झांसी। बुन्देलखण्ड विगत कई वर्षों से जल संकट झेल रहा है और आगामी दिनों में जल्दी ही बारिश न होने से और हालत बिगड़ जाएगी। सूखा अब इस क्षेत्र की पहचान बनता जा रहा है। जल स्तर दिन ब दिन नीचे गिरता जा रहा है। ऐसे में बारिश के पानी का संचयन न करने से हालात और खराब होते जाएंगे। इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए मार्गश्री संस्था व मानव विकास संस्थान ने सहयोग केवट, प्रगति रथ व एनवाईपी के सहयोग से जल संरक्षण जागरुकता यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
मार्गश्री के निदेशक ध्रुुव सिंह यादव ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से किसान अपने खेतों में 60 से 70 प्रतिशत क्षेत्र में ही बुवाई कर पाता है। मगर सिंचाई के अभाव में 30 से 40 प्रतिशत ही फसल ले पाता है। वह भी भारी रकम खर्च करने के बाद। इसी वजह से उत्पादन की मात्रा 50 प्रतिशत ही रह गई है। आजीविका चलाने के लिए यहां के 50 से 60 प्रतिशत पुरुष पलायन कर जाते हैं। कभी कभी महिलाएं, बच्चे भी दिल्ली, पंजाब व गुजरात काम करने जाते हैं। जल संरक्षण जागरुकता यात्रा पांचवे दिन भण्डरा व मथुरापुरा पहुंची, जहां ग्रामीणों ने बताया कि 80 प्रतिश्ात कुएं व हैण्डपम्प सूख चुके हैं। लोगों का कहना है कि राजघाट वाली नहर का पानी गांवों में आना चाहिए, लाईट की व्यवस्था होनी चाहिए। गांवों में बोरिंग होनी चाहिए। पानी की कमी की वजह से जानवर भी मरने की कगार पर पहुंच चुके हैं। मार्ग श्री संस्था के नरेन्द्र कुमार ने बताया कि बरसात के पानी को हर हाल में रोकना होगा। प्रगति रथ के मयूर चौकसे ने बताया कि वृक्षारोपण करने से मिट्टी का कटाव रोका जा सकता है। मौरिस ने बताया कि जल स्त्रोतों के पास सोख्ता गड्ढा बनाना जरूरी है। इस मौके पर जानकी बल्लभ शर्मा, राजीव परमार, आदित्य तिवारी, जितेन्द्र बिरथरे, धर्मेन्द्र शर्मा, शिवकुमार शर्मा, विनोद रायकवार, भरत कुशवाहा, नारायण रायकवार, दुर्ग सिंह, चन्द्रभान आदि मौजूद रहे।