महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास से ही सशक्‍तिकरण सम्‍भव : कुलसचिव

विवि में महिला दिवस की पूर्व सन्ध्या पर हुआ कार्यक्रम

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झांसी। महिलाएं स्वयं अपने अन्दर आत्मविश्‍वास पैदा करें तभी भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण सम्भव है। महिलाओं के लिए यह अत्‍यंत आवश्‍यक है। उक्‍त विचार बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के गांधी सभागार में अन्तर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस की पूर्व सन्ध्या पर बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय तथा थाना नवाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं काे सम्बोधित करते हुए कुलसचिव सी.पी.तिवारी ने व्यक्त किये।
कुलसचिव ने कहा कि यद्यपि आज समाज तथा जमाना परिवर्तित हो चुका है। कानूनी रूप से लैंगिक असमानता नहीं है, परन्तु अब भी भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव जारी है। आज प्रदेश तथा देश की सरकारें महिला सशक्तिकरण के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं। बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग की नोडल आफिसर तथा महिला अध्ययन केन्द्र की समन्वयक प्रो. अपर्णाराज ने कहा कि भारतीय समाज में पुरातन काल से ही महिलाएं पुरूषों के समतुल्य ही मानी जाती रही हैं, परन्तु धीरे धीरे स्थिति में परिवर्तन आता गया तथा महिलाओं के प्रति लैंगिक भेदभाव निरन्तर बढ़ता ही गया। महिला सशक्तिकरण आज हमारे समाज की नितान्त आवश्‍यकता है। प्रो.राज ने कहा कि कोई भी पुरुष राजा तभी बन सकता है, जब वह अपनी पत्नी को रानी माने तथा रानी का ही सम्मान दे। नवाबाद पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी पंजाब सिंह ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा एवं सहायता के लिए सरकार द्वारा विभिन्न कानून बनाए गये हैं तथा पुलिस भी निरन्तर प्रयासरत रहती है। उन्होंने कहा कि किसी भी उत्पीड़न की स्थिति में महिलाएं 100 अथवा 1099 को फोन कर सकती हैं। निकटवर्ती पुलिस दल द्वारा उन्हें निश्‍चित ही हर सम्भव सहायता प्रदान की जायेगी। उनका मानना था कि इसके अतिरिक्त महिलाओं को स्वयं भी आत्मरक्षा के तरीके सीखने चहिये। समाज कल्याण संस्थान की समन्वयक डा.नेहा मिश्रा ने कहा कि कागजों पर महिला सषक्तिकरण काफी हो चुका है परन्तु वास्तविक धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। महिलाएं आज भी घराेें में तथा कार्यस्थल पर विभिन्न रूपों में प्रताडना का शिकार होती हैं । डा.मिश्रा ने कहा कि आज आवश्‍यकता इस बात की है कि महिलाओं के साथ पुरूष समाज भी महिलाओं के प्रति अपना दृष्‍टिकोण बदले।
विष्वविद्यालय के खाद्य तकनीकी संस्थान के विभागाध्यक्ष डा. डीके भट्ट ने कहा कि महिला तथा पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं, एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं रह पाता है। अतः यह हमारा उत्तरदायित्व है कि महिला तथा पुरूष एक दूसरे का सम्मान करते हुए सह अस्तित्व के साथ आधुनिक समाज का निर्माण करें। डा. भट्ट ने कहा कि यह हम पुरूषों का कर्तव्य है कि जहां कहीं भी लैंगिक असमानता तथा लैंगिक भेदभाव की घटना हो वहां पर हम उसका प्रतिराेध करें।
इस अवसर पर राष्‍ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की समन्वयक डा.यशोधरा शर्मा, डा.शुभांगी निगम, डा.नीता यादव, रक्षिता, दीपिका, शीना, सुषमा, दिप्ति, आलिया खान तथा शंकर ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन डा. डीके भट्ट ने किया तथा आभार डाॅॅॅ. नेहा मिश्रा ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर डा. मीनाक्षी सिंह, डा. लक्ष्मी उपाध्याय, इंजी. नेहा जैन, इंजी.सिन्धु, इंजी.पायल घोष, इंजी.पल्लवी, इंजी.प्रियंका पाण्डेय, इंजी.तूलिका श्रीवास्तव, डा.मोक्षा दुबे, साबिर अली, सतीष साहनी आदि उपस्‍थित रहे।

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