किसान देश की रक्षा करने वाले सैनिक के समान ही सम्मानीय: कुलपति प्रो.वैशम्पायन

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झांसी। किसान देश की रक्षा करने वाले सैनिक की तरह होता है। किसानों, सेना के जवानों तथा पुलिस के जवानों की डयूटी का कोई भी निर्धारित समय नही होता है। वे सदा चौबीसोंं घण्टे, सात दिन कार्य पर रहते हैं। यह विचार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन ने व्यक्त किये। कुलपति प्रो0 वैशम्पायन आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर में संचालित कृषि विज्ञान संस्थान के करगुआंजी स्थित जैविक प्रक्षेत्र में भ्रमण के दौरान उपस्थित कृषि विज्ञान के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे।
कुलपति ने कहा कि कृषि कार्य एक विशिष्ट कार्य है। किसान अन्नदाता है तथा उसके द्वारा देश का आम ओ खास को भोजन उपलब्ध होता हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जनसख्या बृद्धि की आवश्यकता का पूरा करने के लिए खाद्यान्न का उत्पादन तो बढ गया है परन्तु गुणवत्ता कम हो गई है। अधिक अनाज के उत्पादन के लिए किसान रासायनिक खाद का उपयोग करते है, परन्तु इससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही है। कुलपति ने कहा कि जैविक तरीेके से उत्पन्न फसलों में गुणवत्ता तथा पौष्टिकता के तत्व उपलब्ध रहते है, जो मानव शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। कुलपति ने छात्राओं द्वारा स्ट्राबेरी के पौधों की नर्सरी देखने के पश्चात छात्राओं को स्वरोजगार हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि आपके द्वारा किया गया। शोधकार्य आपके स्वरोजगार में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। कुलपति प्रो.वैशम्पायन द्वारा एग्रोनाॅमी के छात्रों द्वारा कम पानी के उपयोग से विकसित पौधों तथा काले गेंहू पर किये जा रहे कार्यों की सराहना की तथा इन सब कार्यों के प्रचार प्रसार हेतु एक वृत्तचित्र निर्माण करवाने हेतु कहा।
इस अवसर पर बुन्देलखण्उ विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी ए.के.दीक्षित कहा कि कृषि विज्ञान के छात्रों तथा प्राध्यापकों के द्वारा विकसित यह जैविक प्रक्षेत्र मेरी कल्पना से परे था। यह प्रक्षेत्र निश्चित ही विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वित्त अधिकारी ने कहा कि यहां पर होने वाली शोधकार्यो का सार्थक उपयेाग तभी हो सकता है जबकि इससे प्राप्त परिणामों को क्षेत्र के किसानों को उपलब्ध करवाया जा सके ताकि वे प्राप्त जानकारियों का उपयोग कर अपने खेतों में खाद्यान्न का उत्पादन बढा सकें।
आज के कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के अकादमिक निदेशक प्रो.बी.गंगवार ने कुलपति प्रो.वैशम्पायन का स्वागत करते हुए जैविक कृषि प्रक्षेत्र में किये जा रहे कार्याें का विवरण प्रस्तुत किया। प्रो.गंगवार ने जैविक कृषि की पद्यति, उपयोग तथा उससे होने वाले लाभों की चर्चा की तथा बताया कि विश्वविद्यालय के इस जैविक प्रक्षेत्र के पंजीकरण हेतु प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है तथा पंजीकरण हेतु डा.सन्तोष पाण्डेय तथा डा.अवनीश दुबे इस सम्बन्ध में पहले ही निर्देशित किया जा चुका है। इस अवसर पर जैविक प्रक्षेत्र के प्रभारी अधिकारी डा.सन्तोष पाण्डेय ने कहा कि सम्पूर्ण जैविक प्रक्षेत्र में जितनी भी फसले उगाई जाती है सभी के लिए गोबर की खाद, बर्मी कम्पोष्ट तथा पोल्ट्री मैन्योर का ही उपयेाग किया जाता है। प्रक्षेत्र का विकास करने हुतु बी.एस-सी कृषि के विद्यार्थियों को भी इस प्रक्षेत्र से जोडा जा रहा है। इस अवसर पर डा..पाण्डेय ने बताया कि उनका प्रयास हे कि आगामी वर्ष तक इस प्रक्षेत्र में क्राफ्ट कैफिटेरिया का निर्माण पूरा करवा लिया जायेगा, जिससे कई सारी फसलें एक ही स्थान पर एक साथ उगाई जायेगी, जो क्षेत्रीय किसानो एवं विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगी। कार्यक्रम का संचालन डा.सन्तोष पाण्डेय ने किया जबकि डा.हरपाल सिंह ने आमंत्रित अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डा.सत्यवीर सिह सोलंकी, डा.जयनारायण तिवारी, डा.अशोक कुमार, डा.पी.के.सिंह, डा.महिपत सिंह सहित कृषि विज्ञान संस्थान के परास्नातक एवं शोध छात्र उपस्थित रहे।

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