शिक्षा में नवाचार, गुणवत्ता, रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी तकनीक का समावेश जरूरी

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग द्वारा दो दिवसीय सेमिनार प्रारंभ

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झांसी। वैश्विक स्तर पर शिक्षा और ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी तकनीक किस प्रकार से सहायक हो सकती है इसी विषय पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग एवं इंस्टिट्यूशन इनोवेशन काउंसिल द्वारा दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन गांधी सभागार में किया गया। सेमिनार का विषय इनोवेटिव इनफॉरमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी पेडगॉजीस रहा। मुख्य अतिथि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला ने कहा कि शिक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी का उद्देश्य मानव और मशीन को एक दूसरे के लिए सहयोगी बनाना है ना कि यह एक दूसरे का प्रतिस्पर्धी। जब शिक्षा के प्रसार के लिए हम तकनीक का निर्माण करते हैं तो हमें यह भी देखना होगा कि यह हमारे मानसिक विकास को अवरुद्ध तो नहीं कर रही है। आदिकाल से हमारे मस्तिष्क की कार्य क्षमता में लगातार विकास होता आया है। ऐसा ना हो कि तकनीक के अधिकाधिक उपयोग से इसमें अवरोध आ जाए।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इंटर यूनिवर्सिटी ऐसीलेटर काउंसिल के निदेशक एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अविनाश चंद्र पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य ऐसे ज्ञान का निर्माण करना है जिससे आमजन के जीवन में सामाजिक बदलाव आ सके। कॉविड काल में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली मैं अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली। शिक्षकों, छात्रों, शैक्षणिक संस्थानों, कोचिंग संचालन एवं कई कॉर्पोरेट ने इस चुनौती भरे माहौल को एक अवसर के रूप में लिया। आगे आने वाले समय में जब वर्तमान शिक्षा का इतिहास लिखा जाएगा तो निश्चित ही इस परिवर्तन का उल्लेख होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा में आईसीटी के माध्यम से विकासशील देश को विकसित देश में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 भारत सरकार द्वारा इसी क्रम में लाई गई है। भारत आज विश्व का सबसे युवा देश है। हमारी कुल 140 करोड़ आबादी में 70% युवा हैं। इसी सब का परिणाम है कि आज भारत ऊंची छलांग लगाते हुए विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। पेटेंट ,स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न में भारत एनआईटी नए कीर्तिमानों को छू रहा है। अनेकों भारतीय वैश्विक स्तर की श्रेष्ठ ब्लूचिप कंपनियों में सीईओ जैसे पद संभाल रहे हैं। देश में अनेकों जगह टेक्नोलॉजिकल इनेबल सेंटर स्थापित हो रहे हैं। निश्चित ही आने वाला समय भारत का समय है। सेमिनार में विषय विशेषज्ञ के रूप में रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडुकेशन एनसीईआरटी, भोपाल के डॉ संजय कुमार पांडाग्ले, डिपार्टमेंट ऑफ एडुकेशन डीडब्लूसी की सहायक आचार्य डॉ सीमा त्रिपाठी एवं इग्नू नई दिल्ली के स्कूल ऑफ एडुकेशन के प्रो अरबिन्द कुमार झा ने अपने विचार साझा किए। विषय की प्रस्तावना इंस्टीट्यूशन इन्नोवेशन काउंसिल की प्रेजिडेंट प्रोफेसर अपर्णा राज ने रखी। उन्होंने विगत एक वर्ष में काउंसिल द्वारा किए जा रहे कार्यों से अतिथियों को अवगत कराया। स्वागत सेमिनार संयोजक डॉ काव्या दुबे ने किया आभार आयोजन सचिव डॉक्टर सुनील त्रिवेदी ने व्यक्त किया। संचालन हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डॉ अचला पांडे ने किया। इस अवसर पर डॉ महेंद्र कुमार, डॉ सुषमा अग्रवाल, संजय कुमार गार्गी, डॉ बी एस मस्तानीय, डॉ रश्मि सिंह, डॉ दीप्ति सिंह, डॉ शिल्पा खरे एवं प्रतिभा खरे आदि उपस्थित रहे।

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