पीएचसी बरूआसागर को मिला नेशनल क्वालिटी एश्योरेन्स स्टैन्डर्ड सर्टिफिकेशन

जिलाधिकारी ने कहा कि अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधार हमारी प्राथमिकता ******* नेशनल क्वालिटी एश्योरेन्स स्टैन्डर्ड सर्टिफिकेशन से बदलेगी जिले के कई अस्पतालों की तस्वीर

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झांसी। चिकित्सा इकाईयों के मानकीकरण हेतु भारत सरकार द्वारा नेशनल क्वालिटी एश्योरेन्स स्टैन्डर्ड (एन.क्यू.ए.एस.) सर्टिफिकेशन कराया जाता है। झाँसी जनपद की पी.एच.सी. बरूआसागर ने इस सर्टिफिकेशन को 89 प्रतिशत अंक प्राप्त कर जिले को गौरव दिलाया है।
जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार द्वारा बनायी गयी रणनीति से पी.एच.सी. बरूआसागर के सभी सिलेक्शन क्राइटेरिया के गैप चिन्हित किये गये और विभिन्न विभागों को उनसे संबंधित कार्यों को पूर्ण करने का दायित्व सौंपा गया। जिलाधिकारी द्वारा प्रतिदिन फीडबैक लेते हुये पी.एच.सी. को राष्ट्रीय स्तर के मूल्यांकन के लिये तैयार कराते हुये 23 व 24 सितंबर को भारत सरकार की टीम द्वारा मूल्यांकन कराया गया था। भारत सरकार की अपर सचिव एवं मिशन निदेशक रोली सिंह द्वारा जारी पत्र के माध्यम से प्राप्त सूचना के अनुसार 89 प्रतिशत अंक अर्जित करते हुये इस अस्पताल को राष्ट्रीय सर्टिफिकेशन मिला। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि यह उपलब्धि कई मायनों में बहुत खास है, जिले की यह पहली पी.एच.सी. है जिसे राष्ट्रीय स्तर के मानक पर लाया गया है। हमने ऐसी योजना बनायी है कि बरूआसागर मॉडल को लागू करते हुये जिले की कुछ और चुनिंदा अस्पतालों को इस प्रतिस्पर्धा में लाया जायेगा ताकि जिले की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में व्यापक बदलाव दिखाई दे। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम को बधाई देते हुये कहा है कि भविष्य में इस तरह की उपलब्धियों के लिये प्रशासनिक सहयोग मिलता रहेगा।
सी.एम.ओ. झाँसी डॉ सुधाकर पाण्डेय ने बताया कि प्रथम चरण में एक मॉडल पी.एच.सी. तैयार कर ली गयी है अब इसे स्केलअप करते हुये हर तहसील की एक पी.एच.सी. को आगामी कुछ महीनों में राष्ट्रीय मूल्यांकन के लिये तैयार किया जायेगा। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने इस उपलब्धि पर मुख्य चिकित्साधिकारी झाँसी डॉ सुधाकर पाण्डेय, ए.सी.एम.ओ. डॉ एन.के. जैन, मण्डलीय टीम के सदस्य आनन्द चौबे, डॉ राजेश पटेल व क्वालिटी सलाहकार डॉ मनीष खरे सहित बरूआसागर के प्रभारी चिकित्साधिकारी सहित पूरी टीम को बधाई दी है।

ये हैं सर्टिफिकेशन के मानक-

चिकित्सालय परिसर व आस-पास अतिक्रमण, जल जमाव, खुली नालियाँ, मुख्य सड़क से चिकित्सालय तक के पहुँच मार्ग, स्ट्रीट लाईट, सामुदायिक शौचालय, हर्बल गार्डन, कचरे का निस्तारण, जलापूर्ति, विद्युत ऑडिट, फायर सेफ्टी के साथ-साथ गुणवत्ता चिकित्सा सेवाओं के लिये चिकित्सालय में सभी आवश्यक क्रियाशील उपकरण, राष्ट्रीय कार्यक्रमों का क्रियान्वयन, लाभार्थियों की संतुष्टि, मानक के अनुसार अन्य सेवाएँ आदि।

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