगे। इसके पश्चात् प्रमुख वक्ता प्रो0 उदय त्रिपाठी ने ख्याति प्राप्त साहित्यकार व इतिहासकार भगवानदास माहौर की पंक्तियां तुमको प्रणाम सबको प्रणाम पढ़ते हुये सम्बोधन की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का जनता के बीच विश्वास आ जाता है तो क्रांति का निर्माण हो जाता है। गांधी जी और अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद इन्हीं में से एक हैं। यही कारण है कि देश में क्रांति हा सकी और देश आजाद हो सका। आज के युग में ऐसा हो रहा है कि लोग जरा सा काम कर उसका प्रचार अधिक करते हैं, जबकि आजादी पूर्व ऐसा नहीं था। यही कारण है कि चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह जनता की चेतना में बस गये हैं। आज जब भी जनता क्रांति की सोचती है तो इन वलिदानियों के नाम उनके जहन में आते हैं। अस्वस्थ होने के कारण मुख्य अतिथि यशोबर्धन गुप्त ने विस्तृत व्याख्यान न देकर गीतकार नीरज की कविता का पाठ कर आजाद जी को नमन किया। अन्य मुख्य अतिथि डा. चन्द्रपाल सिंह यादव ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि देश की आजादी के लिए कई क्रांतिकारियों ने भूमिका निभाई है। आजाद जी भी उन्हीं में से एक थे। आज हम व हमारा देश जिस प्रगति के पथ पर अग्रसर है वह उन्हीं क्रांतिकारियों की देन है। उन्होंने कहा कि आज वह चन्द लोग उनका गुणगान करने में जुटे है जिनका देश की आजादी में कोई योगदान नहीं है और दुर्भाग्य से ऐसे लोग सत्ता पर काबिज हैं। यह लोग गांधी जी के हत्यारे को महिमा मण्डित करने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे में हम साहित्यकारों, इतिहासकारों, लेखकों का यह दायित्व है कि वह नई पीड़ी के समझ अपने गौरवशाली इतिहास की जानकारी दे ताकि वह किसी दुष्प्रचार में न आकर देश हित में कार्य कर सकें। इतिहासकार डा. चित्रगुप्त श्रीवास्तव ने बुन्देलखण्ड के उन स्थलों की ऐतिहासिकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी जहां आजाद जी व अन्य क्रांतिकारियों ने अपना समय विताया था। अध्यक्षता कर रहे सदर विधायक रवि शर्मा ने ‘‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले – वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा’’ पक्तियों के साथ अपने संबोधन की शुरूआत की उन्होंने कहा कि आज देश के महापुरूषों का जाति में बांट दिया गया है। देश की आजादी के लिए कुर्बान होने वाले क्रांतिकारियों ने किसी जाति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के लिए बलिदान दिया था। उन्होंने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी कई बलिदानियों को इतिहास में स्थान नहीं मिलना बताता है कि देश का इतिहास लिखने वालों ने पक्षपात किया है, हमें इतिहास को नये नजरिये से देखना होगा और नये इतिहास का सृजन करना होगा ताकि सभी राष्ट्र गौरव महापुरूषों की जीवनी इसमें शामिल हो सके। ”श्रृद्धांजली समारेाह’’ को शिवप्रताप वर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता, सुश्री नीलमधु श्रीवास्तव रेकी ग्राण्ड मास्टर, श्रीमति आशा पाण्डेय उप निदेशक, राजकीय संग्रहालय, श्रीमति सीमा राजपूत वरिष्ठ समाजसेविका, रवि भूषण खरे कवि, दतिया, कमलकान्त शर्मा वरिष्ठ कवि, दतिया, मदन लाल बबेले वरिष्ठ अधिवक्ता, संजय राष्ट्रवादी, हरीओम सक्सेना वरिष्ठ अधिवक्ता, डा. मकीन सिद्दीकी, आजाद अंजान, हरशरण शुक्ल, प्रताप नारायण दुबे, वैभव दुबे, प्रेम प्रकाश त्रिपाठी ‘शिशु’ वरिष्ठ अधिवक्ता, ए0 के0 हिंगवासिया पूर्व पुलिस उपाधीक्षक, जगदीश खरे ‘‘जीव मित्र’’ वरिष्ठ साहित्यकार, फारूख खान एड., डा. उमा पाराशर विथिका सहायक, राजकीय संग्रहालयद्ध आदि ने अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद को अपने अपने विचारों व काव्य तथा गीतों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद दिवस समारोह में प्रवीण जैन कार्यकारी अध्यक्ष, पत्रकार भवन, अजीम मलिक समाजसेवी, सूर्या शिवप्रताप वर्मा एड., राजेश कुमार झा वरिष्ठ समाजसेवी, रविन्द्र यादव सपा नेता, सादिया खान कार्यकारी अध्यक्षा, वुमेन पावर ऑफ बुन्देलखण्ड, श्रीमति श्वेता रविन्द्र यादव सभासद, नगर निगम, उर्मिला पटैरिया वरिष्ठ भाजपा नेत्री, जगदीश तिवारी वरिष्ठ पत्रकार, वीरेन्द्र कुशवाहा वरिष्ठ समाजसेवी, शंकर लाल कुशवाहा हाजी शमीम शेख, आमिर खान, हरी प्रकाश सिंह, कमलेश चौरसिया, मान सिंह यादव, सलीम खान, संतोष खटीक, गोकुल दुबे, मुकेश सोनी ‘बंटी’ आदि उपस्थित रहे।
‘‘संगोष्ठी एवं काव्यमय श्रद्धांजलि’’ का संचालन संयुक्त रूप से वरिष्ठ शायर अर्जुन सिंह ‘चांद’ एवं वरिष्ठ पत्रकार नीरज सक्सेना ने किया। अंत में वुमेन पावर ऑफ बुन्देलखण्ड की अध्यक्ष साजिया खान ने आभार व्यक्त किया।

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