सुबह तक लौट आएंगे कोटा में पढ़ने गए उरई व झांसी सहित आगरा के विद्यार्थी

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झांसी। उप्र से कोटा राजस्थान गए विद्यार्थियों के लिए लॉक डाउन का यह समय काफी दिक्कत भरा हो गया है। एक तो उनको कोचिंग जाने को नहीं मिल पा रहा है। वहीं उनकी खाने पीने की दिनचर्या भी बिगड़ चुकी है। ऐसे में उनके पास अपने घर आने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। इसको लेकर जहां विद्यार्थियों ने टविटर पर अभियान चलाया, साथ ही अपने अभिभावकों पर भी दवाब बनाया कि वह उनको किसी प्रकार घर वापिस बुला लें। इसकी सूचना प्रदेश सरकार तक पहुंचने पर उन्होंने कई जनपदों में जिला प्रशासन को इसके लिए पहल करने के निर्देश दिए। इसके लिए शुक्रवार को झांसी, उरई और आगरा से बस व्यवस्था कर कोटा पहुंचा दी गई है और उन विद्यार्थियों को उनके घर तक सकुशल पहुंचाने की जिम्मेदारी ले ली है। जानकारी अनुसार झांसी व उरई से 100 और आगरा से 150 बसें शुक्रवार सुबह रवाना होकर कोटा पहुंच चुकी हैं।
उल्लेखनीय है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल के पाठयक्रमों में प्रवेश को लेकर की जाने वाली तैयारियों को लेकर कोटा राजस्थान का प्रमुख गढ़ है, जहां विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए तैयारी करने जाते हैं। वर्तमान कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है, जिसके चलते इन विद्यार्थियों ने 21 दिन तो जैसे तैसे निकाल लिये। जैसे ही यह लॉकडाउन का समय बढ़ाने की जानकारी हुई तो उनमें हड़कम्प सा मच गया और विद्यार्थियों ने अपने घर लौटने के लिए हाय तोबा मचाना शुरू कर दिया। कोई रास्ता न मिलने पर कोटा में फंसे विद्यार्थियों ने खुद ही ट्विटर पर एक अभियान छेड़ दिया, जिसको “SEND US BACK HOME” नाम दिया गया। अभियान के तहत कोटा के छात्रों की ओर से करीब 80 हजार ट्वीट किए गए थे। इससे लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ। कोटा की कोचिंग संस्थानों के मुताबिक करीब 2 लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए आते हैं, लेकिन दिसम्बर के बाद ही पाठ्यक्रम पूरे होना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में इन दिनों यहां 20 प्रतिशत ही ऐसे छात्र है जिनका या तो परीक्षा केन्द्र कोटा में है या फिर जो अगले वर्ष भी पढ़ाई जारी रखे हैं। इनमें सभी करीब 10 हजार छात्र अपने परिजनों या कोटा जिला प्रशासन से परमिशन लेकर वापस अपने गृह राज्यों की तरफ लौट गए हैं। अब केवल 30 हजार बच्चे ही कोटा में बचे हैं। कोचिंग संस्थानों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के करीब आठ हजार बच्चे कोटा में फंसे हुए हैं। इसके अलावा बिहार के करीब सात हजार, मध्यप्रदेश के साढ़े तीन हजार, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र करीब दो-दो हजार छात्र फंसे हुए हैं। वहीं, नॉर्थ-ईस्ट और पश्चिम बंगाल के एक-एक हजार छात्र भी कोटा में ही है। इनके लिए किसी तरह की व्यवस्था अभी नहीं की गई है। विद्यार्थियों की मुहिम के चलते उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मामले की जानकारी होने पर उन्होंने जानकारी करवाई और कोटा में फंसे विद्यार्थियों को अपने अपने गृह जनपद पहुंचाने के लिए आगरा से 150 और झांसी व उरई से 100 रोडवेज की बसें कोटा भेजी गई। वहां से विद्यार्थियों को लाने का काम शुरू हो गया है। बसों में पुलिसकर्मी और सुरक्षा गार्ड तैनात करते हुए विद्यार्थियों को मास्क, सैनिटाइजर और नाश्ते का पैकेट के साथ पानी की बोतल देने के निर्देश दिए गए। इन बसों में झांसी वाली बसों में झांसी, उरई, जालौन, ललितपुर व आसपास के क्षेत्रों के विद्यार्थी आएंगे। वहीं आगरा वाली बसों में आगरा के अलावा, इटावा, मथुरा आदि जनपदों के विद्यार्थियों को लाया जाएगा।

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