प्राईमरी से कक्षा आठ तक ही पास हैं कई नए निर्वाचित पार्षद

0 पच्चीस फीसदी पार्षद हाईस्कूल भी नहीं, वहीं दो तो निरक्षर हैं 0 सात पार्षद पोस्ट ग्रेजूएट तो 13 हैं ग्रेजूएट

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झांसी। नगर निकाय चुनाव पूर्ण होने के बाद झांसी नगर निगम के नए महापौर और 60 नए पार्षद निर्वाचित हो चुके हैं। जनता ने पार्षदों को चुनकर नगर निगम में इसलिए भेजा है कि वह जनता की समस्याओं का निदान कर सकें और क्षेत्र के विकास को लेकर बढ़चढ़कर प्रयासरत रहें, लेकिन जनता ने पार्षदों को चुनने से पहले उनकी शैक्षिक योग्यता को लेकर कोई जानकारी नहीं की। एक ओर तो पूरे देश में प्रधानमंत्री की शिक्षा को लेकर विपक्षी बवाल मचा रहे हैं, ऐसे में पार्षद जैसे जनप्रतिनिधि जो विशेषकर क्षेत्र के विकास के लिए चुने जाते हैं। वह खुद नहीं पढ़े लिखे होंगे, तो कैसे करेंगे क्षेत्र का विकास?
क्षेत्र की जनता ने पार्षदों को चुनते समय यह तो देखा कि वह किस राजनैतिक दल से खड़े हैं, लेकिन उनकी शैक्षिक योग्यता क्या है? इस बारे में किसी ने जानकारी हासिल नहीं की। ऐसे में जब चुनाव का परिणाम आया, तो हकीकत खुलकर सामने आई। नगर निगम के 25 फीसदी पार्षद ऐसे हैं, जिन्होंने हाईस्कूल तक पास नहीं किया हुआ है। इनमें 10 पार्षद ऐसे हैं जो सिर्फ हाईस्कूल पास है और 12 ऐसे है, जो इंटरमीडिएट पास है। वहीं पांच पार्षद तो ऐसे हैं, जोकि सिर्फ प्राइमरी कक्षा तक ही पढ़े हैं और दो पार्षद तो बिल्कुल निरक्षर हैं। कक्षा आठ पास करने वाले आठ पार्षद हैं। वहीं 13 पार्षदों ने स्रातक तक की पढ़ाई की है। सात परास्रातक हैं। वहीं दो पार्षदों ने डिप्लोमा कोर्स किया हुआ है।

स्मार्ट सिटि जैसी योजना पर आया संकट

झांसी नगर निगम अब विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है और उसको लेकर केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की तमाम योजनाएं यहां प्रस्तावित हैं। वहीं सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटि का चल रहा है। तकनीक के दौर में हिन्दी अंग्रेजी लिखना पढ़ना नहीं जानने वाले अब यह पार्षद कैसे अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखेंगे, क्योंकि यह योजनाओं को समझ ही नहीं पाएंगे। अन्य विकास कार्यों को लेकर इनका कोई विजन क्या होगा। यह एक सवाल बना हुआ है।

नहीं समझ पाएंगे अधिकारियों की तिकड़म

पार्षदों के कम पढ़े लिखे होने से वह अधिकारियों की तिकड़म समझ ही नहीं पाएंगे और उनके आगे बेबस बने रहेंगे। साधारण तौर पर पढ़े लिखे पार्षद तक सदन में अपना पक्ष तक नहीं रख पाते थे, तो अब तो स्थिति और भी बुरी रहेगी। फिलहाल जनता को अपने इस फैसले पर खुद ही भुगतना होगा।

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