डिजिटल टेक्नोलॉजी से शोध में समय और धन दोनों की बचत : डॉ. राज तिवारी

शोध का विषय राष्ट्रनिर्माण से जुड़ा होना चाहिए : प्रो अशोक कुमार मिश्र

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झाँसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्ववाधान में आयोजित सात दिवसीय शोध प्रविधि संकाय विकास कार्यक्रम के छठवे दिन प्रतिवेदन लेखन पर आधारित व्याख्यान हुआ। व्याख्यान के मुख्य अतिथि राज तिवारी हिन्द रत्न ग्लोबल डिजिटल ट्रांसफार्मेशन लीडर ने कहा कि डिजिटल टेक्नोलॉजी से अनुसन्धान के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है। डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से शोध के क्षेत्र में समय और धन दोनों की बचत होती है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने वैश्विक स्तर पर शोध के क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आधुनिक तकनिकी शोध में अच्छे परिक्षण और अच्छे परिणाम में सहायक है। हम कोई समस्या को कितनी जल्दी लोगों को उत्तरित करते हैं। यह हमारे शोध पर निर्भर करता है। जितना सही तरीके से हम शोध करेंगे, उसी प्रकार हम अपने समस्या का समाधान करने में सक्षम होंगे।
कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ प्रो. अशोक कुमार मिश्र, भौतिक विज्ञान विभाग डॉ. शकुंतला मिश्र विश्वविद्यालय लखनऊ ने कहा कि शोध का विषय राष्ट्रनिर्माण से जुड़ा होना चाहिए। साहित्य समीक्षा कोई एक दिन का काम नहीं है। शोधार्थी का कर्तव्य है कि शोध करते समय लगातार साहित्य समीक्षा करती रहनी चाहिए। शोध के विषय का चुनाव स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महत्व को ध्यान में रखना चाहिए।
शोध कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मुन्ना तिवारी ने कहा कि शोध प्रविधि संकाय विकास कार्यक्रम के माध्यम से शोध प्रविधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाने की कोशिश की गई। कार्यक्रम के माध्यम से शोध के बारे में जो जानकारी दी गई वह विद्यार्थियों और शोधार्थियों के अत्यंत उपयोगी होगी।
आयोजन समन्वयक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों शोध के क्षेत्र में बहुत कुछ सीखने को मिला। साथ ही डॉ. पाण्डेय ने कार्यक्रम के अंतिम दिन आयोजित वाले परीक्षा के बारे में जानकरी दी।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. उमेश कुमार ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिवेदन लेखन और साहित्यिक चोरी पर आधारित यह व्याख्यान हम सबके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। शोध प्रक्रिया चाहे जितनी अच्छी हो अगर प्रतिवेदन लेखन का सही तरीका नहीं किया जाता है तो सारा शोध व्यर्थ है। कार्यक्रम में डॉ. यतीन्द्र मिश्र, डॉ. अनुपम व्यास, डॉ. शिल्पा मिश्रा, डॉ. बीएस मस्तनिया, डॉ. शुभांगी निगम, बृजेश लोधी एवं अन्य शोधार्थी उपस्थित रहे।

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