कार्यशाला में सहभागिता सृजनात्मक बुद्धि की शुरुआत है- श्याम जी गुप्ता

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झाँसी। ‘‘कार्यशाला में सहभागिता सृजनात्मक बुद्धि की शुरुआत है। जिस प्रकार कबाड़ एवं अनुप्रयोगी वस्तुओं के प्रयोग के माध्यम से हम घर को सुन्दर बना रहें हैं, उसी तरह हमें मिट्टी का क्षरण और पहाडों का अपहरण रोकना होगा, पानी का बेहतर प्रबन्धन करना होगा, ताकि हमारी पृथ्वी भी हरी-भरी और सुन्दर बन सके।’’
उपरोक्त विचार अधिष्ठाता छात्र कल्याण बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला ‘‘बेकार को आकार’’ के समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि किसान संवृद्धि आयोग के सदस्य व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्याम जी गुप्ता ने व्यक्त किए। उन्होनें कहा कि वायुमण्डल प्रदूषित हो रहा है, धरती जहरीली हो रही है। बेकार को आकार के माध्यम से युवा अपनी बेरोजगारी को दूर कर सकता है। उन्होनें कबाड़ और प्रदूषण की तुलना करते हुए युवाओं का आव्हान किया कि हमें प्रकृति को स्वच्छ, स्वस्थ और सुन्दर बनाने की कोशिशें करनी चाहिए, जिसके लिए कबाड व अवशिष्ट पदार्थों का पुर्नउपयोग आवश्यक है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने कहा कि बेकार को आकार देने साथ-साथ हम बेकार में आकार की भी तलाश करें। समाज में सद्मार्ग से भटकों को सही रास्ता दिखा कर उनमें भी प्रतिभा की तलाश करें तथा उनका प्रयोग समाज हित में करें। विशिष्ट अतिथि वित्त अधिकारी वसी मोहम्मद ने कहा कि इस तरह की कार्यशालायें ज्ञान को आगे बढ़ाने का कार्य करती हैं। हमारा परम्परागत और देशज ज्ञान पीढियों से हमारे देश की धरोहर है, यह नई पीढी का उत्तरदायित्व है कि वह उस ज्ञान को आगे प्रसारित करें। विशिष्ट अतिथि परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर ने गुरुवाणी का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि अच्छे लोग समाज में चारों तरह बिखर जायें तो समाज अच्छा हो जाये, दुनिया में चारों ओर अमन और शान्ति का राज हो। एक कलाकार का सच्चा हुनर भी यही है कि वह समाज को सुन्दर बनायें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि फिल्म एवं टी. वी. अभिनेता आरिफ शहडोली ने कहा कि कार्यशालाऐं विद्यार्थियों को संस्कारित व अनुशासित बनाती है। बेकार को आकार देकर हम बेहतर समाज के सपने को साकार करें। हमें अपनी प्रतिभा का उपयोग स्वयं से ज्यादा समाज हित में करनी चाहिए। कार्यशाला की मुख्य प्रशिक्षक श्रीमती नीलम सारंगी ने कहा कि सीखना -सिखाना एक सत्त प्रक्रिया है, इस तरह की कार्यशालाओं के माध्यम से उनका हमेशा प्रयास रहा है कि नई नई प्रतिभायें आगे आएं तथा इस कला को व्यवसायिक रुप देकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रो. सुनील काबिया ने कहा कि उनका हमेशा प्रयास रहा है कि विश्वविद्यालय परिसर में पढने वाले विद्यार्थी क्रियात्मक और सकारात्मक सोच के साथ अपनी ड़िग्री लेकर जायें, जिसका प्रयोग वे अपने कैरियर के साथ-साथ समाज हित में भी करें। यह कार्यशाला उसी दिशा में एक कदम है।
कार्यक्रम का संचालन सहायक अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डॉ. मुहम्मद नईम ने व आभार सहायक अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डॉ. विनीत कुमार ने व्यक्त किया। इस अवसर सामाजिक कार्यकर्ता मंजू पाठक (महोबा), वीरेन्द्र कुमार अग्रवाल, डॉ. सुनीता, डॉ. अंजलि सक्सेना, डॉ. अजय कुमार गुप्ता, डॉ. ब्रजेश कुमार, डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. वंदना, डॉ अतुल गोयल, प्रियंका रिछारिया, बलराम राजपूत, दीपांकर गुप्ता, शुभागता सिन्हा, अल्लादीन, प्रियांशु गुप्ता, करिश्मा सिंह, सोनम, ब्रजेश पाल आदि उपस्थित रहे। आयोजकों द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। कार्यशाला में विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को अतिथियों द्वारा भरपूर सराहा गया। अतिथियों द्वारा समस्त प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

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