शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही साथ मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी : प्रो. आंजनेय पाण्‍डेय

********** सिफ्सा मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला *************** पत्रकारिता संस्थान के 64 विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण कार्यशाला में लिया हिस्सा

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झांसी। राष्ट्रीय सेवा योजना अंतर्गत संचालित राज्य परिवार नियोजन अभिनवीकरण सेवा परियोजना एजेंसी के मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल परियोजना के तहत आज एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पत्रकारिता संस्थान में किया गया। इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए किए जा सकने वाले प्रयासों पर चर्चा की गई।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि आज के समय में मन बहुत जल्दी ही विचलित हो जाता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में तीन घंटे फिल्म देखना भी बहुत मुश्किल हो गया है। यह हमारे मन की चंचलता है कि वह फिल्म की जगह रील पर आ गया है। उन्होंने कहा कि किताब उठा कर एक दो पन्नो को पढ़ते हुए ही मोबाइल हाथ में आ जाता है और किताब नीचे चली जाती है। उन्होंने कहा कि इसे नियंत्रित एवं उचित तरीके से नियोजित करके विद्यार्थी निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी विभाग के आचार्य अंजनेय कुमार पांडेय ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सभी चिंतित रहते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य के लिए आज भी लोग इस उदासीन ही बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह भ्रांति हो गया है कि अगर हम मनोचिकित्सक से मिलने के लिए जाते हैं तो लोग पागल समझ लेते हैं। उन्होंने कहा कि इस अवधारणा को जागरूकता के द्वारा खत्म किया जा सकता है। प्रो. पांडेय ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का खराब होना बहुत ही दुखदाई स्थिति बना देता है। उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए बताया कि महाराज दशरथ पूर्ण स्वस्थ थे, लेकिन कैकेई के कोप भवन में वार्ता के पश्चात उनकी मानसिक स्थिति खराब हो जाती है और वह बीमार हो जाते हैं। प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे सत्र में विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के तरीके, भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों की अवधारणा, भ्रांतियां, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 एवं अन्य विषयों के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षक के रूप में डॉ. उमेश कुमार, डॉ श्वेता पांडेय और डॉ. शुभांगी निगम उपस्थित रहे। डॉ. संदीप अग्रवाल ने विद्यार्थियों को अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण बताए। उन्होंने बताया कि हमें सकारात्मक रहना चाहिए क्योंकि इससे बहुत सी समस्याएं अपने आप ही खत्म हो हैं। इस अवसर पर शोधार्थिनी विजया, मेघा और पत्रकारिता संस्थान के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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