मंडल के करोंदा स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग संस्थापित

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झाँसी। उत्तर मध्य रेलवे, झाँसी मंडल के झांसी – बीना खंड के तीसरी लाइन पर करोंदा स्टेशन पर संस्थापित पैनल इंटरलॉकिंग के स्थान पर स्टैण्डर्ड III इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया गया है।उक्त संस्थापन कार्य के पूर्ण होने से ट्रेनों का सञ्चालन में सुगमता के साथ ट्रेनों को गति मिलेगी । इस संस्थापन से 45 रूट्स की उपलब्धता होगी । इसके साथ ही 16 प्वाइंट मशीन जिसमें 12 मेन लाइन और 4 थर्ड लाइन पर, 28 मेन सिग्नल जिसमें 15 मेन लाइन और 13 थर्ड लाइन के साथ ही फ्यूज अलार्म सिस्टम भी लगाया गया है। उक्त प्रणाली में 04 कालिंग ऑन सिग्नल्स का प्रावधान किया गया है, जिसमें 02 मेन लाइन तथा 02 थर्ड लाइन हेतु उपलब्ध है।
इसके साथ ही डाटा लॉगर भी लगाया गए है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग केन्द्रीयकृत कम्प्युटरीकृत सिग्नल प्रणाली है, जिसमें गाड़ी के रूट को मात्र एक बटन के सहारे आसानी से बदला जा सकता है। इस प्रणाली की स्थापना से रेलगाड़ियों की समयबद्धता में सुधार के साथ संरक्षा भी बेहतर होती है। इससे पूर्व करोंदा स्टेशन पर पैनल इंटरलॉकिंग की व्यवस्था थी, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग पैनल इंटरलॉकिंग के मुकाबले संरक्षा की दृष्टि से ज्यादा भरोसेमंद प्रणाली है। परिचालन विभाग के कुशल कार्य निष्पादन से कार्य के तय समय सीमा में पूर्ण कर लिया गया। मंडल रेल प्रबंधक आशुतोष के कुशल मार्ग-दर्शन और वरिष्ठ मंडल सिग्नल एवं टेलिकॉम इंजिनीयर (समन्वय)अमित गोयल तथा वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक अखिल शुक्ल के नेतृत्व में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का कार्य परिचालन विभाग के उचित समन्वय से लक्षित समय के अंदर सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया गया। उक्त संस्थापन कार्य के दौरान मुख्य सिग्नल इंजीनियर पी के वर्मा, वरिष्ठ मंडल सिग्नल एवं टेलिकॉम इंजिनीयर (मेन लाइन) विष्णु गुप्ता, उप मुख्य सिग्नल एवं टेलिकॉम इंजिनीयर(निर्माण) आशीष सैनी, सहायक सिग्नल एवम् दूरसंचार इंजीनियर/ललितपुर विवेक मिश्र के साथ पर्यवेक्षक तथा परिचालन और सिग्नल कर्मचारियों द्वारा अहम् भूमिका निभायी गयी है।

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